हाल ही में पश्चिम बंगाल पुलिस ने एक बड़ी आतंकी साजिश का पर्दाफाश किया है। राज्य के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (एडीजी) सुप्रतिम सरकार ने खुलासा किया कि बांग्लादेशी आतंकवादी संगठन अंसार-अल-इस्लाम के आठ सदस्य पश्चिम बंगाल में सक्रिय थे, जो राज्य को पूर्वोत्तर भारत के राज्यों से जोड़ने वाले संवेदनशील इलाके चिकन नेक को निशाना बनाने की योजना बना रहे थे।
चिकन नेक को निशाना बनाने की योजना
एडीजी सुप्रतिम सरकार ने बताया कि गिरफ्तार किए गए आठ संदिग्धों में से दो सदस्य पश्चिम बंगाल, केरल और असम पुलिस द्वारा पकड़े गए थे। पूछताछ में पता चला कि ये सभी मिलकर एक बड़े हमले को अंजाम देने की योजना बना रहे थे। उनका मुख्य उद्देश्य चिकन नेक—जिसे सिलीगुड़ी कॉरिडोर भी कहा जाता है—को अस्थिर करना था। यह कॉरिडोर केवल एक ऐसा मार्ग है, जो पश्चिम बंगाल को पूर्वोत्तर के सात राज्यों से जोड़ता है, और किसी भी तरह की अस्थिरता इस रणनीतिक मार्ग के लिए गंभीर खतरे का कारण बन सकती है।
गिरफ्तारी और आतंकवादी गतिविधियों का खुलासा
गिरफ्तार किए गए आठ संदिग्धों में से दो के पास से महत्वपूर्ण जानकारी मिली है। पुलिस ने उनके पास से 16 जीबी पेन-ड्राइव, जिहादी साहित्य और नकली दस्तावेज बरामद किए हैं। एडीजी सुप्रतिम सरकार के मुताबिक, इन दस्तावेजों और पेन-ड्राइव से यह स्पष्ट होता है कि ये संदिग्ध एक स्लीपर सेल का हिस्सा हो सकते हैं, जो इलाके में आतंकी गतिविधियों को बढ़ावा देने का काम कर रहे थे।
मुर्शिदाबाद और अलीपुरद्वार में आतंकवादी नेटवर्क का फैलाव
एडीजी ने यह भी बताया कि पुलिस को यह जानकारी मिली थी कि आतंकवादी संगठन अंसार-अल-इस्लाम के सदस्य मुर्शिदाबाद और अलीपुरद्वार जिलों में अपना नेटवर्क स्थापित कर रहे थे। इन इलाकों को वे अपने ऑपरेशन के मुख्य केंद्र के रूप में इस्तेमाल कर रहे थे। उनका उद्देश्य पूर्वी और पूर्वोत्तर भारत में प्रमुख हिंदू नेताओं की हत्या करके सामाजिक अस्थिरता फैलाना था।
बांग्लादेशी आतंकवादी संगठनों के लिए मुर्शिदाबाद एक पारगमन मार्ग
सुप्रतिम सरकार ने यह भी कहा कि मुर्शिदाबाद बांग्लादेशी आतंकवादी संगठनों, जैसे अंसार-अल-इस्लाम के सदस्यों के लिए एक महत्वपूर्ण पारगमन मार्ग बन चुका है। यह जानकारी राज्य पुलिस के लिए एक अहम सुराग साबित हो सकती है, क्योंकि इस क्षेत्र में आतंकी गतिविधियों को बढ़ावा देने वाले तत्वों को अब सख्ती से नियंत्रित किया जा सकेगा।
बांग्लादेशी आतंकवादियों की चुनौती
बांग्लादेशी आतंकवादी संगठनों का भारत में सक्रिय होना एक गंभीर चिंता का विषय बन चुका है। अंसार-अल-इस्लाम जैसे संगठन अक्सर बांग्लादेश से भारत के विभिन्न हिस्सों में प्रवेश करते हैं, खासकर पश्चिम बंगाल, असम और अन्य सीमावर्ती राज्यों में। ये संगठन धार्मिक उन्माद फैलाने, हमले करने और अपने कृत्यों से क्षेत्रीय अस्थिरता पैदा करने की कोशिश करते हैं। पश्चिम बंगाल पुलिस और अन्य सुरक्षा एजेंसियां ऐसे तत्वों पर कड़ी निगरानी रख रही हैं और समय-समय पर इनकी गतिविधियों पर कार्रवाई कर रही हैं।
आतंकी स्लीपर सेल्स पर नियंत्रण की आवश्यकता
पुलिस की जांच में यह बात भी सामने आई है कि ये आतंकवादी संगठन स्लीपर सेल्स के जरिए अपनी गतिविधियां चला रहे थे। इन स्लीपर सेल्स के सदस्य कई महीनों तक अपने लक्ष्य को पूरा करने के लिए छिपकर काम करते हैं। अगस्त महीने से ही इस स्लीपर सेल के सक्रिय होने की सूचना मिल रही थी, और अब राज्य पुलिस ने इनकी गतिविधियों को प्रभावी तरीके से रोकने की दिशा में कदम उठाए हैं।
राज्य पुलिस की तत्परता और चुनौतियां
एडीजी सुप्रतिम सरकार ने स्वीकार किया कि पश्चिम बंगाल और अन्य राज्यों की पुलिस के लिए बांग्लादेशी आतंकवादी समूहों का मुकाबला करना एक बड़ा चुनौती है। लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि सुरक्षा बलों की सतर्कता और बेहतर समन्वय से इन पर काबू पाया जा सकता है। पुलिस ने पहले ही इन संदिग्धों के खिलाफ सख्त कार्रवाई शुरू कर दी है और उनकी जड़ तक पहुंचने का प्रयास किया जा रहा है।
आतंकवादियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई
पुलिस का कहना है कि आतंकवादियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी, ताकि वे अपने नापाक मंसूबों को पूरा न कर सकें। राज्य और राष्ट्रीय एजेंसियों के बीच बेहतर तालमेल से इन आतंकवादी संगठनों की गतिविधियों को खत्म किया जा सकेगा।