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हिंदी फिल्म निर्माताओं ने अपने दर्शकों का ध्यान नहीं रखा, अनुराग कश्यप का बेबाक बयान

हिंदी फिल्म निर्माताओं ने अपने दर्शकों का ध्यान नहीं रखा, अनुराग कश्यप का बेबाक बयान
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फिल्म निर्माता अनुराग कश्यप ने भारतीय फिल्म उद्योग और खासकर बॉलीवुड के निर्माताओं पर तीखा प्रहार किया है। उन्होंने एक इंटरव्यू के दौरान साफ शब्दों में कहा कि हिंदी फिल्म निर्माताओं ने सामूहिक रूप से अपने दर्शकों को नजरअंदाज किया है। कश्यप ने अपनी फिल्मों “गैंग्स ऑफ वासेपुर” और “मुक्केबाज” का जिक्र करते हुए कहा कि ये फिल्में प्रोडक्शन स्टूडियो के गलत फैसलों की वजह से उत्तर भारत में कभी भी सही तरीके से रिलीज नहीं हो सकीं।

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क्यों हुए उत्तर भारत के दर्शक नजरअंदाज

अनुराग कश्यप ने बताया कि हिंदी सिनेमा ने अपने मूल दर्शकों को दरकिनार कर दिया। हॉलीवुड रिपोर्टर इंडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा, “हमारे दर्शकों को सामूहिक रूप से नजरअंदाज किया गया। उदाहरण के लिए, कोविड के दौरान मुझे पता चला कि मेरी दो फिल्में – “गैंग्स ऑफ वासेपुर” और “मुक्केबाज”, जिनके आज उत्तर भारत में बहुत ही मुख्य दर्शक हैं, उत्तर भारत में कभी ठीक से रिलीज नहीं हुईं।” उन्होंने यह भी बताया कि स्टूडियो ने यह मान लिया था कि उनके मुख्य दर्शक सिर्फ दिल्ली, मुंबई, चंडीगढ़ और हैदराबाद में हैं।

स्टूडियो के फैसले को बताया गलत

अनुराग ने कहा, “मुझे एक वितरण बैठक के दौरान पता चला कि मेरी उत्तर भारतीय फिल्में पूरे उत्तर भारत में रिलीज नहीं हुईं क्योंकि स्टूडियो ने तय किया कि मेरे मुख्य दर्शक केवल महानगरों में हैं। यह सोच बहुत ही मूर्खतापूर्ण थी।” उनके अनुसार, यह निर्णय उन दर्शकों के साथ अन्याय था, जो उनकी फिल्मों को देखकर खुद को जोड़ सकते थे।

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साउथ की फिल्मों से मिली सीख

अनुराग ने दक्षिण भारतीय फिल्मों की तारीफ करते हुए कहा, “साउथ की फिल्मों से दर्शक इसलिए भी कनेक्ट करते हैं क्योंकि वहां की फिल्में अपनी जड़ों से जुड़ी होती हैं। मलयालम सिनेमा इसका सबसे अच्छा उदाहरण है।” उन्होंने बताया कि साउथ के फिल्म निर्माता अपने दर्शकों के लिए प्रासंगिक विषयों पर काम करते हैं, जो उन्हें दर्शकों से जोड़ता है।

हिंदी सिनेमा के लिए नई दिशा

अनुराग का मानना है कि हिंदी फिल्मों को भी साउथ सिनेमा से सीख लेनी चाहिए। उन्होंने कहा, “अगर हिंदी सिनेमा जड़ों से जुड़ी फिल्में बनाए और उनका सही प्रमोशन करे, तो यहां भी दर्शकों का जुड़ाव मजबूत हो सकता है। लेकिन इसके लिए बजट का सही उपयोग और सटीक योजना की जरूरत है।”

फिल्मों के प्रमोशन पर जोर

अनुराग कश्यप ने यह भी कहा कि प्रमोशन के लिए पर्याप्त बजट होना चाहिए। उन्होंने कहा, “जैसे साउथ की फिल्मों का प्रमोशन बड़े स्तर पर होता है, वैसे ही हिंदी फिल्मों का भी होना चाहिए। अगर हिंदी सिनेमा में प्रमोशन के लिए सही दिशा में निवेश किया जाए, तो यह उद्योग एक नई ऊंचाई पर पहुंच सकता है।”

दर्शकों की पसंद को समझने की जरूरत

अनुराग कश्यप ने हिंदी सिनेमा से जुड़े लोगों से अपील की कि वे अपने दर्शकों की पसंद और जरूरतों को समझें। उन्होंने कहा कि सिनेमा का उद्देश्य दर्शकों को जोड़ना और उनके अनुभव को समृद्ध बनाना होना चाहिए।

अनुराग कश्यप का बॉलीवुड को संदेश

अपने साक्षात्कार के अंत में अनुराग कश्यप ने स्पष्ट किया कि हिंदी सिनेमा को अपनी प्राथमिकताएं बदलनी होंगी। उन्होंने कहा, “हमें अपनी फिल्मों को केवल महानगरों तक सीमित रखने के बजाय छोटे शहरों और कस्बों तक पहुंचाने की जरूरत है। यही दर्शक हैं जो हमारी फिल्मों को असली ताकत देते हैं।”

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