

भगवान गणेश, जिन्हें प्रथम पूज्य कहा जाता है, भक्तों की हर मनोकामना पूरी करने वाले देवता हैं। उनकी आरती का विशेष महत्व है, और जब इसे प्रसिद्ध गायिका अनुराधा पौडवाल जी के मधुर स्वर में गाया जाता है, तो इसका प्रभाव और भी बढ़ जाता है। इस लेख में हम आपको “अनुराधा पौडवाल गणेश आरती” के बोल, इसकी विधि और लाभ के बारे में विस्तार से बताएंगे।

अनुराधा पौडवाल गणेश आरती लिरिक्स
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥1॥
एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी।
माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी॥2॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥3॥
पान चढ़े फल चढ़े, और चढ़े मेवा।
लड्डुअन का भोग लगे संत करें सेवा॥4॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥5॥
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया।
बांझन को पुत्र देत निर्धन को माया॥6॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥7॥
सूर’ श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥8॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥9॥
दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी।
कामना को पूर्ण करो जाऊं बलिहारी॥10॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥11॥
अनुराधा पौडवाल जी की मधुर आवाज़ में गणेश आरती भक्तों के हृदय को भक्तिमय बना देती है और गणपति बप्पा की कृपा को आकर्षित करने का एक सशक्त माध्यम है। यदि आप अपने जीवन में सुख-शांति और सफलता चाहते हैं, तो नियमित रूप से इस आरती का पाठ करें और गणेश जी का आशीर्वाद प्राप्त करें।
गणेश आरती विधि
- गणेश आरती को सही विधि से करने से अधिक शुभ फल मिलता है।
- प्रातः स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- एक साफ चौकी पर गणपति बप्पा की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
- दीप जलाकर, धूप-दीप एवं फूलों से भगवान गणेश की पूजा करें।
- मोदक या लड्डू का भोग अर्पित करें।
- श्रद्धा और भक्ति से आरती गाएं और आरती के बाद प्रसाद वितरित करें।
गणेश आरती के लाभ
- बाधाओं का नाश – गणपति बप्पा की आरती करने से जीवन की सभी बाधाएँ दूर होती हैं।
- सुख-समृद्धि – यह आरती घर-परिवार में सुख, शांति और धन-वैभव लाती है।
- विद्या और बुद्धि – विद्यार्थी और ज्ञान-साधक इस आरती से विशेष लाभ प्राप्त करते हैं।
- कार्यसिद्धि – जो भी व्यक्ति नए कार्य में सफलता चाहता है, उसे गणेश जी की आरती नियमित रूप से करनी चाहिए।