अन्नपूर्णा माता, जिन्हें भोजन और समृद्धि की देवी माना जाता है, हिंदू धर्म में विशेष स्थान रखती हैं। यह मान्यता है कि उनके आशीर्वाद से घर में कभी भी अन्न और धन की कमी नहीं होती। उनकी आरती का महत्व न केवल धार्मिक है, बल्कि यह एक ऐसा साधन है जो भक्तों को उनकी कृपा प्राप्त करने का अवसर प्रदान करता है। “अन्नपूर्णा माता की आरती” गाते समय मन में भक्ति और समर्पण का भाव जागृत होता है, जो हमारे जीवन को शांति और संतोष से भर देता है।
अन्नपूर्णा माता की आरती
बारम्बार प्रणाम,
मैया बारम्बार प्रणाम ।
जो नहीं ध्यावे तुम्हें अम्बिके,
कहां उसे विश्राम ,
अन्नपूर्णा देवी नाम तिहारो,
लेत होत सब काम ॥
बारम्बार प्रणाम,
मैया बारम्बार प्रणाम ॥
प्रलय युगान्तर और जन्मान्तर,
कालान्तर तक नाम ।
सुर सुरों की रचना करती,
कहाँ कृष्ण कहाँ राम ॥
बारम्बार प्रणाम,
मैया बारम्बार प्रणाम॥
चूमहि चरण चतुर चतुरानन,
चारु चक्रधर श्याम ,
चंद्रचूड़ चन्द्रानन चाकर,
शोभा लखहि ललाम ॥
बारम्बार प्रणाम,
मैया बारम्बार प्रणाम ॥
देवि देव! दयनीय दशा में,
दया-दया तब नाम ।
त्राहि-त्राहि शरणागत वत्सल,
शरण रूप तब धाम ॥
बारम्बार प्रणाम,
मैया बारम्बार प्रणाम ॥
श्रीं, ह्रीं श्रद्धा श्री ऐ विद्या,
श्री क्लीं कमला काम ।
कांति, भ्रांतिमयी, कांति शांतिमयी,
वर दे तू निष्काम ॥
बारम्बार प्रणाम,
मैया बारम्बार प्रणाम ,
॥ माता अन्नपूर्णा की जय ॥
अन्नपूर्णा माता की आरती केवल एक धार्मिक प्रक्रिया नहीं है, बल्कि यह हमारे जीवन में संतुलन, सौहार्द और समृद्धि का प्रतीक है। यह आरती हमें याद दिलाती है कि अन्न का महत्व केवल शरीर के पोषण तक सीमित नहीं है, बल्कि यह आत्मा की तृप्ति का भी माध्यम है। माता के चरणों में की गई यह प्रार्थना हमारे मन में नई ऊर्जा का संचार करती है और जीवन को सकारात्मक दृष्टिकोण से देखने की प्रेरणा देती है। उनके आशीर्वाद से हर घर में सुख, शांति और समृद्धि बनी रहे।