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शिव तांडव स्तोत्र: भगवान शिव की दिव्य महिमा का अद्भुत गान

Shiv Tandav Stotra
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शिव तांडव स्तोत्र भगवान शिव की महिमा का एक अद्भुत और शक्तिशाली स्तोत्र है, जिसे रावण ने स्वयं रचा था। यह स्तोत्र शिव के तांडव नृत्य, उनकी अपार शक्ति और दिव्यता का वर्णन करता है। ऐसा कहा जाता है कि जो भी Shiv Tandav Stotram का श्रद्धा से पाठ करता है, उसे शिवजी की कृपा प्राप्त होती है और उसके जीवन के समस्त संकट दूर हो जाते हैं।

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Shiv Tandav Stotram

जटाटवीगलज्जलप्रवाहपावितस्थले-
गलेऽवलम्ब्य लम्बितां भुजङ्गतुङ्गमालिकाम् !!
डमड्डमड्डमड्डमन्निनादवड्डमर्वयं-
चकार चण्डताण्डवं तनोतु नः शिवः शिवम् !!1!!

जटाकटाहसम्भ्रमभ्रमन्निलिम्पनिर्झरी-
विलोलवीचिवल्लरीविराजमानमूर्धनि !!
धगद्धगद्धगज्ज्वलल्ललाटपट्टपावके-
किशोरचन्द्रशेखरे रतिः प्रतिक्षणं मम !!2!!

धराधरेन्द्रनंदिनीविलासबन्धुबन्धुर-
स्फुरद्दिगन्तसन्ततिप्रमोदमानमानसे !!
कृपाकटाक्षधोरणीनिरुद्धदुर्धरापदि-
क्वचिद्दिगम्बरे(क्वचिच्चिदम्बरे) मनो विनोदमेतु वस्तुनि !!3!!

जटाभुजङ्गपिङ्गलस्फुरत्फणामणिप्रभा-
कदम्बकुङ्कुमद्रवप्रलिप्तदिग्वधूमुखे !!
मदान्धसिन्धुरस्फुरत्त्वगुत्तरीयमेदुरे-
मनो विनोदमद्भुतं बिभर्तु भूतभर्तरि ॥4॥

सहस्रलोचनप्रभृत्यशेषलेखशेखर-
प्रसूनधूलिधोरणी विधूसराङ्घ्रिपीठभूः !!
भुजङ्गराजमालया निबद्धजाटजूटक-
श्रियै चिराय जायतां चकोरबन्धुशेखरः ॥5॥

ललाटचत्वरज्वलद्धनञ्जयस्फुलिङ्गभा-
निपीतपञ्चसायकं नमन्निलिम्पनायकम् !!
सुधामयूखलेखया विराजमानशेखरं-
महाकपालिसम्पदेशिरोजटालमस्तु नः ॥6॥

करालभालपट्टिकाधगद्धगद्धगज्ज्वल-
द्धनञ्जयाहुतीकृतप्रचण्डपञ्चसायके !!
धराधरेन्द्रनन्दिनीकुचाग्रचित्रपत्रक-
प्रकल्पनैकशिल्पिनि त्रिलोचने रतिर्मम !!7!!

नवीनमेघमण्डली निरुद्धदुर्धरस्फुरत्-
कुहूनिशीथिनीतमः प्रबन्धबद्धकन्धरः !!
निलिम्पनिर्झरीधरस्तनोतु कृत्तिसिन्धुरः-
कलानिधानबन्धुरः श्रियं जगद्धुरंधरः !!8!!

प्रफुल्लनीलपङ्कजप्रपञ्चकालिमप्रभा-
वलम्बिकण्ठकन्दलीरुचिप्रबद्धकन्धरम् !!
स्मरच्छिदं पुरच्छिदं भवच्छिदं मखच्छिदं-
गजच्छिदांधकच्छिदं तमन्तकच्छिदं भजे !!9!!

अगर्व सर्वमङ्गलाकलाकदम्बमञ्जरी-
रसप्रवाहमाधुरी विजृम्भणामधुव्रतम् !!
स्मरान्तकं पुरान्तकं भवान्तकं मखान्तकं-
गजान्तकान्धकान्तकं तमन्तकान्तकं भजे !!10!!

जयत्वदभ्रविभ्रमभ्रमद्भुजङ्गमश्वस-
द्विनिर्गमत्क्रमस्फुरत्करालभालहव्यवाट् !!।
धिमिद्धिमिद्धिमिध्वनन्मृदङ्गतुङ्गमङ्गल-
ध्वनिक्रमप्रवर्तित प्रचण्डताण्डवः शिवः !!11!!

दृषद्विचित्रतल्पयोर्भुजङ्गमौक्तिकस्रजोर्-
गरिष्ठरत्नलोष्ठयोः सुहृद्विपक्षपक्षयोः !!
तृणारविन्दचक्षुषोः प्रजामहीमहेन्द्रयोः –
समं प्रव्रितिक: कदा सदाशिवं भजाम्यहम !!12!!

कदा निलिम्पनिर्झरीनिकुञ्जकोटरे वसन्-
विमुक्तदुर्मतिः सदा शिरः स्थमञ्जलिं वहन् !!
विमुक्तलोललोचनो ललामभाललग्नकः –
शिवेति मंत्रमुच्चरन् कदा सुखी भवाम्यहम् !!13!!

निलिम्प नाथनागरी कदम्ब मौलमल्लिका-
निगुम्फनिर्भक्षरन्म धूष्णिकामनोहरः !!
तनोतु नो मनोमुदं विनोदिनींमहनिशं-
परिश्रय परं पदं तदङ्गजत्विषां चयः !!14!!

प्रचण्ड वाडवानल प्रभाशुभप्रचारणी-
महाष्टसिद्धिकामिनी जनावहूत जल्पना !!
विमुक्त वाम लोचनो विवाहकालिकध्वनिः –
शिवेति मन्त्रभूषगो जगज्जयाय जायताम् !!15!!

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इमं हि नित्यमेवमुक्तमुत्तमोत्तमं स्तवं-
पठन्स्मरन्ब्रुवन्नरो विशुद्धिमेतिसंततम् !!
हरे गुरौ सुभक्तिमाशु याति नान्यथा गतिं-
विमोहनं हि देहिनां सुशङ्करस्य चिंतनम् !!16!!

पूजावसानसमये दशवक्त्रगीतं-
यः शम्भुपूजनपरं पठति प्रदोषे !!
तस्य स्थिरां रथगजेन्द्रतुरङ्गयुक्तां-
लक्ष्मीं सदैव सुमुखिं प्रददाति शम्भुः !!17!!

!! इति श्रीरावण कृतम् शिव ताण्डव स्तोत्रम्सम्पूर्णम् !!

शिव तांडव स्तोत्र भगवान शिव की महिमा को दर्शाने वाला एक अत्यंत शक्तिशाली और प्रभावशाली स्तोत्र है। जो भी इस स्तोत्र को नियमित रूप से पढ़ता है, उसके जीवन में सुख, शांति, सफलता और समृद्धि का संचार होता है। यह शिवभक्तों के लिए एक अनमोल उपहार है, जो उन्हें शिव की कृपा प्राप्त करने में सहायक होता है। यदि आप भगवान शिव की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं और अपने जीवन से सभी प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा को दूर करना चाहते हैं, तो शिव तांडव स्तोत्र का नित्य पाठ अवश्य करें।

शिव तांडव स्तोत्र की रचना

पौराणिक कथाओं के अनुसार, लंकापति रावण भगवान शिव का अनन्य भक्त था। उसने कैलाश पर्वत को अपने बल से उठाने का प्रयास किया, जिससे भगवान शिव कुपित हो गए और अपने अंगूठे से कैलाश पर्वत को दबा दिया। रावण पीड़ा से व्याकुल हो गया और अपनी भक्ति प्रकट करने के लिए उसने इस स्तोत्र की रचना की। भगवान शिव उसकी भक्ति से प्रसन्न हुए और उसे वरदान दिया।

शिव तांडव स्तोत्र का पाठ विधि

  1. स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  2. भगवान शिव के चित्र या शिवलिंग के समक्ष दीप जलाकर बैठें।
  3. पूरी भक्ति और श्रद्धा से शिव तांडव स्तोत्र का पाठ करें।
  4. सोमवार और महाशिवरात्रि के दिन विशेष रूप से इसका पाठ करने से अधिक लाभ मिलता है।
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शिव तांडव स्तोत्र के लाभ

  • संकटों से मुक्ति – इस स्तोत्र का पाठ करने से जीवन के सभी कष्ट धीरे-धीरे समाप्त हो जाते हैं।
  • नकारात्मक ऊर्जा से रक्षा – यह स्तोत्र व्यक्ति के चारों ओर एक दिव्य सुरक्षा कवच बनाता है।
  • आत्मविश्वास और बल – इसका पाठ करने से मन में साहस और आत्मबल का संचार होता है।
  • शिव कृपा प्राप्ति – भगवान शिव की भक्ति से उनके आशीर्वाद की प्राप्ति होती है।
  • सफलता और समृद्धि – यह स्तोत्र जीवन में सफलता और धन-समृद्धि लाने में सहायक होता है।
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