घर-घर जाएंगे स्वास्थ्यकर्मी, 20 प्रतिशत जनसंख्या की होगी स्क्रीनिंग
कबीरचौरा स्थित जिला क्षय रोग केंद्र पर आयोजित हुई मीडिया ब्रीफिंग
अभियान के लिए 198 टीमें तैयार, पर्यवेक्षण के लिए 40 सुपरवाईजर तैनात
वाराणसी, 07 सितम्बर 2024 ।
जनपद में नौ सितम्बर से शुरू होने वाले ‘सक्रिय क्षय रोगी खोज (एसीएफ) अभियान’ को लेकर शनिवार को जिलाधिकारी निर्देशन में कबीरचौरा स्थित जिला क्षय रोग केंद्र पर मीडिया ब्रीफिंग का आयोजन किया गया।
इस दौरान जिला क्षय रोग अधिकारी (डीटीओ) डॉ पीयूष राय ने कहा कि क्षय मुक्त काशी बनाने के लिए राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम के अंतर्गत जनपद में नौ सितम्बर से 20 सितम्बर तक सक्रिय क्षय रोगी खोज (एसीएफ़) अभियान चलाया जाएगा। शासन से प्राप्त गाइडलाइन के क्रम में जिलाधिकारी के निर्देशन और मुख्य चिकित्सा अधिकारी के सुपरवीज़न में अभियान की समस्त गतिविधियों का संचालन किया जाएगा। उन्होंने कहा कि टीबी (क्षय रोग) के जीवाणु रोगी के खाँसने, छींकने और थूकने से हवा में फैल जाते हैं। साँस लेने से स्वस्थ व्यक्ति के फेफड़े में पहुँचकर रोग उत्पन्न करते हैं। घनी आबादी व मलिन बस्तियों में रहने वाले लोगों को स्वच्छ – हवा पानी न मिल पाने से उनके स्वास्थ्य पर गहरा असर पड़ता है। इससे टीबी के होने खतरा सबसे अधिक रहता है। ऐसे में यदि किसी व्यक्ति को दो सप्ताह से अधिक समय से खांसी आ रही हो, लगातार बुखार, रात में पसीना, भूख न लगना और वजन में लगातार कमी आ रही हो तो ऐसे में नजदीकी चिकित्सालय और स्वास्थ्य केंद्र पर जाकर जांच और उपचार कराएं।
अभियान के अंतर्गत जनपद की कुल आबादी की 20 प्रतिशत जनसंख्या यानि करीब 8.50 लाख लोगों की घर-घर जाकर स्क्रीनिंग की जाएगी। इसके लिए 198 टीमें (98 नगर व 100 ग्रामीण) तैयार की गई हैं। पर्यवेक्षण के लिए 20-20 सुपरवाईज़र शहर व ग्रामीण क्षेत्र में तैनात किए गए हैं। अभियान के सफल संचालन के लिए समस्त एनटीईपी कर्मियों और आशा कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित किया जा चुका है। उन्होंने मीडिया बंधुओं के माध्यम से अधिक प्रचार – प्रसार करने की अपील की है।
डीटीओ ने कहा कि टीबी का रोगी एक वर्ष में 10 से 15 स्वस्थ व्यक्तियों को संक्रमित कर सकता है। इसलिए इस अभियान में टीबी के लक्षण युक्त (संभावित रोगियों) व्यक्तियों की जांच की जाएगी और जांच में टीबी की पुष्टि होने पर तत्काल उपचार शुरू किया जाएगा। इसके साथ ही निक्षय पोषण योजना के तहत टीबी रोगियों को उनके उपचार के दौरान हर माह 500 रुपये की आर्थिक सहायता डीबीटी के माध्यम से बैंक खाते में प्रदान की जाती है।
संवेदनशील क्षेत्रों पर होगा ज़ोर – जिला कार्यक्रम समन्वयक (डीपीसी) संजय चौधरी ने बताया कि अभियान के दौरान माइक्रोप्लान के मुताबिक संवेदनशील क्षेत्रों (घनी बस्ती और स्लम एरिया) को कवर करते हुए जनपद की 20 प्रतिशत आबादी की घर-घर जाकर स्क्रीनिंग की जाएगी। अभियान के पूर्व से ही आवासीय परिसरों, जैसे अनाथालयों, वृद्धाश्रमों, नारी निकेतन, बाल संरक्षण गृह, मदरसों और छात्रावासों में स्क्रीनिंग व जागरूकता कैंप आयोजित किए जा रहे हैं।
इस मौके पर एमओटीसी डॉ अन्वित श्रीवास्तव, जिला पीपीएम समन्वयक नमन गुप्ता, सीफार प्रतिनिधि समेत अन्य एनटीईपी कर्मी मौजूद रहे।
इन्सेट–
टीबी का इलाज – टीबी रोगी के इलाज के लिए जिले में टीबी की दवा स्वास्थ्य कार्यकर्ता के सीधी देखरेख में खिलाई जाती हैं जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि मरीज सही दवा निश्चित समय पर पूरी अवधि तक खाकर शीघ्र रोग मुक्त हो जाए।
इन बातों का रखें ध्यान –
- दो हफ्ते या उससे अधिक खाँसी, खाँसी के साथ बलगम आना, रात में पसीना आना, भूख न लगना और वजन में लगातार गिरावट टीबी हो सकती है। ऐसे लक्षण देने पर तुरन्त नजदीकी स्वास्थ्य केन्द्र पर सम्पर्क करें।
- टीबी की समस्त आधुनिक जाँच एवं सम्पूर्ण उपचार समस्त सरकारी स्वास्थ्य केन्द्रों पर निःशुल्क उपलब्ध है।
- अधिक जानकारी के लिए टोल फ्री नम्बर 1800-11-6666 पर संपर्क कर सकते हैं और टीबी आरोग्य सेतु एप को भी डाउनलोड करें।