वाराणसी में विश्व प्रसिद्ध रथयात्रा मेले के पहले दिन बाबा कालभैरव के पंचबदन प्रतिमा की भव्य शोभायात्रा निकाली गई। यह शोभायात्रा चौखंबा स्थित काठ की हवेली से स्वर्णकार क्षत्रिय कमेटी के तत्वावधान में निकाली गई। इस भव्य आयोजन में सुसज्जित छतरी युक्त घोड़ों पर देव प्रतिमाएं विराजमान थीं, जिनमें राम, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न, हनुमान, शंकर, गणेश, नारद और ब्रह्मा जी शामिल थे। इनके साथ दो दरबान भी शोभायात्रा का हिस्सा बने। डमरू दल और शहनाई की धुन के बीच शोभायात्रा का आकर्षण बढ़ता गया।
शोभायात्रा का अंतिम आकर्षण था, फूलों से सुसज्जित बाबा कालभैरव का स्वर्णिम रथ। यह रथ शोभायात्रा के अंत में निकाला गया, जो शहनाई की मधुर धुन के बीच वातावरण को भक्तिमय बना रहा था।
शोभायात्रा की यात्रा काठ की हवेली, चौखंभा से प्रारंभ होकर बीवी हटिया, जतनबर, विशेश्वरगंज, महामृत्युंजय, दारानगर, मैदागिन, बुलानाला, चौक, नारियल बाजार, गोविंदपुरा, ठठेरी बाजार, सोराकुआं, गोलघर, भुतही इमली होते हुए कालभैरव मंदिर पर जाकर संपन्न हुई। शोभायात्रा के मार्ग पर भक्तों का अपार जनसमूह उमड़ा हुआ था, जो पूरे मार्ग को भरकर यात्रा को और भी भव्य बना रहा था।
यह आयोजन वाराणसी के धार्मिक और सांस्कृतिक महत्त्व को दर्शाता है, जहाँ परंपराएं जीवित हैं और उन्हें हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस शोभायात्रा में शामिल होने वाले भक्तों के लिए यह एक अविस्मरणीय अनुभव रहा, जहाँ उन्होंने देवताओं के साथ भक्ति और आस्था के इस महापर्व में भाग लिया। वाराणसी की गलियों में इस यात्रा का आयोजन शहर की धार्मिकता और सांस्कृतिक धरोहर को सजीव बना देता है।