
मृत्यु के कारणों के चिकित्सकीय प्रमाणन (MCCD) में देश को नई दिशा दिखाएगा उत्तर प्रदेश
मृत्यु के कारणों पर आयोजित हुई राष्ट्रीय संगोष्ठी
टाटा मेमोरियल सेंटर एवं कैंसर इंस्टीट्यूट ने मृत्यु के कारणों के चिकित्सकीय प्रमाणन (MCCD) के लिए राष्ट्रीय सम्मेलन की मेजबानी की
वाराणसी। टाटा मेमोरियल सेंटर एवं कैंसर इंस्टीट्यूट ने जनगणना कार्य निदेशालय, उत्तर प्रदेश, गृह मंत्रालय, भारत सरकार के सहयोग से मंगलवार को होटल क्लार्क्स में मृत्यु के कारणों के चिकित्सकीय प्रमाणन (MCCD) के लिए राष्ट्रीय सम्मेलन की मेजबानी की। जिसमें सार्वजनिक स्वास्थ्य, महामारी विज्ञान, चिकित्सा शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा प्रशासन के क्षेत्र में प्रतिष्ठित विशेषज्ञों के नेतृत्व में मुख्य भाषण, पैनल चर्चा और इंटरैक्टिव सत्र शामिल रहा। सम्मेलन का उद्घाटन सुश्री शीतल वर्मा आईएएस, निदेशक एवं संयुक्त महारजिस्ट्रार (सीआरएस), डॉ सुदीप गुप्ता, निदेशक, टाटा मेमोरियल सेंटर एवं डॉ पंकज चतुर्वेदी, उप निदेशक, सेंटर फॉर कैंसर एपिडेमो एपिडेमियोलॉजी एवं प्रोफेसर सत्यजीत प्रधान, निदेशक ने किया। इस संगोष्ठी में महाराष्ट्र, बिहार, छत्तीसगढ़, ऑडिशा, पश्चिम बंगाल एवं असम राज्य के निदेशक एवं संयुक्त महारजिस्ट्रार (सी आर एस ) तथा गोवा से मुख्य रजिस्ट्रार (जन्म-मृत्यु) द्वारा प्रतिभाग किया गया एवं मृत्यु के कारणों के चिकित्सकीय प्रमाणन के संबंध में अपने अपने अनुभवों को साझा किया एवं इसमे सुधार हेतु अपना मन्तव्य प्रस्तुत किया।
इस अवसर पर टाटा मेमोरियल सेंटर के निदेशक प्रोफेसर सुदीप गुप्ता ने कहा कि टाटा मेमोरियल सेंटर की इकाई मृत्यु के कारणों के आंकड़ों की गुणवत्ता में सुधार लाने, मृत्यु के कारण के सही प्रमाणीकरण में डॉक्टरों को प्रशिक्षित करने की क्षमता को बढ़ाने के लिए एक विश्वसनीय संसाधन केंद्र के रूप में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और संयुक्त राष्ट्र सांख्यिकी प्रभाग मानकों के अनुसार सही कोडिंग में मृत्यु और प्रशिक्षण मृत्यु कोडर्स के अनुरूप वर्ष 2021 से काम कर रही है। इकाई की गतिविधियाँ महाराष्ट्र राज्य से शुरू हुईं और उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, नागालैंड, ओडिशा,असम, आंध्र प्रदेश, पंजाब, हरियाणा सहित 9 राज्यों तक विस्तारित हो गई हैं।
डॉ सत्यजीत प्रधान, निदेशक, महामना कैंसर सेंटर, वाराणसी ने इस अवसर पर इस राष्ट्रीय संगोष्ठी के समस्त प्रतिभागियों अपने अपने राज्यों में MCCD में सुधार हेतु आवाहन किया। सत्र का प्रारंभ डॉ बी के मिश्र ने कैंसर रजिस्ट्री के लिए चर्चा साथ किया। इस अवसर पर शीतल वर्मा, निदेशक जनगणना एवं संयुक्त महारजिस्ट्रार(सिविल रजिस्ट्रेशन प्रणाली) उत्तर प्रदेश ने अपने उद्बोधन में बताया कि :-“मृत्यु के कारणों का विकित्सकीय प्रमाणन जन्म एवं मृत्यु पंजीकरण अधिनियम, 1969 (यथा संशोधित 2023) के अन्तर्गत किया जाता है। प्रत्येक डॉक्टर जिसने मृतक की अंतिम परिचर्या की है, के द्वारा निःशुल्क मृत्यु के कारण का प्रमाणन किया जाना है एवं इसकी प्रति मृतक के परिजन को देनी है। यह प्रमाणन फॉर्म विश्व स्वास्थ्य संगठन की द्वारा निर्धारित प्रारूप के अनुरूप ही हैं। उत्तर प्रदेश के सभी सरकारी अस्पताल एवं मेडिकल कॉलेज जन्म-मृत्यु पंजीकरण रजिस्ट्रार के रूप में अधिसूचित हैं। वस्तुत: मृत्यु के कारणों का चिकित्सकीय प्रमाणन भी मृत्यु पंजीकरण की प्रकिया का हिस्सा है। वर्तमान में जन्म एवं मृत्यु पंजीकरण का समस्त कार्य ऑनलाइन वेब पोर्टल से ही किया जा रहा है, मृत्यु पंजीकरण के समय ही मृत्यु के कारण की डेटा एंट्री भी ऑनलाइन पोर्टल पर कर दी जाती है। राष्ट्रीय स्तर पर पोर्टल से प्राप्त आँकड़ों के आधार पर भारत के महारजिस्ट्रार कार्यालय द्वारा मृत्यु के कारणों की रिपोर्ट जारी की जाती है। इस कार्य में उत्तर प्रदेश को देश के सामने मॉडल के रूप में प्रस्तुत होगा।“ मृत्यु के कारणों के चिकित्सकीय प्रमाणन (MCCD) में सुधार हेतु प्रोजेक्ट किरण कारण का आरंभ जनगणना कार्य निदेशालय और टाटा मेमोरियल सेंटर ने इस अवसर पर प्रोजेक्ट किरण कारण का भी शुभारंभ किया। यह मृत्यु के कारणों के चिकित्सकीय प्रमाणन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से राष्ट्रव्यापी पहल है। डॉक्टर, पैरामेडिकल स्टाफ एवं डेटा एंट्री ऑपरेटरों के प्रशिक्षण कार्यक्रमों के माध्यम से सटीक रिपोर्टिंग सुनिश्चित कर पाना संभव हो सकेगा। इस कार्य की निगरानी राज्य एवम राष्ट्रीय स्तर पर लगातार की जाएगी। मृत्यु के कारण की रिपोर्टिंग में निरंतर सुधार करना ही इस प्रोजेक्ट का लक्ष्य है। यह ठोस प्रयास भारत को बेहतर सार्वजनिक स्वास्थ्य एवं संसाधन आवंटन की ओर बढ़ाएगा।
सम्मेलन सत्र के दौरान एसजीपीजीआई, लखनऊ के प्रोफेसर एवं प्रशासनिक प्रमुख डॉ. आर. हर्षवर्द्धन ने आम लोगों को बेहतर चिकित्सा सहायता के लिए इलेक्ट्रॉनिक मेडिकल रिकॉर्ड के महत्व पर प्रकाश डाला। इससे भारत में कैंसर के बारे में जानकारी बढ़ेगी और मृत्यु के कारण के मेडिकल प्रमाणन की अच्छी विश्वसनीयता भी सुनिश्चित होगी। संगोष्ठी में महाराष्ट्र, बिहार, छत्तीसगढ़, ऑडिशा, पश्चिम बंगाल एवं असम राज्य के निदेशक एवं संयुक्त महारजिस्ट्रार (सी आर एस ) तथा गोवा से मुख्य रजिस्ट्रार (जन्म-मृत्यु) द्वारा प्रतिभाग किया गया एवं मृत्यु के कारणों के चिकित्सकीय प्रमाणन के संबंध में अपने अपने अनुभवों को साझा किया एवं इसमे सुधार हेतु अपना मन्तव्य प्रस्तुत किया।
“मृत्यु पंजीकरण में आने वाली सर्वोत्तम कार्य विधियां और चुनौतियाँ” विषय पर एक पैनल चर्चा आयोजित की गई है। इस विषय पर चर्चा करते समय यह समझा गया किमृत्यु पंजीकरण में तीन प्रकार की चुनौतियों की पहचान की गई थी। 1) मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करते समय आने वाली ढांचागत और प्रक्रियात्मक चुनौतियाँ, जिनमें फॉर्म की कठिन संरचना, इसके संकलन में प्रशिक्षण की कमी और वास्तविक समय प्रतिक्रिया की कमी शामिल है। 2) मृत्यु पंजीकरण के बारे में सांस्कृतिक अनभिज्ञता। 3) महिला मृत्यु पंजीकरण की कम संख्या, जो देश में मृत्यु के कुल पंजीकरण को नकारात्मक रूप से प्रभावित करती है। जन्म और मृत्यु के मुख्य रजिस्ट्रार, गोवा श्री वी.बी. सक्सेना ने कहा कि गोवा राज्य में पुर्तगाली युग से डेटा रिकॉर्डिंग की विरासत है और इसे आज तक अच्छी तरह से बनाए रखा गया है। सुश्री शीतल वर्मा, आईएएस (यूपी) ने कहा है कि 2018 में जहां 38% मृत्यु पंजीकरण था, वहीं पिछले 3 वर्षों में यूपी में 72% तक मृत्यु पंजीकरण में सुधार हुआ है और राज्य साल दर साल अपने पंजीकरण में सुधार कर रहा है। उन्होंने आगे कहा कि पिछले 3 सालों में यूपी को मॉडल राज्य के रूप में विकसित किया गया है और अन्य राज्य भी हमारे मॉडल का अनुसरण कर रहे हैं. डॉ. निरूपमा डांगे, आईएएस (महाराष्ट्र) ने महाराष्ट्र के बारे में अपना अनुभव साझा किया। श्री कौशिक साहा आईएएस (डब्ल्यूबी) ने जन जागरूकता पर जोर दिया है। चर्चा के दौरान रामचन्द्रुडु, आईएएस, उदय नारायण दास, आईएएस, डॉ. रणदीप सिंह पूनिया ने भी अपने विचार साझा किये। चर्चा का संचालन डॉ. आकाश आनंद, एमएस, एमपीएमएमसीसी ने किया।
टीएमसी, एम्स, सीडीसी फाउंडेशन के विशेषज्ञों ने सत्र व्याख्यान साझा किया। NaStaCon 2024 में भारत भर के प्रतिनिधियों के नेतृत्व में मजबूत ज्ञान साझाकरण और विचार-मंथन हुआ, जो मृत्यु के कारणों के चिकित्सकीयप्रमाणन, नागरिक पंजीकरण और महत्वपूर्ण सांख्यिकी, प्रशासन, सूचना प्रौद्योगिकी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, असम, ओडिशा सहित 6 राज्यों के प्रख्यात आईएएस अधिकारियों, जनगणना कार्य निदेशालय के निदेशकों (गृह मंत्रालय) ने मृत्यु के प्रमाणन और पंजीकरण में सर्वोत्तम कार्य प्रणाली और चुनौतियों के बारे में बात की। अत्यधिक अनुभवी शिक्षाविद, राज्य स्वास्थ्य विभागों के शीर्ष अधिकारी, जन्म और मृत्यु के मुख्य रजिस्ट्रार, नगर निगम, भारत भरऔर अंतरराष्ट्रीय स्तर के प्रतिष्ठित संस्थानों के चिकित्सकों ने मृत्यु के कारणों के मेडिकल प्रमाणन, मेडिको लीगल डेथ इन्वेस्टिगेशन, वर्बल ऑटोप्सी, मॉर्टेलिटी कोडिंग एवं कैंसर सूचना कीसांख्यिकी पर विशेषज्ञ प्रशिक्षण व्याख्यान प्रदान किया। इस एक दिवसीय व्यापक कार्यक्रम में सम्मानित उपस्थित लोगों की ज्ञानवर्धक बातचीत और पैनल चर्चा हुईं।
श्री अक्षत वर्मा, आईएएस, नगर आयुक्त, वाराणसी; डॉ. संदीप चौधरी, मुख्य चिकित्सा अधिकारी, वाराणसी, डॉ शार्दूल सिंह, IMA, डॉ. दिव्या खन्ना, ए.के.एस. सोमवंशी, डॉ. शैलेश मोहिते, अरुण कुमार, डॉ. एस.एस. शर्मा, डॉ. डी.के. शर्मा, डॉ. रितुल कमल, डॉ. मोहन बैरा, डॉ. समन गमागे, दिव्या जैन, डॉ. गौरव पांडे, डॉ. जी रेड्डी, डॉ. रोज़मेरी डी’सूजा, डॉ. बुराहनुदीन क्यू, डॉ. हाफ़िज़, डॉ. एरिन निकोल्स, सुश्री सविता कुट्टन आदि और पूरे भारत से प्रतिभागी भी सम्मेलन में उपस्थित थे। कार्यक्रम के अंत में हेड एंड नेक सर्जन और उप निदेशक, सेंटर फॉर कैंसर एपिडेमियोलॉजी, टाटा मेमोरियल सेंटर, प्रोफेसर पंकज चतुर्वेदी द्वारा धन्यवाद प्रस्ताव दिया। कार्यक्रम का समापन डॉ. आकाश आनंद द्वारा किया।
NaStaCon2024 के बाद मृत्यु के कारणों के चिकित्सकीय प्रमाणन पर ट्रेनर का दो दिवसीय प्रशिक्षण होगा, जो मृत्यु के कारणों के चिकित्सकीय प्रमाणन को सुदृढ़ करने वाली इकाई, कैंसर महामारी विज्ञान केंद्र और महामना पंडित मदन मोहन मालवीय कैंसर केंद्र (MPMMCC)और होमी भाभा कैंसर अस्पताल (HBCH), जनगणना कार्य निदेशालय, उत्तर प्रदेश के द्वारा संयुक्त रूप से14 से 15 फरवरी 2024 को महामना पंडित मदन मोहन मालवीय कैंसर केंद्र, वाराणसी में आयोजित किया जाएगा। प्रशिक्षक कार्यशाला के इस प्रशिक्षण का उद्देश्य उत्तर प्रदेश राज्य के भीतर नागरिक पंजीकरण प्रणाली और मृत्यु के कारण के चिकित्सा प्रमाणन के लिए प्रशिक्षकों के एक समूह की क्षमता निर्माण करना है। इस कार्यशाला में भाग लेने वाले डॉक्टर हैं, जिन्हें चिकित्सा एवं स्वास्थ्य महानिदेशक और उत्तर प्रदेश भर के 18 सरकारी मेडिकल कॉलेजों द्वारा नामित किया गया है।
मृत्यु के कारणों के चिकित्सकीय प्रमाणन को मजबूत करने वाली इकाई, कैंसर महामारी विज्ञान केंद्र और महामना पंडित मदन मोहन मालवीय कैंसर केंद्र (एमपीएमएमसीसी) और होमी भाभा कैंसर अस्पताल (एचबीसीएच) ने जनगणना कार्य निदेशालय, उत्तर प्रदेश के साथ मिलकर 15 से 21 फरवरी 2024 तक महामनापंडित मदन मोहन मालवीय कैंसर केंद्र में एक आईसीडी मृत्यु कोडिंग कार्यशाला का आयोजन किया है। इस 6 दिवसीय कार्यशाला के लिए प्रतिभागियों को भारत भर के 6 राज्यों में सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों से नामित किया गया है। मृत्यु डेटा की सही कोडिंग स्वास्थ्य मंत्रालयों, अस्पतालों और राष्ट्रीय सांख्यिकीय डेटा संग्रहकर्ताओं के प्रमुख कार्यों में से एक है। स्वास्थ्य स्थिति का वर्णन करने के लिएकोडित मृत्यु दर डेटा का उपयोग सुविधा, प्रांतीय, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर किया जाता है। कोडित डेटा मृत्यु के प्रमुख कारणों का वर्णन करता है और संभावित निवारकरोकथाम एवं सार्वजनिक स्वास्थ्य रणनीतियों की पहचान करने में मदद करता है । यह पाठ्यक्रम सत्र मृत्यु दर निर्णय तालिकाओं का उपयोग करके ICD-10 मृत्यु दर कोडिंग में प्रतिभागियों के ज्ञान और कौशल में सुधार लाने के उद्देश्य से आयोजित किया जाना है।
एमसीसीडी क्या है?
आयु, लिंग और कारण-विशिष्ट मृत्यु दर जनसंख्या में स्वास्थ्य प्रवृत्तियों की साक्ष्य-आधारित निगरानी के लिए महत्वपूर्ण संकेतक हैं। विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं के लिए उचित उपचारात्मक और निवारक उपाय करने में योजनाकारों, प्रशासकों और चिकित्सा पेशेवरों के लिए मृत्यु के कारणों पर आंकड़े आवश्यक हैं। यह चिकित्सा अनुसंधान को आगे बढ़ाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और निगरानी के साथ-साथ निदान और विश्लेषण के तरीकों में सुधार के लिए मौलिक है।
जन्म और मृत्यु के पंजीकरण की प्रणाली के तहत, महत्वपूर्ण सांख्यिकी प्रणाली के एक अभिन्न अंग के रूप में मृत्यु के कारण के चिकित्सा प्रमाणन (एमसीसीडी) की योजना का उद्देश्य कारण-विशिष्ट मृत्यु दर आंकड़े तैयार करने के लिए एक विश्वसनीय और अस्थायी डेटाबेस प्रदान करना है। भारत के महारजिस्ट्रार का कार्यालय, नई दिल्ली , जन्म और मृत्यु पंजीकरण अधिनियम, 1969 के तहत विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के जन्म और मृत्यु के मुख्य रजिस्ट्रार से मृत्यु के कारणों पर डेटा प्राप्त करता है। जन्म और मृत्यु पंजीकरण (आरबीडी) अधिनियम, 1969 (2023 में संशोधित) के 10(2) और 10(3) के अंतर्गत संस्थागत मृत्यु के लिए आवश्यक डेटा संबंधित अस्पताल अधिकारियों द्वारा भरे गए निर्धारित प्रारूप (फॉर्म नंबर 4) में एकत्र किया जाना अनिवार्य है । गैर-संस्थागत मृत्यु के लिए एक अलग फॉर्म नंबर 4ए निर्धारित किया गया है, जिस पर उपचार करने वाले चिकित्सकों/डॉक्टरों द्वारा सूचना भरी जाती है। ये फॉर्म विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा विकसित मृत्यु के कारण के अंतरराष्ट्रीय प्रारूप और चिकित्सा प्रमाणीकरण के अनुरूप हैं। एमसीसीडी का अनुपालन न करने की स्थिति में धारा 23 के तहत दंड का प्रावधान है। इन आंकड़ों के आधार पर ही स्वास्थ्य संबंधी विभिन्न योजनाएं बनाई जाती हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने COVID-19 अवधि के दौरान मृतकों के परिजनों को मृत्यु के कारण के प्रपत्र की प्रति उपलब्ध कराने का आदेश दिया। पहले अधिनियम में मृत्यु के कारण के प्रपत्र का एक भाग परिजनों को देने का प्रावधान था परंतुइस भाग में मृत्यु का कारण नहीं लिखा होता था। इस सम्बन्ध में संशोधन 2023 के क्रम में, मृत्यु के कारण के विधिवत भरे हुए फॉर्म की प्रति मृतक के निकटतम रिश्तेदार को अंतिम उपचार करने वाले चिकित्सक द्वारा निःशुल्क प्रदान की जाएगी।