वर्ष भर सब्जी उत्पादन किसान के लिए एटीएम एवं कैश फसलों की तरह है
भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान, वाराणसी द्वारा अनुसूचित जाति उप-योजना अंतर्गत मलेठी, ग़ाज़ीपुर में 23 सितंबर 2025 को अनुसूचित जाति के किसानों को सब्जियों के बीज एवं कृषि इनपुट वितरण एवं जैविक रूप से सब्जियों की खेती पर प्रशिक्षण दिया गया।जहाँ अनुसूचित किसानों के लिए आईआईवीआर के वैज्ञानिकों द्वारा कृषक सशक्तिकरण की ओर बढ़ाया गया एक महत्वपूर्ण कदम है।
इस अवसर पर कुल 124 किसानों को, जिनमें 76 महिला किसान भी शामिल थीं, सब्जी बीज किट, ग्रेन्युल, ह्यूमिक बाल, पॉट मिक्स कम्पोस्ट के साथ ट्रेनिंग किट निःशुल्क प्रदान किया गया। संस्थान के द्वारा कार्यक्रम का क्रियान्वयन निदेशक डॉ. राजेश कुमार के मार्गदर्शन में किया जा रहा है। इस अवसर पर प्रधान वैज्ञानिक डॉ डी पी सिंह ने किसानों को वितरित उपकरणों के समूह में उपयोग करने हेतु प्रेरित किया तथा खाद्य सुरक्षा, पोषण सुरक्षा एवं सब्जी उत्पादन के माध्यम से आयवृद्धि के महत्व पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने यह कहा कि इस प्रकार की योजनाएं किसानों को आत्मनिर्भर और तकनीकी रूप से सशक्त बनाने की दिशा में एक सशक्त कदम हैं। संस्थान के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. अच्युत कुमार सिंह ने सब्जियों को रोग प्रतिरोधक किस्मों के विषय में जानकारी दी। डॉ भुवनेश्वरी ने किसानों को सब्जी बीजों के उत्पादन पर महत्वपूर्ण जानकारी दी जिससे किसान सब्जी उत्पादन के साथ ही सब्जी बीजों एवं रोपण पौध के उत्पादन से भी लाभ ले सकते हैं।
वैज्ञानिक डॉ विजय बहादुर चौहान ने किसानों को अच्छी फसल के लिए अच्छे बीजों का चुनाव करने के लाभ के विषय विस्तार से बताया। आईआईवीआर के वैज्ञानिकों ने बताया कि आधुनिक कृषि उपकरणों के प्रयोग से न केवल उनकी श्रम और समय की बचत होगी, बल्कि उत्पादन लागत में भी कमी आएगी।
कार्यक्रम की अध्यक्षता श्रीमती अंजू चतुर्वेदी, लहरी काशी एफपीओ की प्रेजिडेंट ने की और कहा कि सब्जी उत्पादन को बढ़ावा मिलने से परिवार की पोषण सुरक्षा को बढ़ावा मिलेगा और साथ ही किसानों के लिए अतिरिक्त आय के अवसर बढ़ेंगे। कार्यक्रम में महिला किसानों की सक्रिय भागीदारी से महिला सशक्तिकरण को बल मिला है।
रीइन्वेंट ऑर्गेनिक फार्मिंग प्रोड्यूसर कंपनी के निदेशक प्रतिनिधि श्री राम रतन सिंह ने कहा कि किसानों को समूह में सब्जी आईआईवीआर के सहयोग से अपनाना चाहिए।
श्री लोवकुश सतनामी ने सराहनीय योगदान दिया।