गंगा दशहरा पर काशी के घाटों पर उमड़ा आस्था का जनसैलाब

खबर को शेयर करे

लाखों श्रद्धालुओं ने लगाई आस्था की डुबकी

वाराणसी। धर्म और आध्यात्म की नगरी काशी में गंगा दशहरा का पर्व पारंपरिक श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया गया। इसे गंगावतरण दिवस भी कहा जाता है। ऐसे में भागीरथी की अविरल धारा में डुबकी लगाने के लिए आस्थावानों की भारी भीड़ उमड़ पड़ी। लाखों श्रद्धालुओं ने गंगा स्नान और दान कर पुण्य के भागी बने। इस दौरान प्रशासन भी अलर्ट रहा। ऐसी मान्यता है कि गंगा दशहरा के दिन गंगा स्नान से मनुष्य के सभी तरह के पाप कट जाते हैं और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।
गंगा दशहरा पर भोर से ही काशी के प्रसिद्ध 84 घाटों पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ पड़ी। दशाश्वमेघ घाट अस्सी घाट, पंचगंगा घाट, राजघाट और अन्य प्रमुख घाटों पर लाखों श्रद्धालुओं ने गंगा में आस्था की डुबकी लगाई। पुराणों में वर्णित है कि इस दिन गंगा स्नान करने मात्र से व्यक्ति के समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है। श्रद्धालुओं ने गंगा स्नान के पश्चात घाटों पर बैठे तीर्थ पुरोहितों को दान-पुण्य, वस्त्र और अन्न का दान किया। सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित कर भक्तों ने अपने वंश की सुख-समृद्धि और कल्याण की कामना की। तीर्थ पुरोहित अजय कुमार तिवारी ने बताया कि गंगा दशहरा का दिन दुर्लभ अवसरों में से एक है। यह वही दिन है जब भागीरथ के प्रयासों से मां गंगा धरती पर आईं थीं और यह उनके अवतरण का प्रतीक है।
पर्व को लेकर वाराणसी कमिश्नरेट पुलिस पूरी तरह से मुस्तैद रहा। श्रद्धालुओं की सुरक्षा हेतु एनडीआरएफ, जल पुलिस, स्थानीय पुलिस बल सहित गंगा समिति के स्वयंसेवकों को घाटों पर तैनात किया गया। प्रशासन द्वारा श्रद्धालुओं से अपील की गई कि वे बैरिकेडिंग के भीतर ही स्नान करें और किसी प्रकार की असुविधा होने पर निकटतम पुलिस चौकी या गंगा समिति से संपर्क करें।
मान्यता है कि इसी दिन मां गंगा भगवान शिव की जटाओं से निकलकर पृथ्वी पर अवतरित हुई थीं। राजा भगीरथ की कठोर तपस्या के फलस्वरूप मां गंगा का धरती पर आगमन हुआ था, ताकि वे उनके पूर्वजों का उद्धार कर सकें और उन्हें मोक्ष प्राप्त हो सके। स्कंदपुराण के अनुसार, ज्येष्ठ शुक्ल दशमी को संवत्सरमुखी तिथि माना गया है। इस दिन गंगा स्नान और दान-पुण्य का विशेष महत्व होता है। काशी में यह पर्व न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि भारत की सांस्कृतिक धरोहर और सनातन परंपरा का जीवंत उदाहरण भी है। घाटों पर फूल, दीप और मंत्रोच्चार के बीच आज वाराणसी में गंगा दशहरा एक आस्था के महापर्व के रूप में मनाया गया।
सुरक्षा की दृष्टि से चप्पे-चप्पे पर पुलिस की पैनी नजर एवं संबंधित संदिग्धों पर बनी रही।

इसे भी पढ़े -  प्रमुख सचिव चिकित्सा स्वास्थ्य ने डीडीयू सहित सीएचसी चोलापुर, आयुष्मान आरोग्य मंदिर सुरही का किया निरीक्षण, दिये आवश्यक दिशा-निर्देश