भारत-पाकिस्तान युद्धविराम: अमेरिका की मध्यस्थता से समझौता, लेकिन पाकिस्तान ने तोड़ा भरोसा

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भारत और पाकिस्तान ने एक बार फिर शांति की दिशा में कदम बढ़ाते हुए तत्काल प्रभाव से पूर्ण युद्धविराम पर सहमति जताई। इस समझौते को एक बड़ा कूटनीतिक मोड़ माना जा रहा है, जो दक्षिण एशिया में स्थायित्व की उम्मीद को फिर से जागृत करता है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया है कि इस युद्धविराम समझौते में अमेरिका ने एक महत्वपूर्ण मध्यस्थ की भूमिका निभाई है। ट्रंप के अनुसार, अमेरिका ने दोनों देशों को बातचीत के लिए तैयार किया और शांति बहाल करने की दिशा में राज़ी किया।

हालांकि यह शांति अल्पकालिक साबित हुई। समझौते के मात्र तीन घंटे बाद ही पाकिस्तान की ओर से संघर्षविराम का उल्लंघन करते हुए सीमा पर फायरिंग की गई। इस घटना ने एक बार फिर पाकिस्तान की नीयत पर सवाल खड़े कर दिए हैं। भारत ने पहले भी कई बार सीमा पर एकतरफा युद्धविराम का पालन किया है, लेकिन पाकिस्तान की ओर से बार-बार उल्लंघन किया गया है।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस तरह के समझौते तब तक प्रभावी नहीं हो सकते जब तक दोनों पक्षों में विश्वास बहाली की ठोस प्रक्रिया न अपनाई जाए। अमेरिका की भूमिका जहां सराहनीय है, वहीं पाकिस्तान की हरकतों ने इस पहल को कमजोर कर दिया है।

अब यह देखना दिलचस्प होगा कि भारत इस उल्लंघन पर क्या रुख अपनाता है और अंतरराष्ट्रीय समुदाय पाकिस्तान की जिम्मेदारी तय करने के लिए क्या कदम उठाता है। शांति की राह पर यह एक नई लेकिन कठिन शुरुआत मानी जा रही है।

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Shiv murti