भारत में आर्थिक विकास की गति मजबूत बनी हुई है, जहां हाल के आंकड़े और सरकारी नीतियां इस देश को वैश्विक आर्थिक मानचित्र पर एक नई पहचान दे रही हैं। पिछले कुछ सालों में भारतीय बाजार ने कई महत्वपूर्ण milestones पार किए हैं, और अब भी देश में लगातार नए रिकॉर्ड बन रहे हैं। महिलाओं के नेतृत्व में स्टार्टअप्स की बढ़ती संख्या, रोजगार सृजन, और सरकारी नीतियों से जुड़ी सकारात्मक पहलें भारतीय अर्थव्यवस्था को एक नई दिशा में ले जा रही हैं।
महिला नेतृत्व: स्टार्टअप्स में अहम भूमिका
भारत में स्टार्टअप्स की दुनिया तेजी से विकसित हो रही है, और यह विशेष रूप से महिलाओं के नेतृत्व में एक महत्वपूर्ण परिवर्तन देख रहा है। स्टार्टअप इंडिया पहल के तहत, अब तक 1.57 लाख से अधिक स्टार्टअप्स को मान्यता प्राप्त हो चुकी है। इनमें से 73,000 से अधिक स्टार्टअप्स में कम से कम एक महिला निदेशक हैं, जो भारतीय समाज में महिलाओं के उद्यमिता क्षेत्र में बढ़ती भूमिका को दर्शाता है।
भारत, जो अब दुनिया के तीसरे सबसे बड़े स्टार्टअप हब के रूप में उभर कर सामने आया है, इसके पीछे एक मजबूत घरेलू बाजार, डिजिटल इंडिया पहल और वैश्विक निवेशकों का भरोसा है। 2024 में, भारतीय स्टार्टअप्स ने आईपीओ के जरिए 29,247.4 करोड़ रुपये जुटाए, जो इस क्षेत्र की बढ़ती लोकप्रियता और निवेशकों के आकर्षण को साबित करता है। बंगलूरू, हैदराबाद, मुंबई, और दिल्ली-एनसीआर जैसे शहर अब नवाचार और शोध के प्रमुख केंद्र बन चुके हैं।
ईपीएफओ का बड़ा कदम: रिकॉर्ड सदस्य वृद्धि
देश में रोजगार के मोर्चे पर भी सकारात्मक बदलाव आ रहे हैं। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) ने अक्टूबर 2024 में रिकॉर्ड 13.41 लाख नए सदस्य जोड़े, जिनमें से 58.49 प्रतिशत सदस्य 18 से 25 वर्ष की उम्र के थे। महिलाओं का योगदान भी बढ़ा, जहां 2.09 लाख महिलाएं ईपीएफओ के नए सदस्य बनीं। यह वृद्धि भारतीय अर्थव्यवस्था में रोजगार के अवसरों के बढ़ने का संकेत है और यह युवा पीढ़ी के लिए एक सकारात्मक विकास है।
साथ ही, आंकड़ों के मुताबिक, लगभग 12.90 लाख सदस्य जिन्होंने पहले से ईपीएफओ में सदस्यता ली थी, वे अक्टूबर महीने में फिर से जुड़ गए। यह आंकड़ा अक्तूबर 2023 के मुकाबले 16.23 प्रतिशत अधिक है, जो भारत में सामाजिक सुरक्षा तंत्र के प्रभावी कार्यान्वयन को दर्शाता है।
सरकार की पहल: पीली मटर का आयात बढ़ेगा
केंद्र सरकार ने पीली मटर के बिना शुल्क आयात की अवधि बढ़ाकर फरवरी 2025 तक कर दी है। भारत पीली मटर का दुनिया का सबसे बड़ा आयातक है और वित्त वर्ष 2024 में 20 लाख टन पीली मटर का आयात किया गया था। यह निर्णय खाद्य सुरक्षा और कृषि क्षेत्र में सरकार की प्रतिबद्धता को साबित करता है, जो किसानों की समस्याओं का समाधान करने और देश के खाद्य आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत करने के लिए काम कर रही है।
यह कदम भारत में कृषि उत्पादों के संतुलन को बनाए रखने में मदद करेगा, क्योंकि पीली मटर एक महत्वपूर्ण आहार है, और इसकी उपलब्धता सीधे तौर पर घरेलू बाजार पर प्रभाव डालती है।
सेबी के साथ मामला सुलझाने वाली कंपनियां
वित्तीय बाजार में पारदर्शिता और निवेशकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सेबी (भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड) ने एक और कदम उठाया है। तीन कंपनियां और व्यक्ति 28.5 लाख रुपये का जुर्माना भरकर सेबी के साथ अपने उल्लंघन मामले को निपटाने में सफल रहे हैं। इनमें पी रामा कृष्णा, उत्तिष्ठ विराट फंड और उत्तिष्ठ मैनेजमेंट शामिल हैं। इन कंपनियों ने अल्टरनेट इन्वेस्टमेंट फंड (AIF) के नियमों का उल्लंघन किया था, जिसके लिए सेबी ने कार्रवाई की।
यह कदम भारतीय वित्तीय बाजारों में सुरक्षा और पारदर्शिता को बढ़ावा देने के लिए जरूरी है, जिससे निवेशकों का विश्वास बना रहता है और बाजार की स्थिरता बनी रहती है।
सरकार का लक्ष्य: राजकोषीय घाटे को घटाना
भारत सरकार वित्तीय वर्ष 2025-26 में राजकोषीय घाटे को जीडीपी के 4.5 प्रतिशत तक लाने का लक्ष्य लेकर चल रही है। इसके लिए सरकार ने गुणवत्तापूर्ण खर्च में सुधार और सामाजिक सुरक्षा तंत्र को मजबूत करने के उपायों पर ध्यान केंद्रित किया है। वित्त मंत्रालय का कहना है कि यह कदम देश की आर्थिक स्थिति को सुधारने और समग्र विकास को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण है।
वित्त मंत्री फरवरी 2025 में अपना बजट पेश करने वाली हैं, जिसमें इन लक्ष्यों के लिए नए उपायों की घोषणा हो सकती है।
अर्थव्यवस्था में बढ़ोतरी की संभावना: 6.5% की वृद्धि का अनुमान
भारत की घरेलू अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर को लेकर उम्मीदें बनी हुई हैं। अर्न्स्ट एण्ड यंग (ईवाई) की रिपोर्ट के अनुसार, आगामी वर्षों में अर्थव्यवस्था में 6.5 प्रतिशत की दर से वृद्धि होने की संभावना है। हालांकि, 2023 की तीसरी तिमाही में वृद्धि दर अनुमान से कम रही थी, जो 5.4 प्रतिशत रही। इसके बावजूद, भविष्य में निजी निवेश और सरकारी खर्च में सुधार होने के साथ-साथ भारतीय अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ने की दिशा में अग्रसर है।
हालांकि, सरकारी निवेश में कुछ कमी आई है, और पहली छमाही में 15.4 प्रतिशत की गिरावट आई है, लेकिन आने वाले समय में यह स्थिति सुधरने की संभावना है, जिससे वृद्धि दर पर भी सकारात्मक असर पड़ेगा।