नई दिल्ली: भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) ने प्राथमिकता क्षेत्र के लिए ऋण ढांचे में सुधार की आवश्यकता जताई है और सुझाव दिया है कि इसमें उभरते क्षेत्रों जैसे डिजिटल बुनियादी ढांचा, हरित पहल और स्वास्थ्य सेवा को शामिल किया जाना चाहिए। सीआईआई का कहना है कि इन क्षेत्रों में अधिक वित्तीय सहायता देने के लिए भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (SIDBI) और राष्ट्रीय अवसंरचना वित्तपोषण एवं विकास बैंक (NIFDC) जैसे संस्थानों की भूमिकाएं महत्वपूर्ण हो सकती हैं।
प्राथमिकता क्षेत्र ऋण ढांचे में सुधार की आवश्यकता
सीआईआई के अनुसार, प्राथमिकता क्षेत्र के कर्ज नियमों को फिर से परिभाषित किया जाना चाहिए, ताकि उन क्षेत्रों को बेहतर रूप से शामिल किया जा सके जो वर्तमान में विकसित हो रहे हैं और जो देश की आर्थिक वृद्धि में महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं। सीआईआई ने यह भी कहा कि कुछ नए और उभरते क्षेत्रों के लिए उच्च स्तरीय समिति बनानी चाहिए, जो प्राथमिकता क्षेत्र के कर्ज के नियमों में संशोधन के लिए मार्गदर्शन कर सके।
भारत के प्राथमिकता क्षेत्र में कृषि और सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग (MSMEs) प्रमुख रूप से शामिल हैं। लेकिन सीआईआई का मानना है कि आज के बदलते आर्थिक परिप्रेक्ष्य में, डिजिटल बुनियादी ढांचा, स्वास्थ्य सेवा और हरित पहल जैसे नए क्षेत्रों को प्राथमिकता के ऋण ढांचे में समाहित किया जाना चाहिए। इन क्षेत्रों में भारी निवेश की आवश्यकता है और इनसे न केवल रोजगार सृजन होगा, बल्कि ये भारत की वैश्विक प्रतिस्पर्धा को भी बढ़ा सकते हैं।
कृषि क्षेत्र और ऋण आवंटन
आज के समय में कृषि क्षेत्र भारतीय जीडीपी में 14% का योगदान करता है, लेकिन इसके लिए प्राथमिक क्षेत्र कर्ज आवंटन अभी भी 18% पर बना हुआ है। यह कर्ज आवंटन तब से अपरिवर्तित है, जब कृषि क्षेत्र का जीडीपी में योगदान 30% से अधिक था। इस स्थिर कर्ज आवंटन का तात्पर्य है कि कृषि क्षेत्र को अपनी बदलती जरूरतों के हिसाब से पर्याप्त ऋण नहीं मिल रहा है। कृषि क्षेत्र में बढ़ती निवेश की आवश्यकता को देखते हुए, इसे प्राथमिकता क्षेत्र कर्ज में अधिक स्थान मिलने की आवश्यकता है।
सीआईआई ने सुझाव दिया है कि कृषि क्षेत्र के लिए वित्तीय सहायता में वृद्धि की जाए और किसानों को दी जा रही योजनाओं की प्रभावशीलता को बढ़ाया जाए। साथ ही, कृषि से संबंधित अन्य उभरते क्षेत्रों जैसे एग्री-टेक, ड्रोन आधारित कृषि समाधान और जलवायु परिवर्तन अनुकूल कृषि उपायों को प्राथमिकता क्षेत्र में शामिल किया जाना चाहिए।
नए उभरते क्षेत्रों में निवेश और नीतिगत सुधार
सीआईआई का कहना है कि आज की आर्थिक स्थिति और भविष्य के विकास के लिए हरित पहल (Green Initiatives), स्वास्थ्य सेवा और डिजिटल बुनियादी ढांचे जैसे उभरते क्षेत्रों में भारी निवेश की आवश्यकता है। इस समय, भारत की विकास प्रक्रिया में इन क्षेत्रों का योगदान बढ़ रहा है, लेकिन इन क्षेत्रों को प्राथमिकता क्षेत्र में पर्याप्त कर्ज नहीं मिल पा रहा है।
हरित पहल जैसे स्वच्छ ऊर्जा और जलवायु परिवर्तन के समाधान, और डिजिटल बुनियादी ढांचा जैसे 5G, इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT), और स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट्स में निवेश के लिए भी वित्तीय सहायता का दायरा बढ़ाना आवश्यक है। साथ ही, स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में भी अधिक निवेश की जरूरत है, ताकि देश में स्वास्थ्य सुविधाएं बेहतर हो सकें और इस क्षेत्र की विकास दर बढ़ सके।
एनटीटी डाटा का एआई में निवेश
इस बीच, जापान की प्रमुख आईटी सेवा प्रदाता कंपनी एनटीटी डाटा ने घोषणा की है कि वह भारत में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के क्षेत्र में निवेश बढ़ाएगी। एनटीटी डाटा ने कहा कि वह भारतीय स्टार्टअप्स और तकनीकी कंपनियों के साथ साझेदारी करेगी ताकि एआई और डेटा एनालिटिक्स के क्षेत्रों में नवाचार को बढ़ावा दिया जा सके। कंपनी ने यह भी कहा कि भारत में एआई के क्षेत्र में विकास के लिए जरूरी आधारभूत संरचनाएं तैयार की जाएंगी, जिससे भारत का डिजिटल रूपांतरण तेज होगा और नई नौकरियों के अवसर भी पैदा होंगे।
एनटीटी डाटा का यह कदम भारत में तकनीकी क्रांति की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। भारत, जो अब एआई और डिजिटल नवाचार में प्रमुख स्थान बना रहा है, एनटीटी डाटा जैसे वैश्विक कंपनियों के निवेश से और अधिक समृद्ध होगा। इससे भारतीय युवा पेशेवरों के लिए नए करियर के अवसर पैदा होंगे और भारतीय कंपनियों को भी एआई और डेटा एनालिटिक्स जैसे अत्याधुनिक क्षेत्रों में बढ़त मिलेगी।
सीआईआई की सिफारिशें और सरकार की भूमिका
सीआईआई का यह भी मानना है कि सरकार को प्राथमिकता क्षेत्र के कर्ज के नियमों को फिर से परिभाषित करने की दिशा में कार्रवाई करनी चाहिए। इसके तहत नई नीतियाँ और योजनाएं बनाई जा सकती हैं जो उभरते क्षेत्रों को और अधिक सशक्त बनाएं। सरकार को इन नए क्षेत्रों के लिए विशेष वित्तीय पैकेज और कर्ज आवंटन की सुविधा प्रदान करनी चाहिए, जिससे कंपनियों और स्टार्टअप्स को पूंजी प्राप्त करने में आसानी हो।
इसके अलावा, सीआईआई ने यह भी कहा है कि सरकार को सरकारी बैंकों और वित्तीय संस्थानों को प्रेरित करना चाहिए ताकि वे प्राथमिकता क्षेत्र के ऋण वितरण में बदलाव करें और इन नए क्षेत्रों को ज्यादा स्थान दें। इसके लिए सरकार को वित्तीय संस्थानों के साथ मिलकर एक रोडमैप तैयार करना होगा, जो उभरते क्षेत्रों में निवेश के रास्ते को सरल बनाए।