ऑस्कर 2025 में भारत की ओर से एकमात्र फिल्म ‘लापता लेडीज’ को चयनित किया गया था। यह फिल्म ग्रामीण क्षेत्रों की समस्याओं और वहां की वास्तविकताओं को बेहद संवेदनशीलता के साथ दर्शाती है। हालांकि, इस फिल्म को पहले ही राउंड से बाहर कर दिया गया, जिससे दर्शकों के बीच गुस्सा फैल गया है। फैंस का गुस्सा अब सोशल मीडिया पर जोर-शोर से सामने आ रहा है।
‘लापता लेडीज’: एक महत्वपूर्ण फिल्म
‘लापता लेडीज’ फिल्म ने अपनी कहानी के माध्यम से ग्रामीण भारत की समस्याओं को उजागर किया। यह फिल्म उन महिलाओं के संघर्ष को दिखाती है जो न सिर्फ सामाजिक, बल्कि मानसिक और शारीरिक रूप से भी कठिनाईयों का सामना कर रही हैं। इसके माध्यम से यह सवाल उठता है कि क्या भारतीय सिनेमा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी सामाजिक प्रतिबद्धताओं को सही तरीके से प्रस्तुत करने में सक्षम है?
ऑस्कर से बाहर होने का असर
ऑस्कर से बाहर होने के बाद ‘लापता लेडीज’ को लेकर फैंस का गुस्सा सोशल मीडिया पर तेजी से फैल गया। कई लोग इसे भारतीय सिनेमा की असफलता मान रहे हैं, जबकि कुछ इसे ऑस्कर की चयन प्रक्रिया के खिलाफ एक असंवेदनशील कदम मान रहे हैं। सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर इस घटना ने एक नई बहस को जन्म दिया है: क्या भारतीय फिल्म उद्योग को और ज्यादा मेहनत करनी चाहिए?
‘लापता लेडीज’ के बाहर होने पर फैंस का गुस्सा
ऑस्कर से बाहर होने के बाद फैंस ने ट्विटर, इंस्टाग्राम और फेसबुक पर अपनी नाराजगी जाहिर की। उन्होंने फिल्म के चयन प्रक्रिया को लेकर सवाल उठाए और कहा कि भारतीय फिल्म को अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपनी पहचान बनाने का पूरा हक था। कई यूजर्स ने ‘लापता लेडीज’ के खिलाफ निर्णय को एक अन्याय माना, और इसके विषय में बहुत गहरी बातें भी लिखीं।
भारतीय सिनेमा की ओर से उम्मीदें और सच्चाई
‘लापता लेडीज’ के बाहर होने के बाद भारतीय सिनेमा के भविष्य को लेकर भी कई सवाल उठ रहे हैं। क्या यह फिल्म इंडस्ट्री के लिए एक सबक है कि हमें अपनी फिल्में और उनकी कहानी को और बेहतर बनाने की आवश्यकता है? भारतीय सिनेमा को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनानी है, और इसके लिए उसे नई दिशा और प्रौद्योगिकी की आवश्यकता हो सकती है।