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BHU के डॉक्टरों ने किया कमाल: ट्यूमर से जूझ रहे एक साल के मासूम को नई जिंदगी

BHU के डॉक्टरों ने किया कमाल: ट्यूमर से जूझ रहे एक साल के मासूम को नई जिंदगी
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वाराणसी स्थित बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) के डॉक्टरों ने एक और मिसाल पेश की है। ट्यूमर जैसी गंभीर समस्या से जूझ रहे एक साल के मासूम बच्चे को नई जिंदगी देने में डॉक्टरों की टीम सफल रही। बच्चे की यह सर्जरी बेहद चुनौतीपूर्ण थी, लेकिन विशेषज्ञ डॉक्टरों ने अपने कौशल और मेहनत के दम पर यह असंभव लगने वाला काम सफलतापूर्वक कर दिखाया।

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ट्यूमर का दर्द: एक साल के मासूम की मुश्किलें

बचपन का समय हंसने-खेलने का होता है, लेकिन एक साल का यह मासूम बच्चे दर्द और परेशानी के बीच जीने को मजबूर था। उसके शरीर में ट्यूमर विकसित हो गया था, जिसके कारण वह न केवल दर्द में था बल्कि उसकी जिंदगी भी खतरे में पड़ गई थी। बच्चे के माता-पिता इस समस्या से बेहद परेशान थे और कई जगह इलाज के लिए भटक चुके थे। आखिरकार उन्होंने BHU अस्पताल में विशेषज्ञ डॉक्टरों से संपर्क किया।

BHU के डॉक्टरों ने ली चुनौती

बच्चे की गंभीर स्थिति को देखते हुए BHU के डॉक्टरों ने इस चुनौती को स्वीकार किया। डॉक्टरों का कहना था कि इतने छोटे बच्चे की सर्जरी करना बेहद जोखिम भरा होता है।

  • बच्चे की उम्र और शरीर की नाजुकता को देखते हुए यह एक जटिल सर्जरी थी।
  • ट्यूमर का आकार बड़ा होने की वजह से यह सर्जरी तकनीकी दृष्टि से भी काफी चुनौतीपूर्ण थी।

सर्जरी की तैयारी: टीम ने की पूरी प्लानिंग

सर्जरी से पहले डॉक्टरों की टीम ने बच्चे की पूरी मेडिकल जांच की। डॉक्टरों ने बताया कि सर्जरी से पहले कई तरह के टेस्ट किए गए ताकि ट्यूमर की सही स्थिति और आकार का पता चल सके। सर्जरी के लिए विशेष टीम गठित की गई, जिसमें शामिल थे:

  • सर्जरी विशेषज्ञ
  • एनेस्थीसिया विशेषज्ञ
  • पीडियाट्रिक विशेषज्ञ
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दो घंटे तक चली सफल सर्जरी

डॉक्टरों की टीम ने पूरी सावधानी और बारीकी के साथ ऑपरेशन शुरू किया।

  • सर्जरी दो घंटे तक चली, जिसमें ट्यूमर को सफलतापूर्वक निकाला गया।
  • सर्जरी के दौरान बच्चे की स्थिति पर लगातार नजर रखी गई।
  • इसके बाद बच्चे को तीन घंटे तक वेंटिलेटर पर रखा गया ताकि उसकी स्थिति सामान्य हो सके।
  • डॉक्टरों की यह मेहनत रंग लाई और सर्जरी सफलतापूर्वक पूरी हुई।

बच्चे की स्थिति में सुधार

सर्जरी के बाद डॉक्टरों ने बच्चे की स्थिति पर लगातार नजर रखी।

  • वेंटिलेटर से हटाने के बाद बच्चे की हालत धीरे-धीरे सामान्य होने लगी।
  • डॉक्टरों का कहना है कि बच्चे की रिकवरी उम्मीद से बेहतर हो रही है।
  • माता-पिता ने डॉक्टरों का धन्यवाद करते हुए कहा कि BHU अस्पताल ने उनके बच्चे को नई जिंदगी दी है।

विशेषज्ञ डॉक्टरों का अनुभव

इस सर्जरी को सफल बनाने के पीछे BHU के डॉक्टरों का अनुभव और समर्पण महत्वपूर्ण रहा। डॉक्टरों ने बताया कि छोटे बच्चों में ट्यूमर की सर्जरी करना कई जोखिमों से भरा होता है।

  • बच्चों की रक्त नलिकाएं बेहद नाजुक होती हैं, जिससे सर्जरी के दौरान अधिक सतर्कता बरतनी पड़ती है।
  • एनेस्थीसिया का सही प्रबंधन भी बेहद जरूरी होता है, क्योंकि छोटी सी चूक से बड़े नुकसान हो सकते हैं।
  • डॉक्टरों की टीम ने न केवल सर्जरी सफलतापूर्वक की बल्कि बच्चे की जिंदगी को नया आयाम भी दिया।

ट्यूमर: छोटे बच्चों में कैसे होता है विकसित

डॉक्टरों के अनुसार, बच्चों में ट्यूमर का विकसित होना दुर्लभ होता है, लेकिन कई कारणों से यह हो सकता है:

  • अनुवांशिक कारण: परिवार में किसी को ट्यूमर की समस्या होने पर बच्चों में इसके विकसित होने की संभावना बढ़ जाती है।
  • असामान्य कोशिका विकास: शरीर की कोशिकाओं में असामान्य वृद्धि होने के कारण ट्यूमर बन सकता है।
  • प्रसवकालीन समस्याएं: जन्म के समय कुछ शारीरिक विकृतियों के कारण यह समस्या हो सकती है।
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माता-पिता की भावनाएं: बच्चे को मिली नई जिंदगी


बच्चे की सर्जरी सफल होने के बाद माता-पिता की खुशी का ठिकाना नहीं था। उनका कहना था: “हमारे लिए यह चमत्कार से कम नहीं है। हमारे बच्चे का दर्द अब खत्म हो गया है। BHU के डॉक्टरों ने हमारे परिवार को नई उम्मीद और हमारे बच्चे को नई जिंदगी दी है।” माता-पिता ने BHU अस्पताल के डॉक्टरों और स्टाफ का दिल से आभार व्यक्त किया।

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