उत्तर प्रदेश विधानसभा के शीतकालीन सत्र के पहले दिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने संभल में पिछले कुछ वर्षों में हुए सांप्रदायिक दंगों पर अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि 1947 से अब तक संभल में हुए दंगों में 209 हिंदू मारे गए हैं, लेकिन कभी किसी ने इन निर्दोष लोगों के लिए संवेदना व्यक्त नहीं की। इसके विपरीत, हालिया संभल दंगे को लेकर कुछ लोग आंसू बहा रहे हैं।
मुख्यमंत्री योगी ने अपने भाषण में कुछ महत्वपूर्ण बिंदु उठाए:
- धार्मिक सौहार्द पर टिप्पणी: उन्होंने कहा कि मुस्लिम समाज का जुलूस जब मंदिर के पास से गुजरता है, तो कोई समस्या नहीं होती, लेकिन हिंदू समाज की शोभायात्रा मस्जिद के पास से गुजरने पर समस्या क्यों होती है?
- धार्मिक नारे पर प्रतिक्रिया: योगी ने यह सवाल उठाया कि यदि उन्हें “अल्लाह हू अकबर” का नारा अच्छा नहीं लगता, तो लोग क्या प्रतिक्रिया देंगे? जबकि वे जय श्रीराम और हर हर महादेव जैसे नारों के साथ जीवन बिता सकते हैं।
- संविधान का संदर्भ: उन्होंने संविधान की बात करते हुए कहा कि बाबा साहेब अंबेडकर द्वारा निर्मित संविधान में कहीं भी धर्मनिरपेक्षता, पंथनिरपेक्षता या समाजवाद शब्द नहीं है। इसमें राम, कृष्ण, बजरंगबली और बुद्ध की परंपरा की बात की गई है।
- संभल में तनाव: योगी ने कहा कि संभल में उत्पन्न तनाव का कारण पत्थरबाज हैं, और बिना साक्ष्य के किसी की गिरफ्तारी नहीं की जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि जिन लोगों ने पत्थरबाजी की है, वे बख्शे नहीं जाएंगे।
- सम्प्रदायिक विवाद: संभल में जामा मस्जिद को लेकर सुन्नी और शिया के बीच विवाद हुआ था, जिसे भाजपा शासन में सुलझा लिया गया था। अब हिंदुओं के साथ वहां विवाद हो रहा है। योगी ने कहा, “न बंटेंगे और न कटेंगे।”
योगी ने इस भाषण में धार्मिक सौहार्द को बनाए रखने का संदेश दिया, जबकि सांप्रदायिक तनाव और विवादों की सख्त आलोचना की।