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विश्व विजेता डी गुकेश की जेब पर पड़ेगा तगड़ा इनकम टैक्स का बोझ, शतरंज की इस सफलता की कीमत चुकानी होगी

शतरंज की इस सफलता की कीमत चुकानी होगी
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दुनिया के सबसे बेहतरीन शतरंज खिलाड़ियों में से एक, डी गुकेश ने हाल ही में विश्व शतरंज चैंपियनशिप जीतकर इतिहास रच दिया। बचपन में शतरंज की बारीकियों को समझने वाले इस युवा खिलाड़ी ने अब अपनी मेहनत से शतरंज की दुनिया में एक नया मुकाम हासिल किया है। जहां एक तरफ गुकेश की इस सफलता ने उन्हें लाखों प्रशंसा और पुरस्कार दिलाए हैं, वहीं दूसरी ओर इस चमत्कारी जीत पर उन्हें तगड़ा इनकम टैक्स भी देना होगा।

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शतरंज की दुनिया का चमकता सितारा

डी गुकेश, जिनका नाम आज हर शतरंज प्रेमी की जुबान पर है, ने हाल ही में विश्व शतरंज चैंपियनशिप में विजय प्राप्त कर सबको हैरान कर दिया। इस जीत के बाद, उन्हें लगभग 12 करोड़ रुपये का पुरस्कार मिला है। यह रकम उनके लिए एक बड़ी उपलब्धि के रूप में सामने आई है, क्योंकि एक युवा खिलाड़ी के तौर पर यह उन्हें और उनके परिवार को वित्तीय रूप से स्थिर कर सकता है।

गुकेश की यह जीत न केवल उनकी व्यक्तिगत सफलता है, बल्कि शतरंज के खेल के प्रति भारत के बढ़ते जुनून का प्रतीक भी है। विश्व विजेता बनने के बाद उनकी नेटवर्थ अब लगभग 21 करोड़ रुपये हो चुकी है, जो एक शानदार उपलब्धि है। इससे पहले, उनकी कुल संपत्ति 8 करोड़ रुपये के आसपास थी, लेकिन इस बड़ी जीत के बाद यह आंकड़ा काफी बढ़ गया है।

विजेता बनने की कीमत: इनकम टैक्स का तगड़ा बोझ

लेकिन, हर शानदार सफलता के साथ एक कड़वी सच्चाई भी जुड़ी होती है। गुकेश को अपनी इस जीत पर अब इनकम टैक्स चुकाना होगा, और यह रकम किसी छोटे-मोटे आंकड़े में नहीं, बल्कि तगड़ी होगी। रिपोर्ट्स के अनुसार, भारत में गुकेश संभवतः 30% के कर स्लैब में आते हैं, जिसका मतलब है कि उन्हें 12 करोड़ रुपये के पुरस्कार पर लगभग 3 करोड़ रुपये का आयकर देना होगा।

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यह खबर उनके प्रशंसकों के लिए थोड़ी अप्रत्याशित हो सकती है, क्योंकि एक युवा खिलाड़ी के लिए इतनी बड़ी रकम का टैक्स देना निश्चित रूप से एक बड़ा कदम होगा। हालांकि, यह भी सच है कि एक बार कोई व्यक्ति बड़ी सफलता प्राप्त करता है, तो उसे इनकम टैक्स जैसी जिम्मेदारियों का सामना भी करना पड़ता है।

भारत में शतरंज की सफलता पर टैक्स की छाया

शतरंज, जिसे भारत में हमेशा से एक मानसिक खेल के रूप में देखा गया है, अब न केवल एक खेल, बल्कि एक बड़ा व्यवसाय बन चुका है। विशेषकर तब जब किसी खिलाड़ी को इतनी बड़ी रकम मिल रही हो। यही कारण है कि आजकल शतरंज के बड़े खिलाड़ियों को न केवल खेल के पुरस्कार मिलते हैं, बल्कि उनके साथ जुड़े हुए कर संबंधी मुद्दे भी चर्चा में रहते हैं।

गुकेश के मामले में, उनकी सफलता ने यह सिद्ध कर दिया कि शतरंज अब सिर्फ एक खेल नहीं रह गया, बल्कि यह एक पूर्णत: प्रोफेशनल और वित्तीय दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण क्षेत्र बन चुका है। ऐसे में, भारत में खेल से जुड़ी कमाई पर टैक्स की छाया और अधिक गहरी हो रही है।

गुकेश की यात्रा: संघर्ष और सफलता का मिश्रण

डी गुकेश की यात्रा एक प्रेरणा है। शतरंज की दुनिया में कदम रखने से पहले, वे भी अपने खेल में काफी संघर्ष कर रहे थे। किसी भी खेल की शुरुआत में मुश्किलें आती हैं, और शतरंज भी कोई अपवाद नहीं है। गुकेश ने अपनी यात्रा के शुरुआती दिनों में कठिनाइयों का सामना किया, लेकिन उनकी दृढ़ निश्चय और मेहनत ने उन्हें शतरंज के शिखर पर पहुंचा दिया।

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उनकी सफलता केवल उनके व्यक्तिगत प्रयास का नतीजा नहीं है, बल्कि उनके परिवार और कोचों का भी योगदान है। यह उनकी मेहनत का ही परिणाम है कि उन्होंने आज विश्व शतरंज चैंपियनशिप जैसी प्रतिष्ठित प्रतियोगिता जीत ली है।

टैक्स के बोझ से कैसे निपटेगें गुकेश

अब सवाल यह है कि गुकेश इस टैक्स के बोझ को कैसे उठाएंगे? अगर हम गौर करें, तो भारत में इनकम टैक्स के नियमों के तहत, किसी भी विजेता को मिले पुरस्कार राशि पर टैक्स देना आवश्यक होता है। हालांकि, गुकेश की आय का बड़ा हिस्सा शतरंज प्रतियोगिताओं से आता है, और इसके अलावा वे विभिन्न ब्रांड्स के प्रमोशन और अन्य कमाई के रास्तों से भी कुछ वित्तीय लाभ अर्जित कर सकते हैं।

गुकेश को इस टैक्स के बोझ से बचने के लिए कुछ उपाय भी हो सकते हैं। उन्हें अपनी आय को सही तरीके से मैनेज करना होगा, और संभावित टैक्स बचत योजनाओं का भी लाभ उठाना होगा। इसके लिए वे कर सलाहकार से सलाह लेकर अपनी वित्तीय योजना को बेहतर तरीके से बना सकते हैं।

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