मलयालम अभिनेता दिलीप पांच दिसंबर को भगवान अय्यप्पा के दर्शन के लिए सबरीमाला पहुंचे। रात्रि में मंदिर बंद होने से ठीक पहले उन्होंने दर्शन किए। दर्शन के बाद दिलीप हरिवरासनम के कार्यक्रम में शामिल हुए। इस दौरान उन्हें वीआईपी ट्रीटमेंट दिया गया, जिससे अन्य तीर्थयात्रियों को दर्शन में बाधा का सामना करना पड़ा।
वीआईपी ट्रीटमेंट पर हाईकोर्ट की नाराजगी
भगवान अय्यप्पा मंदिर में अभिनेता दिलीप को दिए गए विशेषाधिकार को लेकर केरल हाईकोर्ट ने नाराजगी जताई। हाईकोर्ट ने तीर्थयात्रियों के दर्शन रोकने को गंभीर मामला माना। न्यायमूर्ति अनिल के नरेंद्र और न्यायमूर्ति मुरली कृष्ण एस की पीठ ने कहा कि यह मामला केवल दो मिनट का नहीं है, क्योंकि अभिनेता को दर्शन कराने के लिए सोपानम के सामने की पहली दो पंक्तियां काफी देर तक बंद रहीं।
त्रावणकोर देवस्वम बोर्ड को फटकार
हाईकोर्ट ने त्रावणकोर देवस्वम बोर्ड (टीडीबी) को इस तरह के विशेषाधिकारों पर लगाम लगाने का निर्देश दिया। अदालत ने देवस्वम बोर्ड से पूछा कि तीर्थयात्रियों को रोके जाने पर क्या कार्रवाई की गई है। बोर्ड ने बताया कि इस मामले में दो गार्डों समेत अन्य अधिकारियों को नोटिस दिया गया है।
सीसीटीवी फुटेज में हुआ खुलासा
हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान सीसीटीवी फुटेज पेश की गई। फुटेज के अनुसार, रात करीब 10:51 बजे ड्यूटी पर तैनात गार्ड ने सोपानम के सामने पहली पंक्ति से तीर्थयात्रियों की आवाजाही को रोक दिया। इसके बाद रात 10:58 बजे दिलीप दक्षिणी तरफ से सोपानम की पहली पंक्ति में पहुंचे और 11:05:45 बजे तक वहीं रहे।
अदालत के सख्त निर्देश
अदालत ने कहा कि वीडियो से स्पष्ट है कि तीर्थयात्रियों की आवाजाही को जानबूझकर रोका गया। हाईकोर्ट ने त्रावणकोर देवस्वम बोर्ड और मुख्य पुलिस समन्वयक को निर्देश दिया कि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों। अदालत ने यह भी कहा कि सोपानम के सामने तीर्थयात्रियों के दर्शन में बाधा उत्पन्न करने के लिए किसी को भी विशेषाधिकार नहीं दिया जाना चाहिए।
आगे की कार्रवाई की तैयारी
अदालत ने देवस्वम बोर्ड सचिव और मुख्य पुलिस समन्वयक से रिपोर्ट मांगी है। इस रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई का निर्णय लिया जाएगा। मामले की अगली सुनवाई शुक्रवार को होगी।
निष्कर्ष
यह घटना मंदिर प्रशासन और वीआईपी ट्रीटमेंट के मुद्दों पर सवाल खड़े करती है। केरल हाईकोर्ट का यह कदम सुनिश्चित करेगा कि सबरीमाला जैसे पवित्र स्थलों पर सभी तीर्थयात्रियों को समान अधिकार और सम्मान मिले।