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“अवध में कैसी धूम मची है, राम नाम ने लियो अवतार”

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बनारस घराने ने सुनाई रामजन्म भूमि की बंदिश

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बनारस घराने के पं. देवव्रत ने कहा- 10 साल पहले बनाया गाना गा रहा, क्योंकि आज सच हो रहा है

काशी-तमिल संगमम के द्वितीय संस्करण के सांस्कृतिक कार्यक्रमों की आठवीं संध्या पर हुईं नौ प्रस्तुतियां

काशी-तमिल संगमम के द्वितीय संस्करण के सांस्कृतिक कार्यक्रमों की आठवीं संध्या पर काशी और तमिलनाडु के नौ सांस्कृतिक कार्यक्रम हुए। दोनों राज्यों के शास्त्रीय और लोक नृत्य, गायन और वाद्य वादन आदि मंच पर प्रस्तुत किए गए।  सोमवार को तमिलनाडु और वाराणसी के दर्शक गणों ने नमो घाट पर आयोजित सभी नौ प्रस्तुतियों को बड़े भाव पूर्वक देखा। मां गंगा के तट पर आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रमों का लुत्फ उठाकर समस्त डेलीगेट्स काफी हर्षित नजर आए। काशी तमिल संगमम के द्वितीय संस्करण  के सांस्कृतिक संध्या का आयोजन उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र प्रयागराज एवं दक्षिण क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र तंजावूर, संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार द्वारा किया गया है।

सोमवार शाम की पहली प्रस्तुति वाद्य लोक आधारित ट्राइबल डांस, कनियाकूथू की रही। तमिलनाडु के तिरुनिवेली से आए एस थंगराज और टीम वाद्य कला कला पर साथी पुरुष कलाकारों ने लाल ब्लाऊज और साड़ी में काफी ऊर्जावान नृत्य किया। ये परंपरागत आदिवासी नृत्य है। यह केरल के दक्षिणी-पश्चिमी क्षेत्र में प्रचलित है। वहां की धार्मिक मौके पर किया जाता है। दूसरी प्रस्तुति आर गीता द्वारा वल्ली ओयली कुम्मी कोलट्टम की रही। समूह में पुरुष और महिला कलाकारों ने मिलकर यह शानदार प्रस्तुति दी। तीसरी प्रस्तुति में वाराणसी के अमलेश शुक्ला और टीम ने काशी और गंगा आधारित गाने गाए। चौथी प्रस्तुति वाराणसी के कलाकारों द्वारा बजाए गए वाद्य वृंद यंत्रों की रही। पंडित देवव्रत मिश्र और टीम ने 3 सितार, ढोजक, बांसुरी और तबले से अपने बनारस घराने की छाप छोड़ी। सितार और बाकी वाद्य यंत्रों को अनवरत मेल सुन लोग बेहद मुग्ध हो गए। ऐसा लगा गंगा में जलतरंग सा हुआ हो। “अवध में कैसी धूम मची है, राम नाम ने लियो अवतार…..राम जय जय राम”  गाकर भगवान राम को समर्पित किया। पंडित मिश्र ने कहा कि उन्होंने 10 साल पहले ये बंदिश तैयार की थी, लेकिन अब उसका इस्तेमाल हो रहा है। भगवान रामलला का मंदिर बन रहा है और प्राण प्रतिष्ठा होने वाली है।

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पांचवीं प्रस्तुति भरतनाट्यम की रही। तमिलनाडु की नृत्यांगना और कोरियाग्राफर गुरु अरुणा सुब्रमण्यम और उनकी शिष्याओं द्वारा भरतनाट्यम की बड़ी मनोरम प्रस्तुति दी गई। उन्होंने पुष्पांजलि, जिसमें भगवान गणेश की प्रार्थना, लिंगाष्टकम, शिवारंजिनी, मोहनानादमओदू आदि कई तरह की भरतनाट्यम नृत्य विधाओं पर अपनी प्रस्तुतियां दीं। छठवीं प्रस्तुति काशी के कलाकारों द्वारा कथक के नाम रही। शिवानी मिश्रा और टीम ने नमो घाट पर जैसे जादू सा कर दिया। ता-धा, धिन-धिन के ताल पर नृत्यांगनाओं की थिरकन पूरे माहौल को काफी बेहतरीन बना दिया था। इस दौरान सूफी गाना मेरा मुर्शीद खेले होरी पर भी नृत्यांगनाओं ने जोरदार नृत्य किया। सातवीं प्रस्तुति थपट्टम की रही। विल्लुप्पुरम से आए. एन. साथियाराज और साथी कलाकारों ने वाद्य यंत्रों से दर्शकों का खूब मनोरंजन किया। इस दौरान कई कलाकारों ने मुंह से आग की लपटें भी उड़ाईं। आठवीं प्रस्तुति, कारागट्टम, नयांदी मेलम की रही। कलासुदारमणि और उनकी टीम ने लोगों को मंत्र मुग्ध कर दिया। नौवीं प्रस्तुति कालीकट्टम, करुप्पासामी, अट्टम, कवाडी, पिकॉक डांस की रही। इस प्रस्तुति में कलाकार मोर, नंदी समेत कई तरह के रूप धारण कर मंच पर नृत्य करते रहे।

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