भगवान गणेश, जिन्हें विघ्नहर्ता और बुद्धि के देवता के रूप में जाना जाता है, हर शुभ कार्य की शुरुआत में पूजे जाते हैं। उनकी आरती गाने से न केवल मन को शांति मिलती है, बल्कि जीवन के हर कष्ट और बाधा को दूर करने की शक्ति भी मिलती है। गणेश जी की आरती का उच्चारण श्रद्धा और समर्पण के साथ करने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। चाहे गणेश चतुर्थी हो या किसी खास पूजा का अवसर, आरती गाकर भक्त अपने आराध्य से आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। यह आरती हमें ये सिखाती है कि समर्पण और भक्ति से जीवन के हर कठिन दौर को आसानी से पार किया जा सकता है।
भगवान गणेश की आरती
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा,
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।
एकदंत, दयावन्त, चार भुजाधारी,
माथे सिन्दूर सोहे, मूस की सवारी।
पान चढ़े, फूल चढ़े और चढ़े मेवा,
लड्डुअन का भोग लगे, सन्त करें सेवा।
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश, देवा,
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया,
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया।
‘सूर’ श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा,
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा,
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।
भगवान गणेश की आरती गाने से हमें न केवल उनके प्रति भक्ति का अनुभव होता है, बल्कि हमारे भीतर नई ऊर्जा और उत्साह का संचार होता है। यह आरती हमारी आस्था को मजबूत करती है और हमारे जीवन को सुकून और खुशियों से भर देती है। अगर आप भी अपने जीवन की मुश्किलों का हल ढूंढ रहे हैं, तो नियमित रूप से गणेश जी की आरती गाएं और उनका आशीर्वाद प्राप्त करें। अंत में, हमेशा याद रखें कि भगवान गणेश का सच्चा भक्त वही है जो दूसरों की भलाई के लिए सोचता है और हर काम को सच्चे मन से करता है।