वाराणसी।
रामेश्वर के पांचों शिवाला और हरहुआ के बीच वरुणा नदी के तट पर हर साल आयोजित होने वाला ऐतिहासिक लोटा-भंटा मेला गुरुवार को हो रहा है। मेले में लाखों श्रद्धालु पहुंचने की उम्मीद है। बुधवार को डीसीपी गोमती जोन प्रमोद कुमार और एडीसीपी आकाश पटेल ने मेला क्षेत्र का निरीक्षण किया और सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लिया।
मेले में बढ़ती भीड़ और संभावित ट्रैफिक समस्याओं को देखते हुए अधिकारियों ने पुलिस बल और यातायात नियंत्रण के लिए विशेष प्रबंध किए हैं। डीसीपी प्रमोद कुमार ने क्षेत्र के थाना प्रभारियों को निर्देश देते हुए कहा कि मेले के दौरान किसी भी अप्रिय घटना से निपटने के लिए सभी तैयारियां पूरी होनी चाहिए। इसके अलावा, सीसीटीवी कैमरों और पुलिस पेट्रोलिंग के जरिए निगरानी को सख्त किया गया है।
श्रद्धालुओं के लिए विशेष व्यवस्था
श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए कई अस्थायी मार्गों की व्यवस्था की गई है। मेले में पहुंचने वाले श्रद्धालुओं के लिए पेयजल, स्वास्थ्य शिविर और सफाई के इंतजाम किए गए हैं। साथ ही, मेले में महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा के लिए अतिरिक्त महिला पुलिस बल तैनात किया गया है।
मेले का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व
लोटा-भंटा मेले का ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व है। यह मेला भगवान शिव की आराधना और पारंपरिक लोकसंस्कृति का प्रतीक है। वरुणा नदी के तट पर श्रद्धालु स्नान कर भगवान शिव की पूजा करते हैं। इसके बाद मेले में विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम, खानपान के स्टॉल और पारंपरिक सामान की खरीदारी का आनंद लेते हैं।
सुरक्षा पर विशेष ध्यान
प्रशासन ने मेले में किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए पर्याप्त संख्या में पुलिसकर्मी, फायर ब्रिगेड और एंबुलेंस तैनात की है। मेला क्षेत्र में ट्रैफिक जाम को रोकने के लिए वाहनों के लिए वैकल्पिक मार्ग निर्धारित किए गए हैं।
रामेश्वर का यह ऐतिहासिक मेला न केवल श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक शांति प्रदान करता है, बल्कि वाराणसी की सांस्कृतिक विरासत को भी संरक्षित रखता है। प्रशासन ने श्रद्धालुओं से अपील की है कि वे नियमों का पालन करें और मेले को शांति और सुसंगत तरीके से संपन्न कराने में सहयोग करें।