बलुआ (उत्तर प्रदेश): जिले के पूर्व ब्लॉक प्रमुख पति और स्थानीय राजनीतिक नेता उपेंद्र सिंह गुड्डू को अपर जिलाधिकारी (वित्त एवं राजस्व) के न्यायालय ने छह महीने के लिए जिला बदर कर दिया है। यह आदेश बलुआ थाना प्रभारी और पुलिस अधीक्षक की रिपोर्ट के आधार पर जारी किया गया है। आदेश के तहत उपेंद्र सिंह को अब 24 घंटे के भीतर जिले की सीमा छोड़नी पड़ेगी, और इस दौरान उन पर कई कड़े प्रतिबंध लागू रहेंगे। जिला बदर की अवधि में उपेंद्र सिंह को जिस जिले में रहना होगा, वहां के संबंधित थाना प्रभारी को उनकी उपस्थिति दर्ज करानी होगी।
कई गंभीर अपराधों में लिप्त हैं उपेंद्र सिंह
उपेंद्र सिंह गुड्डू पर बलुआ थाने में भारतीय दंड संहिता की धारा 352 (हाथापाई), 351(2) (हथियार से हमला करने की धमकी), और 127(2) (राज्य या केंद्र सरकार के खिलाफ साजिश) के तहत मामला दर्ज है। इसके अलावा, उनके खिलाफ 2001 में हत्या के प्रयास (धारा 307) और 2005 में आपराधिक साजिश (धारा 120B), लूट (धारा 384), जानबूझकर अपमान (धारा 504), और धमकी (धारा 506) के तहत भी मुकदमे दर्ज हैं। पुलिस रिपोर्ट के अनुसार, उपेंद्र सिंह गुड्डू को एक शातिर अपराधी के रूप में पहचाना गया है, और बलुआ क्षेत्र में उनका आतंक इतना गहरा है कि स्थानीय लोग उनके खिलाफ गवाही देने या पुलिस को सूचना देने से डरते हैं।
बलुआ क्षेत्र में उपेंद्र सिंह का आतंक और पुलिस की कार्रवाई
पुलिस की रिपोर्ट में कहा गया है कि उपेंद्र सिंह का क्षेत्र में इतना प्रभाव था कि लोग उनके खिलाफ बयान देने से भयभीत रहते थे, जिससे स्थानीय प्रशासन को चुनौती मिल रही थी। पुलिस और प्रशासन ने इसे क्षेत्र की लोक व्यवस्था के लिए गंभीर खतरा माना और इस आधार पर गुंडा नियंत्रण अधिनियम 1970 के तहत कार्रवाई की गई। प्रशासन की रिपोर्ट के मुताबिक, उपेंद्र सिंह की गतिविधियों से क्षेत्र में असमर्थता और भय का माहौल था, जिसके कारण उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई की जरूरत महसूस की गई।
नोटिस का जवाब न देने पर जिला बदर का आदेश
उपेंद्र सिंह को जिला बदर के नोटिस जारी किए गए थे, लेकिन उन्होंने न तो उसका जवाब दिया और न ही अदालत में अपनी पैरवी की। इसके बाद अपर जिलाधिकारी ने उन्हें जिला बदर करने का आदेश जारी किया। अदालत के आदेश के बाद, अब उपेंद्र सिंह को छह महीने के लिए जिले से बाहर रहना होगा। जिला बदर की अवधि के दौरान, उन्हें जिस जिले में रहना होगा, वहां के थाना प्रभारी को उनकी उपस्थिति की सूचना देनी होगी, ताकि उनकी गतिविधियों पर कड़ी निगरानी रखी जा सके।
प्रशासन की कड़ी कार्रवाई
यह निर्णय पुलिस और प्रशासन की तरफ से की गई एक कड़ी और निर्णायक कार्रवाई है, जिसका उद्देश्य क्षेत्र में शांति और सुरक्षा बनाए रखना है। जिला बदर का आदेश स्थानीय प्रशासन द्वारा की गई कोशिशों का हिस्सा है, जिससे क्षेत्रीय स्तर पर अपराध और असामाजिक गतिविधियों पर अंकुश लगाया जा सके।
इस कदम को प्रशासन ने एक बड़ी सफलता के रूप में देखा है, जो स्थानीय निवासियों के लिए सुरक्षा सुनिश्चित करने में मदद करेगा। हालांकि, विपक्षी नेताओं और कुछ समर्थकों का कहना है कि यह कार्रवाई राजनीतिक प्रतिशोध का परिणाम हो सकती है, और इसे एकतरफा रूप से लिया गया कदम बताया जा रहा है।
अब यह देखना होगा कि इस आदेश के बाद क्षेत्रीय राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में क्या बदलाव आता है और उपेंद्र सिंह के समर्थक इसे किस प्रकार से प्रतिक्रिया देते हैं।