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मझवां विधानसभा में भूमिहार वर्चस्व और श्री हरि मोहन सिंह टप्पू बाबू की अहम भूमिका

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स्वर्गीय रूद्र बाबू दो बार रहे विधायक

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मझवां विधानसभा (397) इस समय एक निर्णायक स्थिति में है, जहां भूमिहार समाज का प्रभाव बहुत मजबूत नजर आ रहा है। भूमिहारों का इस विधानसभा में महत्वपूर्ण वर्चस्व है, और इसका प्रत्यक्ष उदाहरण स्वर्गीय कृष्णानंद राय का नाम है, जिसे माननीय मुख्यमंत्री जी ने मंच से लिया। इस क्षेत्र में भूमिहारों का एक विशेष स्थान है, और यह समाज जिस प्रत्याशी का समर्थन करता है, उसकी जीत लगभग सुनिश्चित मानी जाती है।

इस क्षेत्र में भूमिहारों का प्रभाव इतना गहरा है कि इतिहास में कई बार यह देखा गया है कि भूमिहार समाज के साथ जुड़े प्रत्याशी को जबरदस्त जनसमर्थन मिलता है। उदाहरण स्वरूप, स्वर्गीय लोकपति त्रिपाठी जी का नाम लिया जा सकता है, जिनके साथ भूमिहार समाज खुलकर खड़ा रहता था और परिणामस्वरूप वह हमेशा जीतते थे। एक बार उन्होंने मंच पर कहा था, “भूमिहार समाज वह आलू है, जिसे किसी भी सब्जी में पका लो, सब में घुल-मिल जाता है।” हालांकि, यह कथन उनकी राजनीति के लिए महंगा साबित हुआ और उनके बाद उनका प्रभाव कमजोर पड़ा।

मझवां विधानसभा की राजनीति में भूमिहारों का वर्चस्व एक अहम पहलू बन चुका है, खासकर श्री हरि मोहन सिंह उर्फ टप्पू बाबू की वजह से। वह एक कद्दावर भूमिहार नेता हैं और पूर्वांचल में उनकी अच्छी पकड़ है। उनके दरबार में बड़े दिग्गजों का जमावड़ा होता है और यह माना जाता है कि जिस उम्मीदवार के साथ टप्पू बाबू का समर्थन होता है, वह जीत हासिल करता है।

टप्पू बाबू की लोकप्रियता का मुख्य कारण उनका व्यक्तिगत संबंध और क्षेत्रीय समस्याओं में सक्रियता है। वह न केवल एक राजनेता के रूप में, बल्कि एक समाजसेवी के तौर पर भी क्षेत्र की समस्याओं को सुलझाने में लगे रहते हैं। इस समय, वह कछवां बाजार से मिर्जापुर रोड के निर्माण और बजहां ग्राम के सैकड़ों बीघा ज़मीन पर जलजमाव के कारण बेघर हुए किसानों की समस्याओं को हल करने में जुटे हुए हैं। इस तरह के कई क्षेत्रीय मुद्दे हैं, जिनका समाधान टप्पू बाबू अपनी ओर से प्रयास कर रहे हैं।

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मझवां विधानसभा के क्षेत्रीय विधायक या किसी अन्य राजनीतिक दायित्व के होते हुए भी, इन समस्याओं का समाधान नहीं हो पा रहा था, लेकिन टप्पू बाबू की मेहनत और नेतृत्व के कारण लोग उनकी ओर आकर्षित हो रहे हैं। उनका यह व्यक्तिगत जुड़ाव और संघर्ष उन्हें क्षेत्र में सभी जातियों के बीच सम्मान और विश्वास का पात्र बनाता है।

इस प्रकार, मझवां विधानसभा में भूमिहार वर्चस्व को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता, और आगामी चुनावों में श्री हरि मोहन सिंह टप्पू बाबू की भूमिका महत्वपूर्ण साबित हो सकती है।

गणपत राय

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