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चंदौली: हाईकोर्ट से सपा नेता जगमेंद्र यादव को बड़ी राहत, 10 दिसंबर तक स्थगन का आदेश

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चंदौली, 11 नवंबर 2024: समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता जगमेंद्र यादव को इलाहाबाद हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है। हाईकोर्ट ने उनकी याचिका पर सुनवाई करते हुए 6 नवंबर 2024 को जिला बदर के आदेश पर रोक लगा दी है। यह स्थगन आदेश आगामी 10 दिसंबर 2024 तक प्रभावी रहेगा। इसके साथ ही हाईकोर्ट ने वाराणसी कमिश्नर द्वारा उनकी गिरफ्तारी पर लगाई गई ‘गुंडा एक्ट’ की अपील को भी एक माह के भीतर निस्तारित करने का आदेश दिया है।

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यह मामला उस समय प्रकाश में आया जब चंदौली जिला प्रशासन ने 23 सितंबर 2024 को जगमेंद्र यादव के खिलाफ जिला बदर का आदेश पारित किया था। इस आदेश के बाद से जिले की राजनीति में गर्मा-गर्मी बढ़ गई थी। समाजवादी पार्टी और विपक्ष के नेताओं ने इस आदेश को बदले की राजनीति और सत्ता के दुरुपयोग का आरोप लगाते हुए इसकी आलोचना की थी।

आलोचना के बाद, सपा के नेताओं ने जिलाधिकारी से मिलकर उक्त आदेश को निरस्त करने की मांग की थी। इसके बावजूद प्रशासन द्वारा कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई, जिसके बाद जगमेंद्र यादव ने 5 अक्टूबर 2024 को वाराणसी के कमिश्नर के यहां स्थगन आवेदन दाखिल किया। हालांकि, एक महीने तक कोई कार्रवाई नहीं होने के कारण यादव ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया और न्याय की गुहार लगाई।

हाईकोर्ट ने उनके पक्ष में आदेश जारी किया, जिससे सपा नेता को बड़ी राहत मिली। इस मामले में जगमेंद्र यादव की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता ने हाईकोर्ट में तर्क प्रस्तुत किए, जिसमें उन्होंने जिला बदर आदेश को गैरकानूनी और अवैध बताया।

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यहां गौर करने वाली बात है कि जगमेंद्र यादव के खिलाफ जिला बदर के आदेश और उनके ऊपर लगाए गए आरोपों को लेकर राजनीति में विवाद जारी है। समाजवादी पार्टी के नेताओं ने इसे एक राजनीतिक साजिश और प्रशासनिक दुरुपयोग करार दिया है। अब इस मामले में हाईकोर्ट द्वारा जारी स्थगन आदेश से अगले एक महीने तक इस विवाद का समाधान नहीं हो सकेगा, और सपा नेता को राहत मिली है।

अब देखने वाली बात यह होगी कि वाराणसी कमिश्नर द्वारा की गई अपील का फैसला क्या आता है, और इस मामले में आगे क्या घटनाक्रम होता है।

संपादकीय टिप्पणी: यह घटना राजनीति में प्रशासनिक हस्तक्षेप के सवालों को उजागर करती है, जहां विपक्षी दलों द्वारा सत्ता के दुरुपयोग का आरोप लगाया जाता है। हालांकि, अब यह हाईकोर्ट के फैसले पर निर्भर करेगा कि इस विवाद का न्यायिक समाधान किस दिशा में जाता है।

अवधेश राय

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