चंदौली में करवा चौथ का पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। सुहागिन महिलाओं ने अपने पति की लंबी आयु और सुखी जीवन की कामना करते हुए पूरे दिन निर्जला व्रत रखा। यह पर्व महिलाओं के लिए विशेष होता है, जिसमें वे अपने सुहाग की सलामती के लिए दिनभर भूखी-प्यासी रहकर पूजा-अर्चना करती हैं। शाम को चंद्रमा के दर्शन और पूजन के बाद ही व्रत का पारण किया जाता है।
सुबह से ही महिलाओं ने पारंपरिक रूप से सोलह श्रृंगार कर पूजा की तैयारी शुरू कर दी थी। वे दिनभर बिना अन्न और जल ग्रहण किए अपने व्रत का पालन करती रहीं। संध्या के समय चांद निकलने की प्रतीक्षा में महिलाओं ने सामूहिक रूप से गीत गाए और करवा चौथ की कहानियों का श्रवण किया। चंदौली के विभिन्न मोहल्लों और गांवों में महिलाएं एकत्रित होकर पूजा की थाल सजाए हुए दिखाई दीं।
जैसे ही शाम को चंद्रमा का दीदार हुआ, महिलाओं ने अपने पति के हाथों से जल ग्रहण कर व्रत का पारण किया। चंद्रमा को अर्घ्य देकर और करवा चौथ की कथा सुनकर सुहागिनों ने व्रत को संपन्न किया। चांद को देखकर उनके चेहरे पर खुशी और संतोष झलक रहा था। इस खास अवसर पर परिवारों में उत्साह और प्रेम का माहौल बना रहा।
इस पर्व के दौरान बाजारों में भी रौनक रही, जहां महिलाओं ने पूजन सामग्रियां और श्रृंगार की वस्तुएं खरीदीं। चंदौली के विभिन्न स्थानों पर करवा चौथ का पर्व पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ शांतिपूर्ण ढंग से सम्पन्न हुआ।