निर्देशक रितेश एस कुमार की बहुप्रतीक्षित फिल्म “लछमिनिया” का सेकेंड लुक हाल ही में जारी किया गया है, जो दर्शकों का ध्यान आकर्षित कर रहा है। इस नए लुक के साथ, रितेश ने अपनी फिल्म की गहराई और उसके सामाजिक संदेश को दर्शाने का प्रयास किया है। निर्देशक ने कहा कि वह इस फिल्म के माध्यम से एक महत्वपूर्ण मुद्दे को उठाने की कोशिश कर रहे हैं, जो कि बिहार की जातिगत संरचना और समाज में व्याप्त असमानता से संबंधित है।
फिल्म का निर्माण अनुभवी निर्माता अजिताभ तिवारी ने किया है, और इसमें मुख्य भूमिकाओं में तनुश्री चटर्जी और सिंटू सिंह सागर नजर आएंगे। यह फिल्म फिल्मेनिया फिल्म फैक्ट्री और नटरंग एंटरटेनमेंट के बैनर तले बनाई गई है। फिल्म के पीआरओ रंजन सिन्हा ने इस प्रोजेक्ट को लेकर सकारात्मक प्रतिक्रिया व्यक्त की है और उम्मीद जताई है कि फिल्म को दर्शकों के साथ-साथ फिल्म क्रिटिक्स से भी सराहना मिलेगी।
“लछमिनिया” का उद्देश्य समाज में विभिन्न वर्गों के बीच समानता और सामाजिक विकास की आवश्यकता को उजागर करना है। यह फिल्म दर्शकों को सोचने पर मजबूर करेगी और उन्हें इस विषय पर गहराई से विचार करने के लिए प्रेरित करेगी।
रितेश ने कहा, “हम चाहते हैं कि यह फिल्म दर्शकों के दिलों को छू सके और उन्हें समाज में बदलाव के लिए प्रेरित करे। हम उम्मीद करते हैं कि फिल्म का संदेश सभी को प्रभावित करेगा।
इस फिल्म के साथ रितेश एस कुमार एक बार फिर साबित कर रहे हैं कि वे सिर्फ मनोरंजन नहीं, बल्कि समाज को जागरूक करने का भी काम करते हैं। “लछमिनिया” की कहानी और इसका संदेश दर्शकों के बीच गहरी छाप छोड़ने की क्षमता रखता है।
फिल्म की रिलीज डेट अभी घोषित नहीं की गई है, लेकिन उम्मीद की जा रही है कि यह जल्द ही सिनेमाघरों में दस्तक देगी। दर्शकों और फिल्म प्रेमियों की नजरें इस फिल्म पर टिकी हुई हैं।
वहीं, निर्देशक रितेश एस कुमार ने एक बार फिर अपनी फिल्म “लछमिनिया” को टैक्स फ्री करने की मांग की है। उन्होंने कहा है कि यह फिल्म सामाजिक मुद्दों को उजागर करती है और इसकी कहानी समाज के विभिन्न वर्गों के बीच समानता और न्याय की आवश्यकता पर जोर देती है।
रितेश ने कहा, “इस फिल्म का संदेश बेहद महत्वपूर्ण है, और इसे अधिक से अधिक दर्शकों तक पहुंचाना आवश्यक है। टैक्स फ्री करने से लोग बिना किसी आर्थिक दबाव के इस फिल्म को देख सकेंगे।”
उन्होंने सरकार से अपील की है कि ऐसे फिल्में, जो समाज में जागरूकता बढ़ाने का काम करती हैं, उन्हें टैक्स फ्री किया जाए। यह न केवल फिल्म को बढ़ावा देगा, बल्कि समाज में महत्वपूर्ण चर्चा को भी उत्प्रेरित करेगा।
रितेश की इस मांग से यह स्पष्ट होता है कि वे न केवल एक निर्देशक के रूप में, बल्कि एक सामाजिक जागरूकता के लिए भी प्रतिबद्ध हैं। “लछमिनिया” जैसी फिल्में समाज के लिए एक प्रेरणा बन सकती हैं, और इसके प्रभाव को अधिकतम करने के लिए टैक्स फ्री होना आवश्यक है।फ़िल्म के लेखक विशाल पाण्डेय और दिव्यांशु मिश्रा है।