भारतीय उद्योग जगत के दिग्गज और टाटा संस के चेयरमैन एमेरिटस रतन टाटा ने 86 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कह दिया है। उन्होंने मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में अंतिम सांस ली, जहां उन्हें उम्र संबंधी समस्याओं के कारण भर्ती कराया गया था।
रतन टाटा ने मार्च 1991 से दिसंबर 2012 तक टाटा समूह का नेतृत्व किया। उनके नेतृत्व में टाटा समूह ने नमक से लेकर सॉफ्टवेयर तक के व्यापार में उल्लेखनीय वृद्धि की। टाटा समूह के साथ उनके योगदान ने उन्हें एक राष्ट्रीय आइकन बना दिया।
रतन टाटा का जन्म 1937 में नवल टाटा और सूनी कमिसारीट के घर हुआ था। जब वे केवल 10 वर्ष के थे, उनके माता-पिता का तलाक हो गया था। इसके बाद उनकी दादी नवाजबाई टाटा ने उन्हें जेएन पेटिट पारसी अनाथालय के माध्यम से औपचारिक रूप से गोद लिया। रतन टाटा का पालन-पोषण उनके सौतेले भाई नोएल टाटा के साथ हुआ।
उन्होंने 1962 में टाटा समूह में शामिल होकर फ़्लोर पर काम करना शुरू किया। हालांकि यह कठिन और थका देने वाला काम था, लेकिन इस अनुभव ने उन्हें पारिवारिक व्यवसाय के गहरे पहलुओं को समझने में मदद की। बाद में उनके दूरदर्शी नेतृत्व और फैसलों ने टाटा समूह को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया।
रतन टाटा का योगदान भारतीय उद्योग और समाज दोनों के लिए अमूल्य रहा है। उनकी विरासत हमेशा भारतीय कॉर्पोरेट जगत में प्रेरणादायक रहेगी।