वर्षों से बार काउंसिल द्वारा की जा रही मनमानी पर लगी रोक
सोनभद्र। नए अधिवक्ताओं के पंजीयन में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का संयुक्त अधिवक्ता महासंघ ने स्वागत किया है। महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष राकेश शरण मिश्र ने कहा है कि नए अधिवक्ताओं का बार कौंसिल में पंजीयन को लेकर सुप्रीम कोर्ट का जो फैसला आया है वो बहुत ही सराहनीय और स्वागत योग्य है। संयुक्त अधिवक्ता महासंघ इसके लिए सुप्रीम कोर्ट के प्रति आभार व्यक्त करता है क्योंकि इस फैसले से विगत कई वर्षों से अधिवक्ताओं से राज्यों की बार कौंसिल द्वारा पंजीयन के नाम पर मनमानी शुल्क लेने पर रोक लग गई है। इस फैसले से वकालत के क्षेत्र में आने वाले हजारों आर्थिक रूप से कमजोर अधिवक्ताओं को पंजीयन कराने में बहुत बड़ी सुविधा प्राप्त हो गई है क्योंकि बार कौंसिल द्वारा पंजीयन के रूप में पंद्रह से बीस हजार तक की फीस लेने के कारण आर्थिक रूप से कमजोर छात्र एल एल बी की डिग्री लेने के बाद भी अधिवक्ता के रूप में पंजीयन नही करवा पाते थे पर अब इस फैसले से ऐसे नए अधिवक्ताओं को वकालत के क्षेत्र में आने में अब काफ़ी राहत मिल गई है। श्री मिश्र ने बताया की एडवोकेट एक्ट की धारा 24 के अंतर्गत तय की पंजीयन फीस से अधिक फीस लेना गलत है और इस नियम के अंतर्गत सामान्य वर्ग से मात्र 750 रुपए एवम इसके अलावा अन्य वर्ग से केवल मात्र 125 रुपए ही लिया जाना चाहिए जबकि राज्यों की बार कौंसिल द्वारा विगत कई वर्षों से पंजीयन के नाम पर हजारों रुपए वसूला जा रहा था। जिस पर दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बार कौंसिल द्वारा मनमानी पंजीयन फीस वसूली पर पूरी तरह रोक लगा दिया है जिसका सम्पूर्ण अधिवक्ता समाज दिल खोलकर स्वागत कर रहा है।
रिपोर्ट- कुम्धज चौधरी (राजू) सोनभद्र