


वाराणसी ( श्रुति रघुवंशी )– काशी की लुप्त होती जोड़ी-गदा, नाल और डंबल की कला को प्रोत्साहन देने की सख्त जरूरत है। काशी के पूर्व पहलवानों ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से इन पारंपरिक खेलों को संरक्षण देने और उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने की मांग की है।

पराड़कर स्मृति भवन में हुई पत्रकार वार्ता में नान ओलंपिक स्पोर्ट्स एसोसिएशन से जुड़े कल्लू पहलवान ने कहा कि काशी के हर मोहल्ले में एक अखाड़ा होता था जहां जोड़ी, गदा, नाल और डंबल फेरने का मुकाबला होता था। लेकिन अब यह पारंपरिक खेल अपनी पहचान के संकट से जूझ रहे हैं। उन्होंने सरकार से वन डिस्ट्रिक्ट-वन प्रोडक्ट की तर्ज पर इन खेलों को प्रोत्साहित करने और इनमें कैरियर बनाने वाले युवा खिलाड़ियों के लिए नौकरी में कोटा देने की मांग की है।
पत्रकार वार्ता में मौजूद रविन्द्र कुमार गौंड़ और जोखू पहलवान ने भी कहा कि काशी के बंद पड़े अखाड़ों को पुनर्जीवित करना बेहद जरूरी है। पिछले दिनों काशी में सांसद खेलकूद प्रतियोगिता के आयोजन से इन पारंपरिक खेलों से जुड़े पूर्व खिलाड़ियों को प्रोत्साहन मिला था। कल्लू पहलवान ने कहा कि उनका एसोसिएशन समय-समय पर इन खेलों की प्रतियोगिताएं आयोजित करेगा।
इसके अलावा, उन्होंने गहरेबाजी (एक्का दौड़) को भी प्रोत्साहित करने का प्रयास करने की बात कही, जो कभी काशी की पहचान थी और अब खत्म होने की कगार पर है। भविष्य में काशी और आसपास के जिलों के प्रतिभागियों के लिए गहरेबाजी का मुकाबला आयोजित करने की योजना बनाई जा रही है।