वाराणसी(सोनाली पटवा)। देवाधिदेव महादेव की नगरी काशी में स्थित स्वर्णमयी मां अन्नपूर्णा के मंदिर में धनतेरस के अवसर पर विशेष दरबार सजाया गया है। माता के स्वर्णिम स्वरूप के दर्शन के लिए भोर से ही भक्तों की लम्बी कतार लगी हुई है। भक्त माता के दर्शनों के साथ-साथ उनकी कृपा स्वरूप मिलने वाले खजाने को पाने के लिए यहाँ पहुंचे हैं। भक्तों की जय-जयकार और भक्ति के स्वर मंदिर परिसर में गूंज रहे हैं। इस पावन अवसर पर देश के कोने-कोने से ही नहीं बल्कि विदेशों से भी श्रद्धालु माता के दर्शनों के लिए उपस्थित हैं।
काशी के इस अन्नपूर्णा मंदिर की महिमा को बताते हुए मंदिर के महंत शंकरपुरी ने बताया कि यह एक प्राचीन मंदिर है, जिसमें धनतेरस के अवसर पर भव्य सजावट की जाती है। उन्होंने बताया कि सुबह साढ़े तीन बजे मंदिर के कपाट खोले गए। सर्वप्रथम मां अन्नपूर्णा की पूजा संपन्न हुई, इसके बाद माता लक्ष्मी और भूमि देवी की पूजा की गई। पूजा अनुष्ठान के बाद महादेव का पूजन और महाआरती हुई। इसके पश्चात मंदिर को आम श्रद्धालुओं के लिए दर्शनार्थ खोला गया। सुबह साढ़े पांच बजे से दर्शन-पूजन का सिलसिला जारी है और भक्तों का सैलाब माता के दर्शनों के लिए उमड़ रहा है। मान्यता है कि बाबा विश्वनाथ ने भी यहां भिक्षा मांगी थी, और उसी परंपरा का आज तक पालन हो रहा है। माना जाता है कि यहां से खजाना प्राप्त करने वाले भक्त के जीवन से समस्याएं समाप्त होती हैं और उसे धन-धान्य में वृद्धि प्राप्त होती है।
महंत शंकरपुरी का कहना है कि यह भारत का एकमात्र मंदिर है, जहाँ भक्तों को खजाना बांटा जाता है। श्रद्धालु यहां से सिक्के और लावा प्राप्त कर अपने घर में स्थापित करते हैं, जिससे उनके घर में अन्न और धन की कभी कमी नहीं होती। श्रद्धालुओं की मान्यता है कि मां अन्नपूर्णा के आशीर्वाद से उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। काशी की रानी मानी जाने वाली माता अन्नपूर्णा यहां भक्तों पर अपने ऐश्वर्य का वरदान लुटाती हैं, जबकि बाबा विश्वनाथ मोक्ष प्रदान करते हैं। इस विशेष अवसर पर उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, मलेशिया और इंडोनेशिया सहित अन्य देशों से भी भक्त यहां पहुंचे हैं। कई प्रवासी भारतीय भी यहां दर्शनार्थ रुके हैं और माता के आशीर्वाद स्वरूप खजाना लेकर जा रहे हैं। विदेशी भक्तों ने भी यहां के दिव्य वातावरण में आकर मां के दर्शनों का लाभ उठाया।
महंत शंकरपुरी ने बताया कि माता अन्नपूर्णा की स्वर्णमयी प्रतिमा हजारों वर्ष पुरानी है। प्रतिमा के समक्ष खड़े होने पर एक विशेष ऊर्जा का अनुभव होता है। माता के दर्शन मात्र से ही पूर्व जन्म के पाप नष्ट हो जाते हैं और भक्तों का कल्याण होता है। इस अवसर पर एक श्रद्धालु ने बताया कि माता के स्वर्णमयी स्वरूप का दर्शन एक विशेष अवसर पर ही प्राप्त होता है। उन्होंने माता से अपने परिवार की सुख-समृद्धि और आशीर्वाद की कामना की। एक अन्य महिला श्रद्धालु ने बताया कि माता के दर्शनों से मन को अत्यंत शांति मिली और यही प्रार्थना की कि माता का आशीर्वाद सदा उनके घर-परिवार पर बना रहे।
धनतेरस के इस पावन पर्व पर स्वर्णमयी मां अन्नपूर्णा के दरबार में भक्तों की इस अटूट श्रद्धा का दृश्य अद्वितीय है। काशी की इस भव्यता और भक्तों की आस्था के सम्मिश्रण का यह अद्वितीय उदाहरण देखकर हर श्रद्धालु खुद को धन्य मानता है।