महावीर प्रभु की आरती, जैन धर्म के अनुयायियों द्वारा श्रद्धा और भक्ति से गाई जाती है। यह आरती महावीर स्वामी के अद्वितीय ज्ञान, संयम और अहिंसा के संदेश को श्रद्धा से व्यक्त करती है। महावीर स्वामी ने अपनी जीवन यात्रा में जो सत्य, अहिंसा और शांति का संदेश दिया, वही आज भी हमें मार्गदर्शन देता है। इस आरती के माध्यम से हम उनकी शिक्षाओं को याद करते हैं और जीवन में अहिंसा, सत्य और संयम के महत्व को समझते हैं। महावीर प्रभु की आरती को सुनने या गाने से मन को शांति मिलती है और आत्मिक संतुष्टि का अनुभव होता है।
आरती
जय महावीर प्रभो, स्वामी जय महावीर प्रभो,
कुंडलपुर अवतारी, त्रिशलानंद विभो॥
ॐ जय…
सिद्धारथ घर जन्मे, वैभव था भारी, स्वामी वैभव था भारी,
बाल ब्रह्मचारी व्रत पाल्यौ तपधारी॥
ॐ जय…
आतम ज्ञान विरागी, सम दृष्टि धारी,
माया मोह विनाशक, ज्ञान ज्योति जारी॥
ॐ जय…
जग में पाठ अहिंसा, आपहि विस्तार्यो,
हिंसा पाप मिटाकर, सुधर्म परिचार्यो॥
ॐ जय…
इह विधि चांदनपुर में अतिशय दरशायौ,
ग्वाल मनोरथ पूर्यो दूध गाय पायौ॥
ॐ जय…
प्राणदान मन्त्री को तुमने प्रभु दीना,
मन्दिर तीन शिखर का, निर्मित है कीना॥
ॐ जय…
जयपुर नृप भी तेरे, अतिशय के सेवी,
एक ग्राम तिन दीनों, सेवा हित यह भी॥
ॐ जय…
जो कोई तेरे दर पर, इच्छा कर आवै,
होय मनोरथ पूरण, संकट मिट जावै॥
ॐ जय…
निशि दिन प्रभु मंदिर में, जगमग ज्योति जरै,
हरि प्रसाद चरणों में, आनंद मोद भरै॥
ॐ जय…
महावीर प्रभु की आरती केवल एक भक्ति गीत नहीं, बल्कि हमारे जीवन को सही दिशा देने का एक साधन है। यह आरती हमें अपने जीवन में अहिंसा, सत्य, और परिग्रह की संकल्पना को अपनाने की प्रेरणा देती है। जब हम इस आरती का उच्चारण करते हैं, तो हमारे अंदर एक सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। महावीर स्वामी के उपदेशों को अपने जीवन में उतारकर हम खुद को एक सच्चे इंसान के रूप में विकसित कर सकते हैं। आइए, हम सब मिलकर महावीर प्रभु की आरती गाकर उनके आदर्शों को जीवन में उतारने की कोशिश करें और समाज में शांति और प्रेम फैलाने का संकल्प लें।