वाराणसी में भारत का पहला अर्बन रोप-वे ट्रांसपोर्ट सिस्टम बन रहा है, जिसका 70 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है। जुलाई में इस परियोजना का ट्रायल रन कैंट से रथयात्रा तक किया जाएगा। इस फेज में कुल 18 टावर लगाए जाएंगे, जिनमें से 12 पहले ही खड़े हो चुके हैं और 13वां टावर आज लगाया जाएगा। दूसरे चरण में रथयात्रा से गोदौलिया के बीच काम शुरू होगा। इस पूरे प्रोजेक्ट में कुल 28 टावर, 4 स्टेशन और 807 करोड़ रुपए की लागत शामिल है।
पहले फेज के ट्रायल के बाद जल्द ही यात्रियों के लिए यह सुविधा शुरू की जाएगी। यह रोप-वे सिस्टम 750 यात्रियों को 15 मिनट में कैंट से गोदौलिया पहुंचने की सुविधा देगा, जिससे वे बाबा विश्वनाथ और मां गंगा का दर्शन कर सकेंगे। एक घंटे में 6000 लोग इस प्रणाली का उपयोग कर सकेंगे। रोप-वे की केबल कारें घरों के ऊपर से गुजरेंगी, जिससे सिटी का एरियल व्यू भी देखने को मिलेगा।
रोप-वे की कुल लंबाई 3.75 किमी होगी और इसमें 5 स्टेशन होंगे, जिनमें से चार चढ़ने-उतरने के लिए और एक तकनीकी कारणों से बनाया जाएगा। ये चार स्टेशन होंगे: कैंट रेलवे स्टेशन, विद्यापीठ, रथयात्रा, और गोदौलिया। इस रोप-वे की केबल कार पर प्रति घंटे 3000 यात्री सफर कर सकेंगे। शुरुआत में 300 यात्री प्रति घंटे सफर कर सकेंगे, लेकिन जरूरत के हिसाब से केबल कार की संख्या बढ़ाई जा सकेगी।
प्रारंभ में, 10 सीटों वाली 18 केबल कारें चलेंगी। इस डिजाइन में केबल कार की संख्या बढ़ाई जा सकती है, जिससे एक घंटे में अधिक यात्रियों को ले जाया जा सकेगा। इस परियोजना का उद्देश्य यातायात को सुगम बनाना और पर्यटकों को आकर्षित करना है। रोप-वे सिस्टम के माध्यम से लोग न केवल जल्दी और सुविधाजनक तरीके से यात्रा कर पाएंगे, बल्कि वाराणसी के खूबसूरत दृश्य भी देख सकेंगे।
इस प्रकार, यह परियोजना न केवल यातायात की समस्याओं का समाधान करेगी, बल्कि शहर के पर्यटन को भी बढ़ावा देगी। वाराणसी के रोप-वे ट्रांसपोर्ट का यह अनूठा प्रयास देश के अन्य शहरों के लिए भी प्रेरणा बनेगा।