Ashu

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सूर्य देव की आरती: जीवन में प्रकाश और उज्ज्वल के कारक्ता

सूर्य देव की आरती: जीवन में प्रकाश और उज्ज्वल के कारक्ता

सूर्य देव की उपासना संतान के सुक्र के लिए आवश्यक मानी जाती है। वैदिक जो भगवान औजाल के आदि ऊग्रा का कारण करते हैं, उन्हें आर्ग्य की शक्ति के रूप में जाना जाता है। इस और उज्ज्व की प्राप्ति कारी के लिए सूर्य देव की आरती का पाठ और गान जीवन में उनकी कृपा प्राप्त करने की विधि से किया जाता है। सूर्य देव की आरती ऊँ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान।जगत् के नेत्र स्वरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा।धरत सब ही तव ध्यान, ऊँ जय सूर्य भगवान॥॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥सारथी अरूण हैं प्रभु तुम, श्वेत कमलधारी,तुम चार…
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शिव ध्यान मंत्र : जीवन में शांति और निर्मल्यता की चाबी

शिव ध्यान मंत्र : जीवन में शांति और निर्मल्यता की चाबी

भगवान के जगता ज्योति देव और औमकार की मूर्ति शिव जी की ध्यान और उनकी चिन्तन्या का द्रावा खोज करना मानवी जीवन को जीवन की चेतन्यन्यता और आत्मिक शांति से भर देता है। इस लेख में हम शिव ध्यान मंत्र के कार्यचत्म और उसकी पाठ विधि और लाभ के बारे में विस्तार से जानकारी देंगे। ॥शिव ध्यान मंत्र॥ ध्यायेन्नित्यं महेशं रजतगिरिनिभं चारुचन्द्रावतंसं,रत्नाकल्पोज्ज्चलाङ्गं परशुमृगवराभीतिहस्तं प्रसन्नम्।पद्मासीनं समन्तात् स्तुतममरगणैर्व्याघ्रकृत्तिं वसानं,विश्वाद्यं विश्वबीजं निखिलभयहरं पञ्चवक्त्रं त्रिनेत्रम्। शिव ध्यान मंत्र के पाठ की शुरुआता जीवन को चित्त, शांति और काल्य की और खींप प्राप्त करती है। जो झील भी की कृपा चाहते है, उने जरूर Shiv…
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ओं जय शिव ओंकारा लिरिक्स: भक्ति और श्रद्धा की चैतन्य आरधना

ओं जय शिव ओंकारा लिरिक्स: भक्ति और श्रद्धा की चैतन्य आरधना

औं जय शिव ओंकारा एक एसी प्राचीना और क्षेति की अमूर्त चार्मिक आरती है जो भक्तों को झूटनीय शांती और शिव भक्ति के प्रति जोडेती है। इस आरती की चुन्न चार्यां और भाव की कीर्ति और शिव की गौरवी मूर्ति को दर्शाती करती है। आइए आर्ति योग्यों की चेतना और भक्तिजन की भक्ति की और जीवन में दैनिकता और शांति की चेतना लाने लाती है। ॐ जय शिव ओमकारा जय शिव ओंकारा ॐ जय शिव ओंकारा,ब्रह्मा विष्णु सदा शिव अर्द्धांगी धारा॥॥ ॐ जय शिव…॥ एकानन चतुरानन पंचानन राजे,हंसानन गरुड़ासन वृषवाहन साजे॥॥ ॐ जय शिव…॥ दो भुज चार चतुर्भुज दस भुज…
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पार्वती माता की आरती: माँ की कृपा पाने का श्रेष्ठ साधन

पार्वती माता की आरती: माँ की कृपा पाने का श्रेष्ठ साधन

हिंदू धर्म में माता पार्वती को शक्ति, करुणा, सौंदर्य और मातृत्व की प्रतीक माना गया है। वे भगवान शिव की अर्धांगिनी और समस्त देवी शक्ति का मूल स्वरूप हैं। पार्वती माता की आरती न केवल भक्त को आंतरिक बल देती है, बल्कि जीवन की अनेक बाधाओं को भी शांत करती है। इस लेख में हम "पार्वती माता की आरती" के महत्व, विधि और लाभ के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे। माता पार्वती आरती जय पार्वती माता जय पार्वती माता,ब्रह्म सनातन देवी शुभ फल की दाता।।जय पार्वती माता… अरिकुल पद्म विनाशिनि जय सेवक त्राता,जग जीवन जगदंबा, हरिहर गुण गाता।।जय पार्वती…
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बृहस्पतिवार व्रत कथा और आरती: जीवन में सुख-समृद्धि पाने का सरल उपाय

बृहस्पतिवार व्रत कथा और आरती: जीवन में सुख-समृद्धि पाने का सरल उपाय

हिंदू धर्म में सप्ताह के प्रत्येक दिन का एक विशेष महत्व होता है और गुरुवार का दिन देवगुरु बृहस्पति जी को समर्पित होता है। इस दिन व्रत रखने और व्रत कथा पढ़ने से विशेष रूप से धन, विद्या, संतान सुख और वैवाहिक जीवन में शुभता प्राप्त होती है। इस लेख में हम आपको Brihaspativar Vrat Katha Aarti विषय पर एक सम्पूर्ण जानकारी देंगे जिसमें व्रत की विधि, कथा, लाभ और आरती सम्मिलित हैं। आरती जय वृहस्पति देवा, ऊँ जय वृहस्पति देवा…छिन छिन भोग लगा‌ऊँ, कदली फल मेवा । तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी..जगतपिता जगदीश्वर, तुम सबके स्वामी । चरणामृत निज निर्मल,…
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श्री चित्रगुप्त जी की आरती: कर्म की याद और कर्मोक की द्शावीक गाथा

श्री चित्रगुप्त जी की आरती: कर्म की याद और कर्मोक की द्शावीक गाथा

चित्रगुप्त जी को यम यम काल में यमा याद किया जाता है जब कि जीव और मृत्यु के कर्मों का जिना कार करने वाले यामराज की यात्रा की जाती है। चित्रगुप्त जी की चित्र और कार्य्य की खाता रखने वाले यामकीन की चित्राना के लिए उनकी आरती की जात है। इस लेख में 'श्री चित्रगुप्त जी की आरती' की जानकारी, विधि और लाभ की जानकारी दी गई है। श्री चित्रगुप्त जी की आरती ॐ जय चित्रगुप्त हरे,स्वामीजय चित्रगुप्त हरे,भक्तजनों के इच्छित,फलको पूर्ण करे॥ विघ्न विनाशक मंगलकर्ता,सन्तनसुखदायी,भक्तों के प्रतिपालक,त्रिभुवनयश छायी॥॥ॐ जय चित्रगुप्त हरे॥ रूप चतुर्भुज, श्यामल मूरत,पीताम्बरराजै,मातु इरावती, दक्षिणा,वामअंग साजै॥॥ॐ जय…
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मनसा देवी आरती : श्रद्धा और शक्ति की प्रतीक आरती

मनसा देवी आरती : श्रद्धा और शक्ति की प्रतीक आरती

माँ मनसा देवी, शक्ति और आस्था की देवी मानी जाती हैं। उन्हें विशेष रूप से नागों की देवी और मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाली देवी के रूप में पूजा जाता है। श्रद्धालु जन माँ मनसा देवी की आरती करके अपने जीवन की बाधाओं को दूर कर सुख, समृद्धि और शांति की प्राप्ति करते हैं। इस लेख में हम Mansa Devi Aarti के महत्त्व, विधि और लाभ के बारे में विस्तार से जानेंगे। Mansa Devi Aarti ॐ जय मनसा माता, मैया जय मनसा माता…जो नर तुमको ध्याता, मनवांछित फल पाता ,॥ ॐ जय मनसा माता ॥ जरत्कारु मुनि पत्नी, तुम वासुकि…
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चिंतपूर्णी माता आरती : माँ चिंतपूर्णी की कृपा पाने वाली दिव्य आरती

चिंतपूर्णी माता आरती : माँ चिंतपूर्णी की कृपा पाने वाली दिव्य आरती

माँ चिंतपूर्णी देवी शक्ति की नौ रूपों में से एक विशेष रूप हैं, जिनकी उपासना से सभी प्रकार की चिंता, बाधा और कष्ट दूर हो जाते हैं। हिमाचल प्रदेश के ऊना जिले में स्थित माँ चिंतपूर्णी का मंदिर शक्तिपीठों में गिना जाता है। भक्तगण माँ की आरती कर उनकी कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। इस लेख में हम Chintpurni Mata Aarti के महत्व, विधि और लाभ के बारे में विस्तार से जानेंगे। Chintpurni Mata Aarti चिंतपूर्णी चिंता दूर करनी,जग को तारो भोली माँ,जन को तारो भोली माँ,काली दा पुत्र पवन दा घोड़ा !!!! भोली माँ…!! सिन्हा पर भाई असवार,…
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मारुति स्तोत्र इन हिंदी : शक्ति और सुरक्षा का दिव्य स्तोत्र

मारुति स्तोत्र इन हिंदी : शक्ति और सुरक्षा का दिव्य स्तोत्र

हनुमान जी को समर्पित 'मारुति स्तोत्र' एक ऐसा दिव्य स्तोत्र है जिसे पढ़ने से न केवल मानसिक बल प्राप्त होता है, बल्कि जीवन की सभी बाधाएँ स्वतः ही दूर हो जाती हैं। यह स्तोत्र संत रामदास स्वामी द्वारा रचित है, जो हनुमान जी के महान भक्तों में गिने जाते हैं। ‘मारुति स्तोत्र’ का पाठ करने से व्यक्ति को शारीरिक, मानसिक और आत्मिक शक्ति प्राप्त होती है। यह लेख आपको इस स्तोत्र के पाठ की विधि, लाभ और संपूर्ण लिरिक्स सहित संपूर्ण जानकारी प्रदान करेगा। मारुती स्तोत्र भीमरूपी महारुद्रा, वज्र हनुमान मारुती,वनारी अंजनीसूता, रामदूता प्रभंजना ॥1॥ महाबळी प्राणदाता, सकळां उठवीं बळें,सौख्यकारी…
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शिव पंचाक्षर स्तोत्र: ‘नमः शिवाय’ के दिव्य मंत्र का स्तुति रूप

शिव पंचाक्षर स्तोत्र: ‘नमः शिवाय’ के दिव्य मंत्र का स्तुति रूप

भगवान शिव की महिमा अपरंपार है। उन्हें प्रसन्न करना सरल है, लेकिन उनकी भक्ति में सच्ची श्रद्धा और संयम की आवश्यकता होती है। "Shiv Panchakshar Stotra" एक अत्यंत पवित्र स्तोत्र है जिसे आदिशंकराचार्य ने रचा है। इसमें पंचाक्षर मंत्र "नमः शिवाय" के प्रत्येक अक्षर की स्तुति की गई है। यह स्तोत्र न केवल साधक को शिवभक्ति में लीन करता है, बल्कि आत्मिक शांति और शक्ति भी प्रदान करता है। इस लेख में हम आपको इस स्तोत्र के लिरिक्स, विधि और लाभ विस्तार से बताएंगे। शिव पंचाक्षर स्तोत्र नागेन्द्रहाराय त्रिलोचनाय…भस्माङ्गरागाय महेश्वराय ॥नित्याय शुद्धाय दिगम्बराय…तस्मै न काराय नमः शिवाय ॥1॥ मन्दाकिनी सलिलचन्दन…
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