हिंदू धर्म में माता पार्वती को शक्ति, करुणा, सौंदर्य और मातृत्व की प्रतीक माना गया है। वे भगवान शिव की अर्धांगिनी और समस्त देवी शक्ति का मूल स्वरूप हैं। पार्वती माता की आरती न केवल भक्त को आंतरिक बल देती है, बल्कि जीवन की अनेक बाधाओं को भी शांत करती है। इस लेख में हम “पार्वती माता की आरती” के महत्व, विधि और लाभ के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे।
माता पार्वती आरती
जय पार्वती माता जय पार्वती माता,
ब्रह्म सनातन देवी शुभ फल की दाता।।
जय पार्वती माता…
अरिकुल पद्म विनाशिनि जय सेवक त्राता,
जग जीवन जगदंबा, हरिहर गुण गाता।।
जय पार्वती माता…
सिंह को वाहन साजे, कुण्डल हैं साथा,
देव वधू जस गावत, नृत्य करत ताथा।।
जय पार्वती माता…
सतयुग रूपशील अतिसुन्दर, नाम सती कहलाता,
हेमांचल घर जन्मी, सखियन संग राता।।
जय पार्वती माता…
शुम्भ-निशुम्भ विदारे, हेमांचल स्थाता,
सहस्त्र भुजा तनु धरि के, चक्र लियो हाथा।।
जय पार्वती माता…
सृष्टि रूप तुही है जननी शिवसंग रंगराता,
नन्दी भृंगी बीन लही सारा जग मदमाता।।
जय पार्वती माता…
देवन अरज करत हम चित को लाता,
गावत दे दे ताली, मन में रंगराता।।
जय पार्वती माता…
श्री प्रताप आरती मैया की, जो कोई गाता,
सदासुखी नित रहता सुख सम्पत्ति पाता।।
जय पार्वती माता…
पार्वती माता की आरती एक सरल लेकिन अत्यंत प्रभावशाली आध्यात्मिक साधना है। जो भी भक्त सच्चे मन से इस आरती को विधिपूर्वक करता है, उसे माँ की कृपा अवश्य प्राप्त होती है। यदि आप भी अपने जीवन में सुख, शांति और समृद्धि चाहते हैं, तो पार्वती माता की आरती को अपने दैनिक जीवन में अपनाएं और माँ के प्रेम से अपना जीवन आलोकित करें।
विधि
- प्रातः या संध्या समय स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण करें।
- पूजा स्थान को साफ़ करें और माँ पार्वती की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
- माँ को लाल फूल, अक्षत, रोली, चावल और मिठाई अर्पित करें।
- दीपक (घी या तेल का) जलाकर जल, फूल और धूप दिखाएं।
- आरती गाएं या पढ़ें, घंटी बजाते हुए।
- अंत में माँ से अपनी मनोकामना कहें और क्षमा प्रार्थना करें।
लाभ
- मानसिक शांति और स्थिरता प्राप्त होती है।
- घर में सुख, शांति और समृद्धि का वास होता है।
- कठिन विवाह या संतान संबंधी समस्याओं का समाधान मिलता है।
- स्त्रियों को विशेष रूप से पारिवारिक सुख की प्राप्ति होती है।
- सभी प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा और भय का नाश होता है।