आज सद्गुरु कबीर प्राकट्य महोत्सव के दूसरे दिन का आरंभ आश्रम के बाल संतों के भजनों से हुआ। इसके बाद राजस्थान से आई साध्वी मंजू बाई जी ने “आज घड़ी मेरे आनंद की सतगुरु आए मेरे धाम जी” भजन से प्राकट्य धाम को आनंदित कर दिया। इसके पश्चात विभिन्न राज्यों से आए महंतों ने अपने विचार व्यक्त किए। बांसवाड़ा, राजस्थान से महंत गिरिवर दास जी साहेब, रतलाम से महंत हीरा दास जी साहेब, बिहार से महंत मानभंग दास जी साहेब, गुजरात से महंत सेवा दास जी साहेब, छत्तीसगढ़ से महंत घनश्याम दास जी साहेब, और मध्य प्रदेश से मनोहर दास जी साहेब ने कबीर साहेब के वाणी, वचन, और भजनों पर प्रवचन दिए।
इस अवसर पर देश के विभिन्न प्रांतों से संत, महंत, और श्रद्धालु उपस्थित हुए, जो सद्गुरु कबीर साहेब के मार्ग का पालन कर मानव जीवन को सफल बनाने में प्रयासरत हैं।
पूज्य श्री धर्माधिकारी सुधाकर शास्त्री साहेब ने अपने उद्बोधन में कहा कि मुक्ति पाने के लिए गुरु की शरण में जाना आवश्यक है, बिना गुरु के मोक्ष संभव नहीं है। गुरु जीवन निर्माता हैं और उनकी पूजा सर्वोपरि है। कबीर पंथ की सबसे बड़ी विशेषता है खान-पान, आहार-विहार, पवित्र आचरण, और मधुर व्यवहार का पालन करना।
सद्गुरु कबीर प्राकट्य धाम के प्रमुख आचार्य पंथ श्री १००८ हजूर अर्धनाम साहेब ने अपने आशीर्वचन में कहा कि जबसे व्यक्ति सद्गुरु की शरण में आता है, उसका नया जन्म होता है। गुरु ही संदेह और अज्ञान को दूर करते हैं और संसार के रहस्यों को सुलझाते हैं। कबीर पंथ को केवल वही अपनाते हैं जो शूरवीर होते हैं और जिन्हें दुनिया का कोई भय नहीं होता।
कबीरदास जी के वचनों के अनुसार:
“हम न मरें मरिहै संसारा। हम कूं मिल्या जियावनहारा। अब न मरौं मरने मन माना, तेई मुख जिनि राम न जाना। साकत मरैं संत जन जीवैं, भरि भरि राम रसाइन पीवै। हरि मरिहैं तो हमहूँ मरिहैं, हरि न मरैं हम काहे कूं मरिहैं। कहै कबीर मन मनहि मिलावा, अमर भर सुख सागर पावा।”
कबीर कहते हैं कि अब मैं ना तो मरूंगा और ना ही मेरे मन में मरने का डर है। मरते वे लोग हैं जिन्हें ईश्वर का ज्ञान नहीं होता। संत लोग सदा जीवित रहते हैं और सत्संग की सुगंध से हंस कहलाते हैं। गुरु को सिर पर रखकर उसकी आज्ञा में चलने वाले शिष्य को तीनों लोकों का भय नहीं होता।
सायंकाल के सत्र में काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के डॉ विजय कपूर जी ने शास्त्रीय गायन से कबीर साहेब के आध्यात्मिक भजनों की प्रस्तुति दी। इस अवसर पर भारत के कोने-कोने से संत, महंत, भक्त, और श्रद्धालु शामिल हुए। इस आयोजन में श्री ललित जी मौर्या, कालूराम जी, हनुमत जी, सुरेश जी, भगवतसिंह जी, सुधीर जी, सुरेंद्र जी, विनोद जी, मोती जी, महंत घनश्याम जी, प्रबंधक केशव दास जी, और रोहित दास जी समेत आश्रम की सेवा समिति के अनेक पदाधिकारी उपस्थित थे। यह आयोजन तीन दिनों तक चलेगा, जिसमें कबीर साहेब की वाणी, साखी, भजन, और शब्द गूंजायमान रहेंगे। ३ जून को शोभायात्रा निकाली जाएगी तथा भोजन प्रसाद का आयोजन होगा।