तू मेरा ही सांवरा है

तू मेरा ही सांवरा है
Shiv murti

तू मेरा ही सांवरा है भजन कृष्ण भक्ति की गहराई को व्यक्त करता है, जहाँ भक्त अपने जीवन का आधार केवल श्यामसुंदर को मानता है। यह भजन आत्मा और परमात्मा के अद्वितीय संबंध का चित्रण करता है, जो प्रेम, विश्वास और भक्ति से जुड़ा हुआ है। इसे सुनते ही मन में कृष्ण के चरणों में पूर्ण समर्पण और मधुर शांति का अनुभव होता है।

Tu Mera Hi Saanwra Hai

तू मेरा ही सांवरा है, कहता हूं ये महफिल में,

मैं भटक रहा था दर दर, तूने बिठाया दिल में ।

तेरे नाम के तो प्रेमी, लाखों भरे है बाबा,

कोई मनाता तुझको, कोई रिझाता बाबा,

एक फूल क्या चढ़ाऊं, नहीं हूं तेरे काबिल मैं,

तू मेरा ही सांवरा है कहता हूं ये महफिल में।

था भीड में अकेला, न कोई काम आया,

सबने किया किनारा, तूने गले लगाया,

तुम साथ यूं ही रहना, हरदम सभी मुश्किल में,

तू मेरा ही सांवरा है कहता हूं ये महफिल में।

आया शरण तुम्हारी, ले ठोकरें सभी की,

नेहा से नेह बाबा, न तोड़ना कभी भी,

रास्ता दिखाना हरदम, आगे सभी मंजिल में,

तू मेरा ही सांवरा है कहता हूं ये महफिल में।

तू मेरा ही सांवरा है, कहता हूं ये महफिल में,

मैं भटक रहा था दर दर, तूने बिठाया दिल में ।

यह भजन श्यामसुंदर के प्रति भक्त के अटूट प्रेम और आत्मीयता का भाव जगाता है। तू मेरा ही सांवरा है सुनते समय हृदय कृष्ण के स्वरूप से जुड़कर भक्ति और आनंद में डूब जाता है। यह स्मरण कराता है कि जीवन की हर राह पर केवल सांवरे का साथ ही सच्चा सहारा है।

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