21 दिसंबर को संयुक्त राष्ट्र (यूएन) में पहली बार विश्व ध्यान दिवस मनाया गया। इस ऐतिहासिक आयोजन का मुख्य उद्देश्य ध्यान को धर्म, सीमाओं और परंपराओं से परे एक वैश्विक कूटनीतिक साधन के रूप में प्रस्तुत करना था। भारत के स्थायी मिशन ने इस अवसर पर “वैश्विक शांति और सद्भाव के लिए ध्यान” नामक एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया।
इस कार्यक्रम में संयुक्त राष्ट्र के राजदूतों, अधिकारियों, कर्मचारियों, नागरिक समाज के सदस्यों और भारतीय-अमेरिकी प्रवासी समुदाय ने हिस्सा लिया।
ध्यान: लक्जरी नहीं, आवश्यकता है
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए आध्यात्मिक नेता गुरुदेव श्री श्री रविशंकर ने ध्यान के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा,
“आज के समय में ध्यान कोई लक्जरी नहीं बल्कि आवश्यकता है। यह एक ऐसा साधन है, जिसे आप कहीं भी और किसी भी समय अपना सकते हैं।”
उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि ध्यान किसी विशेष धर्म का हिस्सा नहीं है। यह सभी धर्मों और सीमाओं से परे है और हर किसी के जीवन में उपयोगी है।
ध्यान: तनाव और संघर्षों के बीच शांति का साधन
यूएन महासभा के अध्यक्ष फिलेमोन यांग ने भी इस कार्यक्रम में अपनी बात रखी। उन्होंने कहा,
“आज की दुनिया को शांति की सबसे ज्यादा जरूरत है। ध्यान सभी परंपराओं और सीमाओं से परे है। यह तनाव को दूर करने और शांति लाने में एक प्रभावी साधन है। हमें इस अभ्यास को अपनाकर एक सुरक्षित और न्यायसंगत भविष्य का निर्माण करना चाहिए।”
श्री श्री रविशंकर के नेतृत्व में विशेष ध्यान सत्र
कार्यक्रम के दौरान गुरुदेव श्री श्री रविशंकर के नेतृत्व में एक विशेष ध्यान सत्र आयोजित किया गया। यह सत्र विशेष रूप से उन लोगों के लिए उपयोगी साबित हुआ, जो अत्यधिक मानसिक दबाव और तनाव का सामना कर रहे हैं।
मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान क्यों जरूरी है?
ऑपरेशनल सपोर्ट के अवर महासचिव अतुल खरे ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र के कर्मचारी और नागरिक दुनिया की गंभीर चुनौतियों के बीच काम करते हैं। वे अक्सर अपने परिवार और घर से दूर रहते हैं, जिससे उनके मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
उन्होंने बताया,
“हमारे कर्मचारी हिंसा के खिलाफ नागरिकों की रक्षा करने के महत्वपूर्ण काम में जुटे रहते हैं। ऐसे में ध्यान मानसिक संतुलन बनाए रखने और चुनौतियों का सामना करने में मदद करता है।”
ध्यान का वैश्विक महत्व
इस महीने की शुरुआत में 193 सदस्यीय संयुक्त राष्ट्र महासभा ने सर्वसम्मति से 21 दिसंबर को विश्व ध्यान दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की। यह कदम ध्यान के महत्व को पहचानने और इसे वैश्विक स्तर पर बढ़ावा देने के उद्देश्य से उठाया गया है।
ध्यान: सीमाओं से परे एक अनमोल साधन
गुरुदेव श्री श्री रविशंकर ने अपने संबोधन में इस बात पर जोर दिया कि ध्यान न केवल मानसिक स्वास्थ्य के लिए बल्कि विश्व शांति और सद्भाव के लिए भी आवश्यक है। उन्होंने कहा कि जैसे ही लोग ‘ध्यान’ शब्द सुनते हैं, वे इसे धर्म से जोड़ देते हैं। लेकिन ध्यान धर्म और सीमाओं से परे है।