भक्ति का सबसे बड़ा आधार यही है कि जब भी भक्त सच्चे हृदय से पुकारते हैं, तो भगवान तुरंत उनके पास पहुँच जाते हैं। जब भक्त बुलाते हैं हरि दौड़ के आते हैं भजन इसी अटल सत्य को प्रकट करता है, जहाँ हरि का प्रेम और करुणा भक्त की पुकार में समा जाता है। यह भजन सुनते ही आत्मा विश्वास और भक्ति के सागर में डूब जाती है।
Jab Bhak Bulate Hain Hari Daud Ke Aate Hain
जब भक्त बुलाते हैँ
जब भक्त बुलाते हैँ, हरि दौड़ के आते हैँ ॥
वो तो दीन और दुःखीओं को ॥
आ के गले लगाते हैँ, हरि दौड़ के आते हैँ,
जब भक्त बुलाते हैँ…
द्रोपदी ने जब, उन्हें पुकारा, दौड़े दौड़े आ गए ।
भरी सभा में, चीर बढ़ा के, उसकी लाज बचा गए ॥
वो बहुत दयालु हैँ, वो दया के सागर हैँ,
वो चीर बढ़ाते हैँ, हरि दौड़ के आते हैँ,
जब भक्त बुलाते हैँ…
अर्जुन ने जब, उन्हें पुकारा, सार्थी बनके आ गए ।
गीता का, उपदेश सुना के, उसका भरम मिटा गए ॥
वो ज्ञान सिखाते हैँ, वो भरम मिटाते हैँ,
वो गले लगाते हैँ, हरि दौड़ के आते हैँ,
जब भक्त बुलाते हैँ…
धन्ने ने जब, उन्हें पुकारा, ठाकुर बनके आ गए ।
पत्थरों में, दर्श दिखा के, प्रेम का भोग लगा गए ॥
वो दर्श दिखाते हैँ, वो हल चलाते हैँ,
वो मान बढ़ाते हैँ, हरि दौड़ के आते हैँ,
जब भक्त बुलाते हैँ…
मित्र सुद्दामा, द्वारे आए, दौड़े दौड़े आ गए ।
दो मुठी, सत्तू के बदले, उसका महल बना गए ॥
वो फ़र्ज़ निभाते हैँ, वो गले लगाते हैँ,
वो महल बनाते हैँ, हरि दौड़ के आते हैँ,
जब भक्त बुलाते हैँ…
जब भक्त बुलाते हैं हरि दौड़ के आते हैं एक ऐसा भजन है जो हमें यह विश्वास दिलाता है कि प्रभु हर पल हमारे साथ हैं। सच्ची पुकार और निश्छल प्रेम से हरि स्वयं भक्तों के चरणों में आकर उन्हें कृपा का आशीर्वाद देते हैं। यह भजन हर भक्त के हृदय में आस्था और भरोसे का दीपक प्रज्वलित करता है।