पितृपक्ष हिन्दू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण समय होता है, जिसमें लोग अपने पूर्वजों को याद करते हैं और उनके लिए तर्पण, श्राद्ध, और दान जैसे कार्य करते हैं। ऐसा माना जाता है कि पितृपक्ष के दौरान पितर धरती पर आते हैं और उनकी संतुष्टि के लिए किया गया कर्म उन्हें शांति प्रदान करता है। पितरों को प्रसन्न करने के लिए निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं:
1. तर्पण और श्राद्ध:
पितरों के प्रति सम्मान प्रकट करने का प्रमुख माध्यम तर्पण और श्राद्ध होता है। यह कर्म पितृपक्ष के दौरान किसी भी दिन किया जा सकता है, परंतु सर्वपितृ अमावस्या का दिन विशेष माना जाता है। श्राद्ध में पवित्रता का ध्यान रखते हुए भोजन अर्पित करना, पितरों का स्मरण करना और विशेष मंत्रों का उच्चारण करना चाहिए।
2. दान:
पितरों की आत्मा की शांति के लिए ब्राह्मणों और जरूरतमंदों को दान देना महत्वपूर्ण माना जाता है। भोजन, वस्त्र, धन, और तिल, गुड़, घी आदि का दान करने से पितर प्रसन्न होते हैं। गायों, कुत्तों, पक्षियों और कौवों को भी भोजन देना पुण्य का काम माना जाता है।
3. अनुशासन और सात्विक जीवन:
पितृपक्ष में अनुशासन और सात्विक जीवनशैली अपनाने पर जोर दिया जाता है। शराब, मांसाहार, और तामसिक भोजन से दूर रहते हुए संयमित जीवन जीना चाहिए। इससे पितरों को संतुष्टि मिलती है और घर में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है।
4. पितृ स्तोत्र और मंत्र जाप:
पितृ स्तोत्र और गायत्री मंत्र का जाप करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है। इस दौरान “ॐ पितृभ्यो नमः” का मंत्र विशेष रूप से प्रभावी माना जाता है।
इन सभी उपायों के माध्यम से पितर प्रसन्न होते हैं और परिवार में सुख-शांति, समृद्धि और स्वस्थ जीवन का आशीर्वाद देते हैं।