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काशी विश्वनाथ मंदिर: सुरक्षा में सेंध, पुलिसकर्मी का वीडियो वायरल

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न्यूज़ डेस्क-सोनाली पटवा. काशी विश्वनाथ मंदिर में सुरक्षा व्यवस्था की एक बड़ी चूक सामने आई है। एक पुलिसकर्मी सोमवार की सुबह महिला श्रद्धालु को दर्शन कराने के बहाने मोबाइल फोन लेकर गर्भगृह में पहुंच गया। वहां उसने बाबा विश्वनाथ के जलधारी को लांघकर फोटो और वीडियो बनाए, जो सोशल मीडिया पर वायरल हो गए। इस घटना ने सुरक्षा प्रोटोकॉल पर सवाल खड़े कर दिए हैं और मंदिर प्रशासन ने जांच शुरू कर दी है।

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सोमवार को सुबह 9:20 बजे, श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में पूजा-अर्चना चल रही थी। इसी दौरान एक सिपाही कुछ श्रद्धालुओं के साथ मंदिर में आया। उसने पहले बाबा विश्वनाथ को जल चढ़ाने वाली जलधारी को लांघा, फिर माला-फूल चढ़ाया। इसके बाद, वह दूसरी जलधारी को लांघकर कोने में खड़ा हो गया और अपनी पैंट की पॉकेट से मोबाइल निकालकर फोटो खींचने लगा। कुछ समय बाद, उसने वीडियो भी बनाया और फिर मोबाइल को पॉकेट में रख लिया।

लाइव दर्शन का यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होते ही श्रद्धालुओं में आक्रोश फैल गया। श्रद्धालुओं का कहना है कि कड़ी सुरक्षा के बावजूद भी पुलिसकर्मी मोबाइल लेकर गर्भगृह में पहुंच गए, यह सुरक्षा प्रोटोकॉल का उल्लंघन है।

चेकिंग प्वाइंट पर जमा होते हैं मोबाइल

मंदिर की स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (एसओपी) के अनुसार, काशी विश्वनाथ मंदिर के चेकिंग प्वाइंट के बाहर ही मोबाइल फोन जमा कर दिए जाते हैं। किसी को भी गर्भगृह में मोबाइल फोन, पेन, कंघी आदि ले जाने की इजाजत नहीं है। पुलिसकर्मी भी चेकिंग पॉइंट तक ही अपने मोबाइल और असलहा ले जा सकते हैं।

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पहले भी उड़ी हैं नियमों की धज्जियां

यह पहली बार नहीं है जब मंदिर के नियमों का उल्लंघन हुआ है। रंगभरी एकादशी पर्व पर गर्भगृह में हजारों लोग मोबाइल लेकर पहुंच गए थे और गर्भगृह की कई वीडियो और रील्स सोशल मीडिया पर वायरल हो गई थीं। मसान की होली पर भी काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के अंदर सुरक्षा को धता बताकर युवकों ने जमकर उत्पात मचाया था।

अधिकारियों की प्रतिक्रिया

काशी विश्वनाथ मंदिर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी, विश्वभूषण मिश्र ने इस घटना को गंभीरता से लेते हुए कहा, “यह नियमों का उल्लंघन है। पूरे मामले की जांच कराई जाएगी और जो भी दोषी होगा, उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी।”

यह घटना मंदिर की सुरक्षा व्यवस्था की खामियों को उजागर करती है और सुरक्षा प्रोटोकॉल की पुनः समीक्षा की आवश्यकता पर जोर देती है। श्रद्धालुओं और मंदिर प्रशासन दोनों के लिए यह एक चेतावनी है कि सुरक्षा में किसी भी तरह की ढिलाई नहीं होनी चाहिए।

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