वाराणसी की मशहूर ‘चाची की कचौड़ी’ को मिला नया ठिकाना, स्वाद और विरासत दोनों बरकरार

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वाराणसी के रविदास चौराहे पर सड़क चौड़ीकरण के चलते प्रशासन ने 30 से ज्यादा दुकानों पर बुलडोजर चलाया। इस कार्रवाई की जद में बनारस की शान मानी जाने वाली ‘चाची की कचौड़ी’ की दुकान भी आ गई। करीब 110 साल पुरानी इस दुकान का स्वाद न सिर्फ स्थानीय लोगों को बल्कि नेताओं, अभिनेताओं और देशभर के पर्यटकों को भी दीवाना बना चुका है।

लोगों के मन में सवाल उठने लगा था कि क्या अब यह स्वाद इतिहास बन जाएगा? लेकिन अब राहत की खबर है कि ‘चाची की कचौड़ी’ को नया ठिकाना मिल गया है। लंका स्थित रविदास गेट के सामने, जहां पहले यह दुकान थी, उसी के ठीक सामने अब यह दोबारा खुल गई है। दुकान खुलते ही लोग पहले की तरह सड़कों पर खड़े होकर कचौड़ी का स्वाद लेते नजर आए।

दुकान के मालिक कैलाश यादव ने बताया कि यह दुकान उनकी मां ने शुरू की थी, जो ‘चाची’ नाम से मशहूर थीं। खास बात यह थी कि चाची कचौड़ी के साथ गालियां भी देती थीं, जिसे लोग बनारसी अंदाज़ का आशीर्वाद मानते थे। यही अनोखा अंदाज चाची की पहचान बन गया।

राजेश खन्ना, स्मृति ईरानी समेत कई नामचीन हस्तियां इस दुकान पर आ चुकी हैं। एक किस्से के मुताबिक, जब राजेश खन्ना पहली बार आए और चाची ने गालियां देनी शुरू कीं, तो वे चौंक गए। लेकिन बाद में मुस्कुराते हुए उन्होंने चाची को पैसे देकर विदा लिया।

आज भी यहां सुबह-सुबह भीड़ उमड़ती है। कचौड़ी के अलावा समोसा, लौंगलता और इमरती भी लोगों को आकर्षित करती हैं। चाची की विरासत और स्वाद दोनों आज भी बरकरार हैं।

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