भारतीय देवी परंपरा में वराही अम्मन को शक्ति की अत्यंत रहस्यमयी और रक्षक रूप में पूजा जाता है। देवी महालक्ष्मी के सप्तमातृका रूपों में से एक मानी जाने वाली वराही अम्मन अज्ञान का नाश कर ज्ञान का प्रकाश देती हैं। Varahi Amman Gayatri Mantra एक अत्यंत प्रभावशाली और दिव्य मंत्र है, जिसे श्रद्धा और नियमपूर्वक जपने से जीवन में शक्ति, सुरक्षा और आत्मबल की प्राप्ति होती है। इस लेख में हम जानेंगे इस मंत्र की जप विधि, इसके लाभ और इससे जुड़ी आस्था का गहराई से वर्णन।
गायत्री मंत्र
ॐ वराही विद्महे धनुर्धराय धीमहि।
तन्नो देवी प्रचोदयात्॥
Varahi Amman Gayatri Mantra एक अत्यंत शक्तिशाली और रहस्यमयी मंत्र है जो साधक को आंतरिक बल, रक्षण और आध्यात्मिक जागृति प्रदान करता है। जो भी श्रद्धा और विधिपूर्वक इस मंत्र का जप करता है, उसके जीवन से भय, संकट और नकारात्मकता दूर हो जाती है। माँ वराही के इस मंत्र को पढ़ना और करना साधक को दिव्य ऊर्जा और आत्मिक उन्नति की ओर अग्रसर करता है।
गायत्री मंत्र जपने की विधि
- शुद्ध स्थान का चयन करें: घर का मंदिर या शांत स्थान चुनें जहाँ ध्यान एकाग्र हो सके।
- स्वच्छता: स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें और माँ वराही की मूर्ति या चित्र के सामने दीपक जलाएं।
- आसन और समय: पीले या लाल रंग के आसन पर पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठें। सुबह के समय यह जप अधिक फलदायी होता है।
- मंत्र जप की संख्या: प्रारंभ में 108 बार जप करें। बाद में इसे 11, 21 या 51 माला तक बढ़ा सकते हैं।
- चरणबद्ध ध्यान: माँ की शक्ति, स्वरूप और आशीर्वाद की भावना से मंत्र जप करें।
गायत्री मंत्र के लाभ
- रक्षा और साहस: यह मंत्र नकारात्मक शक्तियों से सुरक्षा प्रदान करता है और आत्मबल को मजबूत बनाता है।
- ध्यान और जागृति: साधक का चित्त एकाग्र होता है, जिससे ध्यान और साधना में सफलता मिलती है।
- विघ्नों का नाश: जीवन में आ रहे अवरोध, भय और मानसिक परेशानियाँ दूर होती हैं।
- न्याय और निर्णय में सहायता: यह मंत्र साधक को न्याय की राह पर चलने और सही निर्णय लेने की शक्ति देता है।
- आत्मिक उन्नति: मंत्र साधना से साधक का आत्मिक स्तर ऊँचा उठता है और आध्यात्मिक आनंद की अनुभूति होती है।