यूपी विधानसभा में हंगामा: गृहमंत्री के बयान पर विवाद

यूपी विधानसभा में हंगामा: गृहमंत्री के बयान पर विवाद
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यूपी विधानसभा में गुरुवार को गृहमंत्री अमित शाह के बयान को लेकर भारी हंगामा हुआ। इस दौरान समाजवादी पार्टी (सपा) के सदस्यों ने जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। हंगामे के बीच ही अनुपूरक बजट पास कर लिया गया और फिर सदन की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई।

डॉ. आंबेडकर पर बयान को लेकर सपा का विरोध


गृहमंत्री अमित शाह के संविधान निर्माता डॉ. बाबा साहेब आंबेडकर पर दिए गए बयान को लेकर सपा के सदस्यों ने नाराजगी जताई। सपा विधायकों ने डॉ. आंबेडकर की तस्वीरें लेकर विधानसभा में जोरदार नारेबाजी की। उनका कहना था कि यह बाबा साहेब का अपमान है, जिसे हिंदुस्तान कभी बर्दाश्त नहीं करेगा।

हंगामे के दौरान कार्यवाही प्रभावित


जैसे ही विधानसभा की कार्यवाही शुरू हुई, सपा विधायकों ने हंगामा करना शुरू कर दिया। विधानसभा अध्यक्ष ने स्थिति को नियंत्रित करने की कोशिश की और सदस्यों से प्रश्न पूछने की अपील की, लेकिन हंगामे के कारण कोई भी सवाल नहीं पूछा गया। इसके बावजूद सदन की कार्यवाही को जारी रखा गया और अनुपूरक बजट पारित किया गया।

सदन में नारेबाजी: “जय भीम, बाबा साहेब का अपमान नहीं सहेगा हिंदुस्तान”


सपा विधायकों ने “जय भीम, बाबा साहेब का अपमान नहीं सहेगा हिंदुस्तान” जैसे नारे लगाए। उनका कहना था कि गृहमंत्री का बयान डॉ. आंबेडकर और संविधान के मूल्यों का अपमान है।

विपक्ष का सरकार पर तानाशाही का आरोप


विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पांडेय ने कहा कि लोकतंत्र में हर किसी को विरोध और अपनी बात रखने का अधिकार है। लेकिन यह सरकार लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को नजरअंदाज कर तानाशाही तरीके से काम कर रही है। उन्होंने कहा कि विरोध प्रदर्शन लोकतंत्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, लेकिन सरकार इसे दबाने की कोशिश कर रही है।

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सदन का स्थगन और आगे की राह


हंगामे और विपक्ष के विरोध के कारण विधानसभा अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी। अब यह देखना होगा कि इस मुद्दे पर सरकार और विपक्ष के बीच कोई समाधान निकलता है या नहीं।

निष्कर्ष


यूपी विधानसभा में गृहमंत्री अमित शाह के बयान पर विवाद ने सरकार और विपक्ष के बीच मतभेदों को और गहरा कर दिया है। सपा ने डॉ. आंबेडकर के मुद्दे पर सरकार को आड़े हाथों लिया, वहीं विपक्ष ने सरकार पर तानाशाही का आरोप लगाकर लोकतांत्रिक मूल्यों की सुरक्षा का सवाल खड़ा किया।