
जब अयोध्या नगरी में प्रभु श्रीराम का जन्म हुआ, तब संपूर्ण अवध में उल्लास और मंगल की ध्वनि गूँज उठी। आज अवध में खुशियां छाई, जन्मे हैं देखो रघुराई भजन उस आनंदमय पल का दिव्य स्मरण है। यह भक्ति स्वर हर भक्त के हृदय में प्रेम और उमंग भर देता है।
Aaj Avadh Mein Khushiya Chhai Janme Hai Dekho Raghurai
आज अवध में खुशिया छाई,
जन्मे हैं देखो रघुराई ,
आज अवध में खुशिया छाई,
जन्मे हैं देखो रघुराई ,
राम, लखन, भरत, शत्रुधन ,
जन्मे हैं देखो चार भाई,
कौशल्या, सुमित्रा, केकई,
दशरथ जी को बहुत बधाई,
आज अवध में खुशिया छाई,
जन्मे हैं देखो रघुराई ,
ब्रह्मा जी आए, भोले जी आए,
संग में माता गौरा आई,
बज रहे हैं ढोल और ताशे,
बज रही मंगल शहनाई,
आज अवध में खुशिया छाई,
जन्मे हैं देखो रघुराई ,
खिल उठी हैं सारी कलिया,
पेड़ो पर हरियाली छाई,
सज गया सरयू का किनारा,
माता सरयू भी हर्षाई,
आज अवध में खुशिया छाई,
जन्मे हैं देखो रघुराई ,
सूरज भी भुल गए हैं ढलना,
देख के मेरे राम का पलना,
पलने में सोए रघुराई,
कौशल्या जी ने लोरी गाई,
आज अवध में खुशिया छाई,
जन्मे हैं देखो रघुराई ,
आज अवध में खुशियां छाई, जन्मे हैं देखो रघुराई का गान सुनते ही हर कोई प्रभु के जन्मोत्सव में खो जाता है। यह भजन न केवल आस्था को जागृत करता है बल्कि रामलला की पावन स्मृतियों से भी जोड़ देता है। प्रभु की यह आराधना भक्तजनों को भक्ति मार्ग पर स्थिर और आनंदित बनाए रखती है।

