बलिया। जिले के सिकंदरपुर क्षेत्र में न्याय की आस लिए भटकती पूनम देवी प्रशासन की निष्क्रियता से हताश हैं। उनकी पुश्तैनी जमीन पर विपक्षियों ने अवैध कब्जा कर लिया और उनके रिहायशी छप्पर को आग के हवाले कर दिया। बावजूद इसके, प्रशासनिक अधिकारियों ने अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया है।
पूनम देवी का कहना है कि यह घटना 16 जून को हुई, जब बृजमोहन, रोहित और अमरनाथ (पुत्रगण शंकरदास) ने उनके छप्पर को जला दिया। इस घटना में उनकी घरेलू सामग्री और अनाज जलकर राख हो गए। इसके बाद से वह न्याय के लिए थाना, लेखपाल और उपजिलाधिकारी के चक्कर काट रही हैं, लेकिन कहीं कोई सुनवाई नहीं हो रही।
पीड़िता का आरोप है कि विपक्षियों के पास जमीन पर कब्जे का कोई वैध दस्तावेज नहीं है। इसके बावजूद वे उनके हिस्से पर अवैध निर्माण कर रहे हैं। जब उन्होंने थाने में शिकायत की, तो हल्का सिपाही दिनेशचंद चौधरी ने यह कहकर मामला टाल दिया कि जमीन पर एसडीएम का स्टे है। हालांकि, पूनम देवी का दावा है कि ऐसा कोई आदेश एसडीएम द्वारा जारी नहीं किया गया है।
सबसे गंभीर सवाल लेखपाल की भूमिका पर उठता है। पूनम देवी ने बताया कि लेखपाल से बार-बार संपर्क करने के बावजूद वह उनके प्रकरण को नजरअंदाज कर रहे हैं। उनकी निष्क्रियता के चलते अब विपक्षी और अधिक हावी हो रहे हैं। पूनम देवी ने चेतावनी दी है कि अगर उन्हें न्याय नहीं मिला और उनके जले हुए छप्पर को दोबारा बनाने की अनुमति नहीं दी गई, तो वह आत्मदाह करने को मजबूर होंगी।
पीड़िता ने प्रशासन से अपील की है कि उनकी समस्या का तुरंत समाधान किया जाए। उन्होंने मांग की है कि उनकी जमीन पर कब्जा करने वाले विपक्षियों पर सख्त कार्रवाई हो और उन्हें उनका पुश्तैनी हक वापस दिलाया जाए।
“गरीब की सुनवाई नहीं होती, लेकिन उसकी मजबूरी उसे लड़ने पर मजबूर कर देती है,” यह पंक्ति पूनम देवी के दर्द को बखूबी बयां करती है। अब देखना यह है कि प्रशासन कब जागेगा और लेखपाल की निष्क्रियता पर सवाल उठाकर पीड़िता को इंसाफ दिलाएगा।