भारत की आध्यात्मिक परंपरा में नीला सरस्वती गायत्री मंत्र एक रहस्यमयी और अत्यंत शक्तिशाली मंत्र माना जाता है। यह मंत्र देवी नीला सरस्वती को समर्पित है, जो विद्या, तंत्र, रहस्य और रक्षा की देवी मानी जाती हैं। मैं, आपके अपने साधक साथी की तरह, इस लेख में आपको इस मंत्र के महत्व, जाप की विधि और इसके लाभों के बारे में सरल और आत्मीय भाषा में बताऊंगा।
सरस्वती गायत्री मंत्र
ॐ वज्रवर्णाय विद्महे चिन्नमस्ताय धीमहि।
तन्नो नीला सरस्वती प्रचोदयात्॥
नीला सरस्वती गायत्री मंत्र न केवल आध्यात्मिक बल प्रदान करता है, बल्कि साधक को नकारात्मकता से उबारकर दिव्य प्रकाश की ओर ले जाता है। जो भक्त इस मंत्र की श्रद्धापूर्वक साधना करते हैं, उन्हें चमत्कारी अनुभव होते हैं। यदि आपको यह लेख उपयोगी लगे तो “नीला सरस्वती कवच”, “नीला सरस्वती स्तुति”, “नीला सरस्वती अष्टक” और “नीला सरस्वती मंत्र साधना विधि” जैसे अन्य लेख भी जरूर padhein और साधना में आगे बढ़ें।
जाप की विधि
- शुभ मुहूर्त और स्थान का चयन करें
प्रातःकाल या मध्यरात्रि साधना के लिए उपयुक्त माने जाते हैं। शांत, एकांत और स्वच्छ स्थान पर आसन लगाएं। - शुद्धता और आसन का महत्व
स्नान कर नीले या सफेद वस्त्र पहनें और कुश या ऊन के आसन पर बैठें। मन को स्थिर करें और तीन बार गहरी सांस लें। - दीया और पुष्प अर्पण करें
देवी नीला सरस्वती की मूर्ति या चित्र के समक्ष दीपक जलाएं, नीले पुष्प अर्पित करें। - मंत्र का जाप करें
माला लेकर इस मंत्र का जाप कम से कम 108 बार करें। जाप करते समय मन में देवी का ध्यान, उनका स्वरूप और उनके गुणों का चिंतन करें। - आहुति या पूर्णाहुति करें
यदि यज्ञ आदि कर रहे हों तो अंतिम में पूर्णाहुति अवश्य दें। नहीं तो केवल ध्यानपूर्वक आरती करें।
लाभ
- बुरी शक्तियों से रक्षा
नीला सरस्वती मंत्र साधक को नकारात्मक ऊर्जा, नजर दोष और तांत्रिक प्रभाव से रक्षा प्रदान करता है। - मानसिक शक्ति और ध्यान में वृद्धि
इस मंत्र का नियमित जाप मन को एकाग्र करता है और आध्यात्मिक साधना को गहराई देता है। - विद्या और वाणी में सिद्धि
यह मंत्र विद्यार्थियों, लेखकों और वक्ताओं के लिए अत्यंत लाभकारी है। यह वाणी को प्रभावशाली बनाता है। - आत्म-साक्षात्कार की दिशा में मार्गदर्शन
नीला सरस्वती साधना आत्म-ज्ञान और ब्रह्म-तत्व की ओर साधक को प्रेरित करती है।

