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कई यज्ञों का पुण्य देने वाला पर्व 26 दिसंबर को

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मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर तीर्थ स्नान और दान की परंपरा, इस दिन खत्म होता है अगहन महीना
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26 दिसंबर को अगहन महीने का आखिरी दिन है। इस दिन पूर्णिमा तिथि रहेगी। इस पूर्णिमा पर स्नान, दान और भगवान विष्णु की पूजा करने का विधान है, इसलिए इसे महत्वपूर्ण और पुण्य फलदायी माना गया है। पुराणों में कहा गया है कि इस पूर्णिमा पर स्नान और दान करने से कई यज्ञ करने जितना पुण्य मिलता है।
अगहन महीने को पवित्र और श्रेष्ठ माना गया है। इस महीने में ही भगवान श्रीकृष्ण ने गीता का उपदेश दिया था। इस कारण मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर स्नान-दान के साथ भगवान विष्णु की पूजा करने का भी विधान है।

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मार्गशीर्ष पूर्णिमा का महत्व

पूरे महीने पूजा-पाठ और व्रत करने वालों के लिए पूर्णिमा का दिन सर्वश्रेष्ठ माना गया है। इस दिन तीर्थ या किसी पवित्र नदी में स्नान कर के दान करने से पापों का नाश होता है। इस दिन व्रत रखकर भगवान विष्णु की पूजा और कथा करने से भी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर गीता पाठ करने का भी महत्व है। इस दिन गीता पाठ करने से पितरों को तृप्ति प्राप्त होती है।

तुलसी की मिट्टी से नहाने का विधान

पुराणों के मुताबिक इस पूर्णिमा पर तुलसी के पौधे के जड़ की मिट्टी से पवित्र सरोवर में स्नान करने का विधान बताया गया है। ऐसा करने से भगवान विष्णु की कृपा मिलती है। नहाते वक्त ऊं नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करना चाहिए। साथ ही इस दिन व्रत और श्रद्धा के हिसाब से दान करने की भी परंपरा है। इससे जाने-अनजाने में हुए पाप और अन्य दोष खत्म हो जाते हैं

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मार्गशीर्ष पूर्णिमा की पूजा विधि

  1. इस दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान कर के पूरे घर में सफाई के बाद गौमूत्र छिड़के।
  2. घर के बाहर रंगोली बनाएं और मुख्य द्वार पर बंदनवार लगाएं।
  3. पूजा के स्थान पर गाय के गोबर से लीपें और गंगाजल छिड़कें।
  4. तुलसी के पौधे में जल चढ़ाएं और प्रणाम कर के तुलसी पत्र तोड़ें।
  5. ताजे कच्चे दूध में गंगाजल मिलाकर भगवान विष्णु-लक्ष्मी और श्रीकृष्ण एवं शालग्राम का अभिषेक करें।
  6. अबीर, गुलाल, अक्षत, चंदन, फूल, यज्ञोपवित, मौली और अन्य सुगंधित पूजा साम्रगी के साथ भगवान की पूजा करें और तुलसी पत्र चढ़ाएं।
  7. इसके बाद सत्यनारायण भगवान की कथा कर के नैवेद्य लगाएं और आरती के बाद प्रसाद बांटें।
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Aditya