
मखाना की खेती को बढ़ावा देने हेतु इस बार मखाना की खेती को स्केल आफ फाइनेंस में शामिल किया गया है
इससे मखाना की खेती करने वाले कृषक भी ऋण प्राप्त कर सकते हैं
कृषक आगामी खरीफ एवं रबी फसल की बुवाई हेतु वर्ष 2025-26 हेतु निर्धारित स्केल आफ फाइनेंस के अनुसार बैंक से ऋण प्राप्त कर सकते हैं
वाराणसी। मुख्य विकास अधिकारी हिमांशु नागपाल के निर्देश के क्रम में बुधवार को विकास भवन, सभागार में वर्ष 2025-26 में विभिन्न फसलों/पशुपालन/मत्स्य पालन/रेशम कीट पालन एवम् मधुमक्खी पालन आदि कृषि सम्बद्ध गतिविधियों हेतु किसान क्रेडिट कार्ड पर ऋण के लिए स्केल आफ फाइनेंस निर्धारित करने हेतु जिला स्तरीय तकनीकी समिति (डी0एल0टी0सी0) की बैठक के साथ किसान दिवस का आयोजन किया गया। जिसमें कृषि, सिंचाई, लघु सिंचाई, सहकारिता, मत्स्य, उद्यान, नलकूप, पशुपालन, गन्ना, लीड बैंक प्रबंधक, सहायक महाप्रबंधक-नाबार्ड, एस0बी0 आई0, बडौदा यू0पी0बैंक, सहकारी बैंक, रेशम, यू0पी0 नेडा, दुग्ध विकास अधिकारी एवं जनपद के कृषकों द्वारा सहभागिता किया गया।
बैठक में फसल लागत के अनुसार कृषकों को ऋण मिल सके इसके लिए विभिन्न फसलों के कास्ट आफ कल्टीवेशन पर चर्चा करते हुए उनकी प्रति हेक्टेयर लागत तथा पशुपालन, मत्स्य पालन, मधुमक्खी पालन, शहतूत रेशम कीट पालन हेतु विभागों द्वारा प्रस्तावित किये गये स्केल आफ फाइनेंस को कृषकों की सहमति से निर्धारित किया गया। इसी के साथ मखाना की खेती को बढ़ावा देने हेतु इस बार मखाना की खेती को स्केल आफ फाइनेंस में शामिल किया गया है। इससे मखाना की खेती करने वाले कृषक भी ऋण प्राप्त कर सकते हैं। जिला कृषि अधिकारी द्वारा अवगत कराया गया है कि कृषक भाई आगामी खरीफ एवं रबी फसल की बुवाई हेतु वर्ष 2025-26 हेतु निर्धारित स्केल आफ फाइनेंस के अनुसार बैंक से ऋण प्राप्त कर सकते हैं तथा ऋण प्राप्त करने में किसी प्रकार की समस्या आने पर अवगत करायें, जिससे समस्या का समाधान कराते हुए ऋण प्राप्त कराया जा सके। सहायक महाप्रबंधक, नाबार्ड द्वारा कृषको को अवगत कराया गया कि के0सी0सी0 की धनराशि रू0 3 लाख से बढ़ाकर रू0 05 लाख कर दिया गया है, जिस पर किसानों द्वारा प्रसन्नता व्यक्त की गयी। इसी के साथ संबंधित विभाग के अधिकारियों द्वारा अपने-अपने विभाग द्वारा संचालित योजनाओं के बारे में विस्तृत जानकारी देते हुए अधिक से अधिक कृषकों को योजनाओं से जोड़ने का प्रयास किया गया। उद्यान विभाग द्वारा बताया गया कि प्रधानमंत्री खाद्य सूक्ष्य उन्नयन योजना संचालित है। इसमें परियोजना लागत का 35 प्रतिशत, अधिकतम 10 लाख रूपये तक का अनुदान देय है। इच्छुक कृषक उद्यान विभाग से सम्पर्क कर योजना का लाभ नियमानुसार प्राप्त कर सकते हैं। प्रभागीय वनाधिकारी के प्रतिनिधि द्वारा कृषको को अवगत कराया गया कि गैर प्रतिबंधित वृ़क्षों को काटने से क्षेत्रीय पुलिस/कर्मचारी द्वारा परेशान किया जाता है, तो उसकी सूचना तत्काल दें, जिससे संबंधित के विरूद्ध कड़ी कार्यवाही की जा सके। दुग्ध विकास अधिकारी द्वारा बताया गया कि मुख्यमंत्री स्वदेशी गौ-संवर्धन एवं मुख्यमंत्री प्रगतिशाील पशुपालक प्रोत्साहन योजनान्तर्गत प्रगतिशील पशुपालको को उन्नत नश्ल यथा-गिर, साहीवाल, हरियाणा, थारपारकर स्वदेशी गायों पर प्रोत्साहन दिया जा रहा है। जिसमें बाहर से 02 गाय को क्रय कर इकाई स्थापना करने कीे लागत का 40 प्रतिशत अनुदान देय है। मुख्य पशु चिकित्साधिकारी द्वारा बताया गया कि बैकयार्ड पोल्ट्री योजना संचालित है जिसमें प्रत्येक विकास खण्ड से 25-25 लाभार्थी को 50-50 चूजों का निःशुल्क वितरण किया जाता है। बकरी पालन योजनान्तर्गत लाभार्थी को 05 बकरी व 01 बकरा दिया जाता है एवं भेड़ पालन योजनान्तर्गत लाभार्थी को 20 भेड़ एवं 01 मेढ़ा दिया जाता है। जिला गन्ना अधिकारी द्वारा बताया गया कि 60 कुं0 गन्ने का लक्ष्य आबंटित हुआ था, जिले में गन्ने की खेती बहुत कम की जाती है, जिसको बढ़ावा दिए जाने की आवश्यकता है। साथ ही बताया गया कि 238, 13235 एवं 17237 गन्ने की प्रजाति है। इच्छुक कृषक समूह बनाकर गन्ने का बीज विभाग के माध्यम से मंगा सकते है। अधिक जानकारी हेतु विभाग में सम्पर्क करें। सहायक निदेशक, रेशम द्वारा बताया गया कि वर्तमान समय में वृक्षारोपण सहायता, कीटपालन गृह सहायता एवं कीटपालन उपकरण सहायता आदि कार्यक्रम संचालित है। जिसमें सामान्य योजना में 75 प्रतिशत तथा अनु0जाति/जनजाति योजना में 90 प्रतिशत अनुदान देय है, जो एक एकड़ में 6*6 पर 1200 तथा 0.5 एकड़ में 600 शहतूत वृक्षारोपण पर देय है। इसमें एक गांव में कम से कम 10 लाभार्थी पर ही योजना से आच्छादन होगा। स्वयं सहायता समूहों को वरीयता दिया जाएगा, इच्छुक कृषक रेशम मित्र पोर्टल पर आनलाइन पंजीकरण कर आवेदन, कर सकते है। जिला कृषि रक्षा अधिकारी वाराणसी द्वारा बताया गया कि गेहूॅ की फसल तैयार होने वाली है, जिसकी कटाई-मड़ाई के उपरान्त भण्डारण सावधानिक पूर्वक करें। प्रतिबंधित दवाओं का प्रयोग न करें, यदि कहीं प्रतिबंधित दवाओं को दुकानों पर बेचा जा रहा है तो उसकी सूचना, विभाग को तत्काल दें। साथ ही बताया गया किया कि आम का सीजन चल रहा है, बोरान की कमी के कारण आम का फल फट जाता है, जिसके रोक-थाम हेतु बोरान पेड़ की जड़ या निर्धारित मात्रा में छिड़काव करें। आम के पौधों में तने या डाल से गोद निकलता है तो इसके रोक-थाम हेतु कॉपर ऑक्सीक्लोराइड का छिड़काव करें। आम के पौधों में गुच्छा बन जाता है तो उसकी रोक-थाम हेतु कार्बेण्डाजिम का प्रयोग करें, जो 50 प्रतिशत अनुदान पर देय है। मत्स्य विकास द्वारा बताया गया आर0एस0 मत्स्य पालन योजना के तहत मत्स्य पालन से जुडे़ कृषकों को किसान क्रेडिट कार्ड (के0सी0सी0) की सुविधा दी जाती है तथा उक्त योजनान्तर्गत एस0सी0,एस0टी0 एवं महिलाओं को 60 प्रतिशत एवं ओ0बी0सी0, सामान्य वर्ग के लाभार्थियों को 40 प्रतिशत अनुदान देय है। इसी क्रम में कृषको द्वारा मत्स्य पालन के क्षेत्र में प्रशिक्षण हेतु अनुरोध किया गया। जिसके क्रम सम्बन्धित अधिकारी द्वारा कृषको से अपेक्षा की गई कि विकास खण्डवार मत्स्य पालाक एक स्थान व समय निर्धारित कर अवगत कराएं जिससे प्रशिक्षण कराया जा सके। इसी क्रम में अधोहस्ताक्षरी द्वारा कृषको से अपेक्षा की गई कि जिन कृषको द्वारा गेहूॅ की फसल का बीमा कराया गया है, वे ओलावृष्टि, अतिवर्षा एवं कटाई के उपरान्त 14 दिनो के अन्दर खलिहान/खेत में गेहॅू की फसल में क्षति होने की स्थिति में निर्धारित समयावधि में फसल बीमा कम्पनी के हेल्पलाइन नं-14447 एवं अधोहस्ताक्षरी को सूचित करें, ताकि नियमानुसार कार्यवाही की जा सके। साथ ही समस्त विभागों से अपेक्षा किया गया कि उपस्थित कृषकों द्वारा जो भी समस्याएं इस किसान दिवस के माध्यम से उठायी गयी है उसका समाधान नियमानुसार तत्काल करे।