चार्टर्ड अकाउंटेंट (CA) पंकज ज्योति ने 2021 में निकिता और अतुल के बीच चल रहे वैवाहिक विवाद को सुलझाने की पहल की थी। निकिता के परिवार के सदस्य समस्तीपुर निवासी पंकज ज्योति के पास पहुंचे थे। उनके बीच कई दौर की बातचीत हुई, जिसमें निकिता और उनके परिजन 22 लाख रुपये देकर केस खत्म करने पर राजी हो गए थे।
समझौता क्यों नहीं हो पाया?
पंकज ज्योति के अनुसार, समझौते के बेहद करीब पहुंचकर भी मामला सुलझ नहीं पाया। अविश्वास और विवाद की गहरी खाई ने दोनों परिवारों को एक बार फिर अलग कर दिया। अतुल और निकिता ने अलग होने का फैसला किया। इसके बाद तय हुआ कि निकिता को 22 लाख रुपये मिलेंगे और वह केस वापस ले लेंगी। लेकिन, यह फैसला भी अधूरा रह गया क्योंकि दोनों परिवारों ने बाद में संपर्क नहीं किया।
रिश्तेदारों की पहल और असफलता
बक्सर में रहने वाले निकिता के रिश्तेदारों ने इस मामले को सुलझाने के लिए पंकज ज्योति से संपर्क किया। पंकज ने अतुल के चचेरे भाई बजरंग प्रसाद अग्रवाल और उनके चाचा पवन मोदी से बात की। सभी ने इस विवाद को सुलझाने का प्रयास किया। यहां तक कि दोनों परिवार समस्तीपुर में पंकज ज्योति के घर पर एकत्रित हुए।
मध्यस्थता की कोशिशें
2021 में पंकज ज्योति के घर हुई बैठक में दोनों परिवारों के बीच घंटों चर्चा हुई। सबसे पहले कोशिश यह थी कि अतुल और निकिता साथ रहें और विवाद को भुला दें। लेकिन, दोनों के बीच की खाई इतनी गहरी थी कि यह संभव नहीं हो पाया। अतुल ने अपने पिता को बार-बार फोन कर सावधान रहने की बात कही। अंततः दोनों ने अलग होने का फैसला किया।
22 लाख का समझौता
मध्यस्थता के दौरान तय हुआ कि निकिता के परिवार को 22 लाख रुपये दिए जाएंगे और वे केस वापस ले लेंगे। यह रकम पंकज ज्योति के पास जमा होनी थी, लेकिन बाद में किसी ने संपर्क नहीं किया। यह समझौता भी अधूरा रह गया।
अतुल की त्रासदी
पंकज ज्योति को बेंगलुरु में सॉफ्टवेयर इंजीनियर अतुल के सुसाइड की खबर ने झकझोर दिया। उन्होंने कहा, “काश! 2021 में यह विवाद सुलझ जाता तो आज अतुल जिंदा होते।” इस घटना ने हर किसी को यह सोचने पर मजबूर कर दिया कि अगर समझौता हो जाता तो शायद अतुल की जिंदगी बच सकती थी।
निष्कर्ष
यह कहानी उन परिस्थितियों को उजागर करती है, जहां संवाद और भरोसे की कमी ने एक व्यक्ति की जिंदगी छीन ली। यह घटना इस बात की भी सीख देती है कि समय रहते विवादों को सुलझाने का प्रयास कितना महत्वपूर्ण है।