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पार्वती चालीसा: माता की कृपा प्राप्त करने का सरल मार्ग

पार्वती चालीसा
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मां पार्वती, जिन्हें शक्ति, दुर्गा और गौरी के नामों से भी जाना जाता है, संपूर्ण सृष्टि की आदिशक्ति हैं। उनका स्मरण करने मात्र से साधक को बल, भक्ति, और मानसिक शांति की प्राप्ति होती है। पार्वती चालीसा एक ऐसा भक्तिपूर्ण स्तोत्र है, जो साधक को मां की कृपा और आशीर्वाद की ओर अग्रसर करता है। इस लेख में हम “parvati chalisa” के महत्व, पाठ विधि और लाभ को सरल और भावपूर्ण भाषा में समझेंगे।

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Parvati Chalisa

दोहा

जय गिरी तनये डग्यगे शम्भू प्रिये गुणखानी,
गणपति जननी पार्वती अम्बे शक्ति भवामिनी॥

चालीसा

ब्रह्मा भेद न तुम्हरे पावे, पांच बदन नित तुमको ध्यावे॥
शशतमुखकाही न सकतयाष तेरो, सहसबदन श्रम करात घनेरो॥1॥

तेरो पार न पाबत माता, स्थित रक्षा ले हिट सजाता॥
आधार प्रबाल सद्रसिह अरुणारेय, अति कमनीय नयन कजरारे॥2॥

लित लालट विलेपित केशर कुमकुम अक्षतशोभामनोहर॥
कनक बसन कञ्चुकि सजाये, कटी मेखला दिव्या लहराए॥3॥

कंठ मदार हार की शोभा, जाहि देखि सहजहि मन लोभ॥
बालार्जुन अनंत चाभी धारी, आभूषण की शोभा प्यारी॥4॥

नाना रत्न जड़ित सिंहासन, टॉपर राजित हरी चारुराणां॥
इन्द्रादिक परिवार पूजित, जग मृग नाग यज्ञा राव कूजित ॥5॥

श्री पार्वती चालीसा गिरकल्सिा,निवासिनी जय जय॥
कोटिकप्रभा विकासिनी जय जय ॥6॥

त्रिभुवन सकल, कुटुंब तिहारी, अनु -अनु महमतुम्हारी उजियारी॥
कांत हलाहल को चबिचायी, नीलकंठ की पदवी पायी ॥7॥

देव मगनके हितुसकिन्हो, विश्लेआपु तिन्ही अमिडिन्हो॥
ताकि , तुम पत्नी छविधारिणी, दुरित विदारिणीमंगलकारिणी॥8॥

देखि परम सौंदर्य तिहारो, त्रिभुवन चकित बनावन हारो॥
भय भीता सो माता गंगा, लज्जा मई है सलिल तरंगा ॥9॥

सौत सामान शम्भू पहायी, विष्णुपदाब्जाचोड़ी सो धैयी॥
टेहिकोलकमल बदनमुर्झायो, लखीसत्वाशिवशिष चड्यू ॥10॥

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नित्यानंदकरीवरदायिनी, अभयभक्तकरणित अंपायिनी॥
अखिलपाप त्र्यतपनिकन्दनी, माही श्वरी, हिमालयनन्दिनी॥11॥

काशी पूरी सदा मन भाई सिद्ध पीठ तेहि आपु बनायीं॥
भगवती प्रतिदिन भिक्षा दातृ,कृपा प्रमोद सनेह विधात्री ॥12॥

रिपुक्षय कारिणी जय जय अम्बे, वाचा सिद्ध करी अबलाम्बे॥
गौरी उमा शंकरी काली, अन्नपूर्णा जग प्रति पाली ॥13॥

सब जान , की ईश्वरी भगवती, पति प्राणा परमेश्वरी सटी॥
तुमने कठिन तपस्या किणी, नारद सो जब शिक्षा लीनी॥14॥

अन्ना न नीर न वायु अहारा, अस्थिमात्रतरण भयुतुमहरा॥
पत्र दास को खाद्या भाऊ, उमा नाम तब तुमने पायौ॥15॥

तब्निलोकी ऋषि साथ लगे दिग्गवान डिगी न हारे॥
तब तब जय, जय,उच्चारेउ ,सप्तऋषि, निज गेषसिद्धारेउ॥16॥

सुर विधि विष्णु पास तब आये, वार देने के वचन सुननए॥
मांगे उबा, और, पति, तिनसो, चाहत्ताज्गा, त्रिभुवन, निधि, जिन्सों ॥17॥

एवमस्तु कही रे दोउ गए, सफाई मनोरथ तुमने लए॥
करी विवाह शिव सो हे भामा,पुनः कहाई है बामा॥18॥

जो पढ़िए जान यह चालीसा, धन जनसुख दीहये तेहि ईसा॥19॥

दोहा

कूट चन्द्रिका सुभग शिर जयति सुच खानी।
पार्वती निज भक्त हिट रहाउ सदा वरदानी॥

पार्वती चालीसा एक अत्यंत प्रभावशाली और भक्तिपूर्ण स्तोत्र है, जिसे नियमित पढ़ने से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का वास होता है। मां पार्वती की करुणा और कृपा प्राप्त करने के लिए इस चालीसा को श्रद्धा और विश्वास से करें। माता की महिमा अपार है और जो भी भक्त सच्चे मन से उनका स्मरण करता है, उसकी झोली कभी खाली नहीं रहती। जय माता पार्वती!

पार्वती चालीसा पढ़ने की विधि

  • प्रातःकाल स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  • पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें।
  • मां पार्वती की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
  • दीपक जलाएं व धूप-गुग्गुल करें।
  • सफेद फूल व अक्षत अर्पित करें।
  • शांत मन से एकाग्र होकर पार्वती चालीसा का पाठ करें।
  • पाठ के अंत में माता से अपनी मनोकामना कहें।
  • अंत में आरती करें और परिवारजनों को प्रसाद दें।
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पार्वती चालीसा के लाभ

  1. वैवाहिक सुख की प्राप्ति – जिन कन्याओं को विवाह में विलंब हो रहा हो, उनके लिए यह चालीसा अत्यंत लाभकारी है।
  2. गृह क्लेश से मुक्ति – पारिवारिक शांति और सौहार्द बनाए रखने के लिए इसका पाठ किया जाता है।
  3. सौभाग्यवती स्त्री हेतु – विवाहित स्त्रियां यदि नियमित इसका पाठ करें तो अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
  4. मनोकामना पूर्ति – सच्चे मन से किया गया पाठ मनचाहा फल देता है।
  5. शक्ति और आत्मबल – मानसिक बल और आत्मविश्वास बढ़ाने में सहायक है।
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